बिहार में चल रही जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है।
जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने इस पर रोक का आदेश देते हुए अगली सुनवाई 3 जुलाई को मुकर्रर की है।
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अदालत ने अब तक संग्रह किये गये आंकड़ों को संरक्षित रखने और तब तक सार्वजनिक नहीं करने को कहा है, जब तक अदालत इस पर अंतिम फैसला नहीं दे देती है।
उल्लेखनीय हो कि जातीय जनगणना में लोगों की जाति, आय, संपत्ति आदि के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
जनगणना की इस प्रक्रिया को निजता के अधिकार का हनन बताते हुए इसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में कई संगठनों की ओर से याचिकाएं दाखिल की गई थी।
सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए निजता के हनन के सवाल पर कहा था कि लोगों के फायदे के लिये यह जनगणना कराई जा रही है और 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। सरकार ने यह भी कहा था कि इसको लेकर आमलोगों की तरफ से कोई शिक़ायत भी नहीं आई है।
बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के पहले चरण में घरों और गणना की थी और दूसरे चरण में जातियों की जनगणना की जा रही है। इसमें हर जाति के लिए कोड निर्धारित किये गये हैं।
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