पिछले कुछ सालों से बिहार विधानसभा में बहस का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। पक्ष, विपक्ष, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करते नज़र आ रहे हैं।
“…की औलाद”
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बिहार विधानसभा के इस बजट सत्र के दौरान अशोभयीन भाषा ने तो हदों को लांघ दिया है। मंगलवार को अपने वक्तव्य के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के नेता व विधायक महबूब आलम ने भाजपा के विधायकों को सावरकर की औलाद, गद्दारों और देशद्रोही की औलाद कह कर सम्बोधित किया। इसके जवाब में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सरावगी ने महबूब आलम को मीर जाफर, बांग्लादेशी, औरंगज़ेब, लेनिन और जिन्ना की औलाद बता दिया और चीखते हुए बोले, “कहाँ गया ऊ महबूब आलम, बांग्लादेशी की औलाद कहाँ गया?”
महबूब आलम कटिहार ज़िले के बलरामपुर (2010 से पहले बारसोई) विधानसभा क्षेत्र से चार बार के विधायक हैं, वहीं, संजय सरावगी दरभंगा विधानसभा क्षेत्र से 2005 से लगातार विधायक हैं।
बलरामपुर विधायक ने अपने भाषण में भाजपा और आरएसएस को महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का समर्थक बताते हुए कहा कि गाँधी के हत्यारे गाँधी का सहारा लेते हैं। महबूब आलम ने कहा, “तुम्हें गांधी का सहारा लेने का कोई हक़ नहीं है। तुम लोगों ने गाँधी की हत्या की है, तुम छाती ठोक के गाँधी के हत्यारे का नाम लो न।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे शहीद ए आज़म भगत सिंह ने सरकार को खत लिखा था कि मुझे फांसी मत दो, मुझे तोप से उड़ा दो क्योंकि मैंने तुम्हारी सरकार को उखाड़ने के लिए जंग छेड़ा है और इन लोगों के सावरकर जी माफ़ी मांगते मांगते थक गए, मगर इन लोगों को शर्म नहीं आती। ये लोग सावरकर की औलाद हैं, ये लोग गद्दारों की औलाद हैं, ये लोग देशद्रोही की औलाद हैं। जब हमारे शहीद लोग कुर्बान हो रहे थे तब ये लोग अंग्रेज़ों का तलवा चाट रहे थे।”
इस टिप्पणी पर विधानसभा के अंदर भाजपा की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली। संजय सरावगी ने अपने भाषण में कहा, “अध्यक्ष महोदय जिस तरह से माननीय सदस्य महबूब आलम ने भाजपा के विधायकों को फलां की औलाद, फलां की औलाद कह कर संबोधित किया, उनको माफ़ी माँगना चाहिए। महोदय, जो लोग खुद मीर जाफ़र की औलाद हैं, बांग्लादेशी औलाद हैं, औरंगज़ेब की औलाद हैं, मार्क्स लेनिन की औलाद हैं, जिन्ना की औलाद हैं, ऐसे लोग आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी पर आवाज़ उठाते हैं। ऐसे देशद्रोही लोग, जिन्ना की औलाद, बांग्लादेशी कहाँ गया ऊ महबूब आलम, बांग्लादेशी की औलाद, कहाँ गया अध्यक्ष महोदय, उस पर कार्रवाई हो।”
गुरुवार को भी विधानसभा में काफी शोर-शराबे का माहौल रहा। दरौली विधानसभा से महबूब आलम की पार्टी भाकपा माले के विधायक सत्यदेव राम सहित सत्ताधारी दल के कई नेताओं ने संजय सरावगी की भाषा पर आपत्ति जताते हुए कार्रवाई की मांग की। वहीं भाजपा के विधायकों ने भी महबूब आलम की भाषा पर एतेराज़ जताया और कार्रवाई की मांग की।
“बहुत व्याकुल नहीं होना है”
लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब बिहार विधानसभा में भाषा की मर्यादा को लेकर सवाल उठे हैं। इससे पहले 2021 के बजट सत्र में भाजपा नेता और तत्कालीन पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने अपनी ही पार्टी के विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को ‘व्याकुल’ न होने की नसीहत दे दी थी। विधायकों द्वारा सम्राट चौधरी के कार्यकारी विभाग पर सवाल उठने पर भाजपा मंत्री ने विधानसभा स्पीकर के लिए ये कहा था।
स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने सम्राट चौधरी से ऑनलाइन जवाब न मिलने की बात कही, जिसके जवाब में मंत्री ने कहा था, “ऑनलाइन है, एक दम ऑनलाइन है, पता कर लीजिए आप। 16 में से 14 जवाब ऑनलाइन भेज दिया गया है, आप पता कीजिए, ये मैं बता रहा हूँ।”
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार ने उन्हें दुबारा कहा, “9 बजे तक मेरा कार्यालय ऑनलाइन जवाब निकाल लेता है, 16 में मात्र 11, 69 प्रतिशत जवाब ही आया है। अपने विभाग में समीक्षा कर लीजिएगा। इसके बाद सम्राट चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को कहा था, “बहुत व्याकुल नहीं होना है।” .
विजय कुमार सिन्हा ने तुरंत सम्राट चौधरी को व्याकुल शब्द वापस लेने को कहा था, लेकिन भाजपा विधायक ने ऐसा करने से मना कर दिया था। सम्राट ने आगे अध्यक्ष को ऊँगली दिखाते हुए कहा था, “अध्यक्ष जी, ऐसे नहीं चलता है। इस तरह से डायरेक्शन नहीं चलता है। आप ऐसे नहीं चला सकते, बहुत व्याकुल मत होइए।”
मर्माहत हूँ। बिहार में सत्ता पक्ष और मंत्री सदन की गरिमा और आसन की महत्ता को तार-तार कर रहे है। सरकार के एक भाजपाई मंत्री अध्यक्ष महोदय की तरफ़ उंगली उठाकर कह रहे है कि व्याकुल मत होईए।ऐसे सदन नहीं चलेगा।
कैसे कैसे लोग मंत्री बन गए है जिन्हें लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ज्ञान नहीं? pic.twitter.com/djYA5vQk4d
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 17, 2021
“शराबी हो गया तुमलोग”
दिसंबर 2022 में छपरा ज़िले के अलग-अलग प्रखंड क्षेत्र में ज़हरीली शराब पीने से 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने इस पर सवाल उठाया और भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे पर नीतीश सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। इसके बाद मुख्यमंत्री अपना आपा खो बैठे और किसी एक नेता की तरफ ऊँगली उठाकर कहने लगे, “शराबबंदी के पक्ष में सब था कि नहीं, क्या हो गया तुमको? रे तुम बोल रहे हो ज़हरीली शराब। शराब पीने वाला.. तुम शराब का समर्थन कर रहे हो। इतना गंदा काम कर रहे हो, इसका मतलब है तुम ही लोग गड़बड़ करवा रहे हो। ए सबको भगाओ यहां से। तुम शराब के पक्ष में बोल रहे हो, अब तो बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, शराबी हो गया तुमलोग।”
अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया गया था। छपरा में हुए इस हादसे के बाद विपक्ष के नेता नीतीश कुमार के काम पर सवाल उठा रहे थे। साथ ही साथ ज़हरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों के परिवार वालों को मुआवज़ा देने की भी मांग उठी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुआवज़ा देने से मना कर दिया था और कहा था, “जहां शराबबंदी लागू नहीं है वहाँ भी ज़हरीली शराब पीके लोग मर रहा है। मध्य प्रदेश टॉप पर है। दारु पीके मर जाएगा और हम उसको मुआवज़ा देंगे? सवाल ही पैदा नहीं होता।”
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