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तैयबपुर-सोनापुर सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे, कई पंचायतों के लोग प्रभावित

फाला पंचायत की वार्ड संख्या 9 के वार्ड सदस्य रिपन कुमार सिन्हा ने बताया कि 2 साल पहले सड़क की मरम्मत की गई थी लेकिन 6 महीने के अंदर ही सड़क दोबारा जर्जर हो गई। सड़कों की इस दुर्दशा के लिए वह नीतीश सरकार की मेंटनेंस नीति को ज़िम्मेदार मानते हैं।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
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डोंक नदी, किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड को दो हिस्सों में बांटती है। इस वजह से मिर्ज़ापुर, डुबानोची, फाला और क़स्बा-कालियागंज पंचायत के हज़ारों लोग प्रखंड मुख्यालय और स्वास्थ्य केंद्र पहुँचने के लिए तैयबपुर से सोनापुर जानेवाली सड़क का इस्तेमाल करते हैं।


लेकिन इस सड़क की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है। इस बार बरसात का मौसम आते ही सड़क पर जगह जगह गड्ढे हो चुके हैं, जिससे लोग रोज़ाना किसी संभावित दुर्घटना के डर के साथ घर से इस सड़क पर निकलते हैं।

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तैयबपुर से पश्चिम बंगाल के सोनापुर तक जाने वाली 11 किलोमीटर लंबी यह सड़क 2006 में न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के तहत बनाई गई थी।


स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क टूटने पर खानापूर्ति के लिए थोड़ी बहुत मरम्मत कराई जाती है, लेकिन बरसात आते ही सड़क फिर से पहले जैसी जर्जर हो जाती है।

स्थानीय निवासी मनोज कुमार राम कहते हैं कि इलाके में बिहार को बंगाल से जोड़ने वाली यह मुख्य सड़क करीब 15 सालों से टूटी पड़ी है। राजनेता आते हैं, वादे कर चले जाते हैं, लेकिन सड़क की हालत बद से बदतर होती जाती है ।

फाला पंचायत निवासी उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि गड्ढों से भरी इस सड़क पर 2 हफ्ते पहले एक दुर्घटना हुई थी, जिसमें एक ट्रेक्टर चालक की मौत हो गई। खराब सड़क के कारण मरीज़ों को अस्पताल ले जाने में सबसे अधिक दिक्कतें होती हैं। वहीँ, बच्चों को स्कूल जाने के लिए रोज़ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इस सड़क से रोज़ाना गुजरने वाले ऑटो और ई-रिक्शा चालक जर्जर रास्ते से बेहद परेशान हैं। ऑटो चालक सईद आलम ने कहा कि सड़क खराब होने से ऑटो बहुत धीरे धीरे ले जाना पड़ता है जिससे तेल की खपत काफी अधिक होती है। किसी दूसरे रास्ते से जाते हैं तो 30-40 किलोमीटर घूम कर जाना होगा।

ई-रिक्शा चालक शाहिद कहते हैं कि सड़क में गड्ढे इतने गहरे हैं कि इस रास्ते से गुजरने पर हर बार उन्हें गाड़ी की मरम्मत करवानी पड़ती है।

पुरन्दरपुर निवासी प्रेम लाल सिंह दुकानदार हैं। उन्होंने बताया कि 2 वर्ष पहले सड़क की मरम्मत की गई थी, लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही सड़क दोबारा टूट गई। कुछ समय पहले जिला परिषद ने कहा था कि सड़क निर्माण के लिए राशि स्वीकृत कर ली गई है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

जिला पार्षद सदस्य निरंजन राय कहते हैं कि 2016 में उन्होंने कुछ ग्रामीणों के साथ मिलकर सड़क निर्माण के लिए आंदोलन किया था जिसके बाद मरम्मत कार्य शुरू हुआ लेकिन 6 महीने के अंदर ही सड़क फिर से टूट गई।

फाला पंचायत की वार्ड संख्या 9 के वार्ड सदस्य रिपन कुमार सिन्हा ने बताया कि 2 साल पहले सड़क की मरम्मत की गई थी लेकिन 6 महीने के अंदर ही सड़क दोबारा जर्जर हो गई।

सड़कों की इस दुर्दशा के लिए वह नीतीश सरकार की मेंटनेंस नीति को ज़िम्मेदार मानते हैं। उन्होंने कहा कि ठेकेदार जान बूझकर ख़राब गुणवत्ता की सड़क बनाते हैं ताकि बार बार वे सड़क की मरम्मत के बहाने पैसा कमाते रहें।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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