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सारण शराबकांड: “सब पुलिस प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा है”

सारण जिले का मशरक प्रखंड व इससे सटे प्रखंडों में बीते तीन दिनों में जहरीली शराब पीने से चार दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

Navin Kumar Reported By Navin Kumar | Saran |
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“सब पुलिस प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा है। हमलोग तो सब जानते हैं, लेकिन किससे कहें? यहां शराब माफिया और पुलिस प्रशासन का गठजोड़ चलता है। पैसे के लालच में पुलिस किसी को कुछ नहीं कहती है। यहां जगह-जगह शराब मिलती है। यहां के चौकीदार सबसे ज्यादा शराब माफिया का साथ देते हैं। उन्हें इसके बदले अच्छी खासी रकम मिल जाती है। सारा दोष वही लोग सब का है,” सारण जिले के मशरक में थाने के ठीक बगल में स्थित चाय दुकान में बैठे बुजुर्ग रामजीवन साह ने गुस्सा भरे लहजे में एक ही सांस में इतना कुछ कह दिया।

सारण जिले का मशरक प्रखंड व इससे सटे प्रखंडों में बीते तीन दिनों में जहरीली शराब पीने से चार दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बिहार में साल 2016 में लागू हुए शराबबंदी कानून के बाद अब तक जहरीली शराब पीने से एकमुश्त मौतों का यह संभवतः सबसे बड़ा आंकड़ा है।

मैं मीडिया ने जब घटनास्थल का दौरा किया, तो ग्रामीणों ने खुलेआम बताया कि पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से यहां जहरीली शराब का कारोबार फूल फल रहा है। लोगों का कहना है कि जब वे लोग पुलिस से इसकी शिकायत करते हैं, तो उल्टे उनकी अपनी जान पर बन आती है। रामजीवन साह कहते हैं, “जो शराब बेचते हैं वे दबंग प्रवृत्ति के हैं। अगर कोई पुलिस में जाकर कह देता है, तो उल्टे पुलिस वाले जाकर उस शराब माफिया को ही मुखबिर का नाम नाम बता देते हैं। फिर शराब माफिया आकर उससे गाली-गलौज व मारपीट करता है, इसलिए ग्रामीण लोग बहुत ज्यादा शिकायत करने से कतराते हैं।


जिस चाय दुकान पर रामजीवन साह से बात हो रही थी, वहां करीब एक दर्जन और लोग थे और रामजीवन की बातें से सभी सहमत नजर आए।

पुलिस पर आरोप को लेकर सारण एसपी संतोष कुमार को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

मशरक शराब माफियाओं का केंद्र!

स्थानीय लोगों का कहना है कि सारण जिले का मशरक प्रखंड शराब माफियाओं का मुख्य केंद्र है। यहां से लगभग 25 गांवों में शराब का वितरण होता है। एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “शराब माफिया पैसे का लालच देकर नए नए लड़कों को जोड़ते हैं। वे लड़के ही चारों तरफ शराब का वितरण करते हैं। बड़े बड़े शराब माफिया सामने नहीं आते हैं। उनके द्वारा बनाए गए सिस्टम से ही सारा धंधा चलता है। पुलिस कभी पकड़ती भी है, तो इन्हीं छोटे छोटे धंधेबाजों को। मशरक प्रखंड में पूरी रात शराब की सप्लाई होती है। यहां तक कि होम डिलीवरी भी होती है।”

स्थानीय लोगों ने बताया कि मशरक में शराब बार्डर पार से आती है। सारण से उत्तर प्रदेश सीमा भी नजदीक है और नेपाल बॉर्डर भी। शराब माफिया दोनों तरफ के बॉर्डर का इस्तेमाल शराब को मंगवाने में करते हैं। शराब कारोबारी बॉर्डर पार से पुलिस की मिलीभगत से शराब को बिहार में प्रवेश करवाते हैं और इसके बाद सप्लायर द्वारा इस शराब को जगह जगह भेजा जाता है।

इसके अलावा गंगा का दियारा भी सारण में है जहां शराब माफिया अवैध भट्टियों में देसी शराब का निर्माण कर गांवों में खपाते हैं।

आंकड़े बताते हैं कि सारण जिला अवैध शराब के कारोबार के मामले में कई जिलों से आगे है। बिहार पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि इस साल सिर्फ अक्टूबर में शराबबंदी कानून के तहत 908 लोगों की गिरफ्तारी हुई और सबसे अधिक गिरफ्तारी के मामले में यह जिला चौथे स्थान पर रहा।

कौन हैं जहरीली शराब से मरने वाले

मशरक में जहरीली शराब से हुई मौतों में सभी वर्ग-जाति के लोग शामिल हैं।

स्थानीय लोगों ने बातचीत में बताया कि मरने वालों में 25 से 40 वर्ष आयु वर्ग के लोग ज्यादा हैं। और उनमें भी मजदूरी करने वाले लोग अधिक हैं। कुछ मृतक ऐसे भी हैं, जो संपन्न परिवार से आते हैं।
जहरीली शराब पीने से बीमार पड़े कई लोगों को मशरक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। इस रिपोर्टर ने स्वास्थ्य के कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे लोग कुछ भी बताने से इनकार करते रहे। अलबत्ता एक कर्मचारी ने कहा कि मरीजों के आने का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

उक्त कर्मचारी ने यह भी कहा कि यहां उन्हीं लोगों को लाया जा रहा जिनकी तबीयत ज्यादा हो रही है, इसलिए बचा पाना ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि जहर तब तक पूरी तरह पूरे शरीर फैल चुका होता हैं। वह आगे कहते हैं, “शुरुआत में अस्पताल लाने की वजह यह भी हो सकती है कि वे पुलिस कार्रवाई की आशंका से डरते हों क्योंकि शराबबंदी कानून के तहत शराब पीने वाले भी अपराधी हैं।”

community health centre mashrak

सारण के प्रभावित प्रखंडों से अस्पताल जाने वाली सड़कों पर एंबुलेंस की लगातार आती आवाज बताती है कि जहरीली शराब ने इतना कितना कहर बरपाया है। अस्पताल पहुंचने पर भी इस रिपोर्टर ने देखा कि वहां लगभग आठ से दस एंबुलेंस खड़ी थी। सभी पर पटना का नंबर प्लेट लगा हुआ था। एक एम्बुलेंस के ड्राइवर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, “हमलोग लगातार गाड़ी के पास ही रहते है, क्योंकि मरीज जो भी आ रहे हैं, वे या तो मरते हैं या यहां से रेफर होते हैं। यहां उनका इलाज ही नहीं हो पा रहा है।”

स्थानीय लोगों में आक्रोश

जहरीली शराब से हुई दर्जनों मौत ने ग्रामीणों को सकते में डाल दिया है। वे पुलिस प्रशासन से बेहद नाराज हैं। मीडिया से बात करते हुए स्थानीय लोगों ने इस घटना का जिम्मेदार सरकार को बताया। लोगों ने शराबबंदी को विफल बताया और इस कानून को वापस लेने की मांग की। लोगों का कहना था कि पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से जहरीली शराब की सप्लाई हुई। और अगर अभी भी सरकार नहीं सचेत हुई, तो ऐसी और घटनाएं होंगी।

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इस घटना को लेकर बिहार के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ। विपक्षी पार्टी भाजपा ने इन हत्याओं को सरकार प्रायोजित कहा और मृतकों को मुआवजा देने की मांग की। लेकिन, सीएम नीतीश कुमार ने साफ संकेत दे दिया है कि शराबबंदी कानून न तो वापस लिया जाएगा और न ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा।

उन्होंने अपने पुराने बयानों को दोहराते हुए कहा कि जो शराब पिएगा वो मरेगा ही।

इधर, इस घटना के बाद स्थानीय थाने के थानेदार समेत कुछ पुलिस कर्मचारियों को हटाया गया है और मामले की छानबीन के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है।

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नवीन कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले हूं। आईआईएमएससी दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। अभी स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं। सामाजिक विषयों में रुचि है। बिहार को जानने और समझने की निरंतर कोशिश जारी है।

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