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पूर्णिया का अभिशाप एथेनॉल फैक्ट्री, फसल तबाह, आँखों में बीमारी

30 अप्रैल, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री और तत्कालीन उद्योग मंत्री ने पूर्णिया ज़िले के परोरा में एक ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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30 अप्रैल, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने पूर्णिया ज़िले के परोरा में एक ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया। केंद्र और राज्य की इथेनॉल पॉलिसी 2021 के बाद यह पहला प्लांट है। ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड (Eastern India Biofuels Private Limited) द्वारा 105 करोड़ की लागत से इस प्लांट को बनाया गया है। इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 65 किलो लीटर प्रतिदिन है। इस फैक्ट्री में अनाज से इथेनॉल का निर्माण किया जाता है।

बिहार में 16 और इथेनॉल प्लांट खोलने की योजना है और इनकी कुल क्षमता हर साल लगभग 35 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन करने की होगी।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही देश का पहला ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट की शुरुआत बिहार में कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन पूर्णिया के कृत्यानंद नगर प्रखंड के लोग इस प्लांट से बेहद परेशान हैं। प्लांट के आसपास बसी आबादी में आँखों में जलन की शिकायत आने लगी है। प्लांट से डिस्चार्ज होने वाले दूषित पानी से किसानों की फसल तबाह हो रही है। हवा में फैले काले कण और बदबू के बीच लोग लाचार हैं।


आँखों में जलन की शिकायतें

प्लांट से कुछ ही मीटर की दूरी पर विद्या विहार रेजिडेंशियल स्कूल है। यहाँ सैकड़ों बच्चे हॉस्टल में रहते हैं। स्कूल के स्टूडेंट्स और स्टाफ में लगातार आँखों में जलन की शिकायतें आ रही हैं। कैंपस में लगे पेड़ पैधों के पत्तों में फैक्ट्री से आने वाले काले कण साफ़ देखे जा सकते हैं। माली इनकी रोज़ाना सफाई करता है और रोज़ वापस पत्तों पर काली परत जम जाती है। विद्या विहार रेजिडेंशियल स्कूल के सीनियर अडमिंस्ट्रेटर अरविंद सक्सेना बताते हैं कि स्कूल के बच्चे लगातार बीमार पड़ रहे हैं।

स्कूल में तैनात सिक्योरिटी गार्ड राम भजन सिंह की आँखों में पिछले दिनों तेज़ जलन हुई और आँखें लाल हो गईं। एक आई ड्राप लेने के बाद फिलहाल उन्हें राहत मिली है।

स्कूल के पीछे बसे हरदिया चातर आदिवासी टोले के ग्रामीणों में भी ऐसी शिकायतें आ रही हैं। ग्रामीण संजय मरांडी की आँखों में अक्सर जलन की शिकायत रहती है। मरंगमोई हासदा की बेटी घास काटने गई थी, चार दिन तक उसकी आँखों से पानी आता रहा। गाँव की फूल देवी बताती हैं कि आँगन में बैठ कर खाना खाना और खुले में कपड़ा सुखाना तक मुश्किल हो गया है।

फैक्ट्री के सामने एक पैरामेडिकल सह नर्सिंग संस्थान है। कॉलेज में कार्यरत फंटूस पासवान बताते हैं कि यहाँ आने वाले मरीज फैक्ट्री के प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। इस प्रदूषण का असर करीब दो किलोमीटर दूर स्थित उनके गांव तक है।

East India Research Council (EIRC) की इनिशिएटिव Toxics Watch इन विषयों पर शोध करता है। Toxics Watch से जुड़े गोपाल कृष्ण कहते हैं, ये वायु प्रदुषण से सम्बंधित कानून के उलंघन का मामला है, राज्य के Pollution Control Board को तत्काल इसकी जांच करनी चाहिए।

दूषित पानी से किसानों की फसल तबाह

दूसरी तरफ, जिन किसानों के खेत फैक्ट्री के आसपास हैं, उनकी फसल तबाह हो गई है। मिलन कुमार यादव ने लाखों रुपए की लागत से दो एकड़ खेत में मखाना की खेती की थी। फैक्ट्री से डिस्चार्ज होने वाले पानी से मखाना जल कर खत्म हो गया। यही हाल धान की फसल के साथ हुआ। उनके खेत में अभी तक पानी लगा है, जिस वजह से वे आगे खेती नहीं कर पा रहे हैं।

परोरा गाँव निवासी किसान दिनेश पासवान ने फैक्ट्री से सटे अपने 13 कट्ठा खेत में मक्का लगाया, लेकिन दूसरे ही दिन फैक्ट्री से पानी छोड़ दिया गया। दो महीने हो गए हैं, लेकिन मक्का के पौधे बढ़ नहीं रहे हैं। उन्होंने दर्जनों बार फैक्ट्री से इसकी शिकायत की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

उधर पास की एक नर्सरी में काम करने वाले किशोर यादव कहते हैं कि प्रदूषण की वजह से आम के पेड़ों को भी नुक्सान हो रहा है। पेड़ों में फल बहुत कम आ रहे हैं।

Toxics Watch से जुड़े गोपाल कृष्ण कहते हैं, इस तरह के कारखाने फसल आधारित हैं, ऐसे में इन कारखाने से फसल तबाह होना चिंताजनक है।

किसानों के रास्ते में अतिक्रमण

किसानों की फसल को नुक्सान पहुंचाने के साथ ही फैक्ट्री ने उनके खेतों में आने जाने का रास्ता भी बंद कर दिया है। स्थानीय जिला परिषद सदस्य देशबंधु कुमार उर्फ़ बुलबुल पासवान बताते हैं कि फैक्ट्री ने रास्ते का अतिक्रमण कर लिया है। फैक्ट्री ने अलग रास्ता देने का वादा किया था, लेकिन उसे कभी बनाया नहीं गया।

अनसुनी शिकायतें

विद्या विहार स्कूल के अरविंद सक्सेना बताते हैं कि इसको लेकर कई बार शिकायत की गई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वास्तु विहार निवासी स्थानीय शम्भू मंडल के अनुसार, किसान जब फैक्ट्री के मालिक से शिकायत करते हैं, तो वह किसानों पर ज़मीन बेचने का दबाव बनाने लगते हैं। किसान मिलन यादव कहते हैं कि शिकायत करने पर वह अपनी गलतियों से साफ़ इंकार कर देते हैं और फैक्ट्री से भगा देते हैं।

ज़िम्मेदारी से भागता फैक्ट्री

इस तमाम आरोपों को लेकर दो अलग-अलग दिनों पर हमने कुल तीन बार फैक्ट्री में जाकर और आधा दर्जन से ज़्यादा बार कॉल के माध्यम से एथेनॉल प्लांट के ज़िम्मेदार लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे बहाना बना कर इसे एक हफ्ते तक टालते रहे।

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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