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उल्टियां, सिर दर्द, अंधापन फिर मौत- जहरीली शराब ने छीन ली 40 ज़िंदगियाँ

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दिवाली से एक रोज़ पहले तक पश्चिम चम्पारण के बेतिया से करीब 25 किलोमीटर दूर बसा दक्षिण टेल्हुआ गांव गुलज़ार था, लोगों की चहल-पहल थी। लेकिन, अब यहां मुर्दा सन्नाटा पसरा हुआ है।

यहां दिवाली से पहले की सांझ ज़हरीली शराब पीकर एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। बेतिया में किसी से दक्षिण टेल्हुआ का रास्ता पूछते ही दूसरी तरफ से तपाक से जवाब आता है –

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“वहीं न, जहां शराब पीकर बहुत सारे लोग मर गये हैं!”


4 नवम्बर से पहले तक इस गांव की पहचान किसी भी आम गांव जैसी थी, लेकिन शराब से हुई मौतों के बाद शराबकांड की बदनामी इस गांव से नत्थी हो गई है।

पूरे बिहार में पिछले 6-7 दिनों में 40 से ज्यादा लोगों को ज़हरीली शराब ने मौत की नींद सुला दी है। सबसे ज़्यादा 16 मौतें पश्चिम चम्पारण में हुई हैं। गोपालगंज में 14 लोगों की जान ज़हरीली शराब ने ले ली है। समस्तीपुर और मुज़फ़्फ़रपुर में 6-6 मौतें हुई हैं।

दक्षिण टेल्हुआ के यादव टोले के 45 वर्षीय बच्चा यादव पेशे से किसान थे और दूध का कारोबार करते थे। 3 नवम्बर की शाम थकान मिटाने के लिए उन्होंने शराब पी ली थी। घर लौटे तो कुछ देर बाद ही उल्टियां होने लगीं। फिर आंख की रोशनी चली गई और आख़िरकार उनकी मौत हो गई।

उनके बेटे दिलीप यादव कहते हैं,

“तीन तारीख की शाम वे बाजार गये थे। वहां से लौटे, तो हमने कहा कि दूध दूह कर ले आइए। वे एक मवेशी का ही दूध निकाल पाये और तबीयत बिगड़ने लगी। उन्होंने सिर दर्द कि शिकायत की, तो हम लोगों ने सिर में मालिश की। लेकिन उनकी तबीयत नहीं सुधरी। वे उल्टियां भी कर रहे थे। कुछ समय बाद ही वे डगमगाने लगे जैसे उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था। हमलोग उन्हें अस्पताल ले गये, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।”

ज़हरीली शराब से मरने वालों में पिछड़े और गरीब तबके के लोग ज्यादा हैं और इनमें से कई लोग दूसरे राज्यों में काम कर रहे थे। वे दिवाली और छठ पूजा परिवार के साथ बिताने के लिए घर लौटे थे। इन्हीं में से एक थे महज 28 साल के मुकेश पासवान। घर के नाम पर उनके पास फूस की झोपड़ी है।

दो बच्चों के पिता मुकेश 1 नवम्बर को मेघालय से लौटे थे। बच्चे, पत्नी बहुत खुश थे, लेकिन ये खुशी 4 नवम्बर की सुबह रुदाली में तब्दील हो गई।

मुकेश की पत्नी कुसुम देवी कहती हैं,

“वे शाम को शराब पीकर आये थे और दो रोटी खाकर सो गये। कुछ देर बाद वे उठ गये और उल्टी की। फिर ये कहकर सो गये कि शराब पीने से उन्हें गैस बन गया है। सुबह दोबारा जगे और उल्टियां की। उन्हें कुछ दिखना भी बंद हो गया था।”

“तब तक गांव में हाहाकार मच गया कि शराब पीने से गांव के कई लोग मर चुके हैं। ये सुनकर हमलोग घबरा गये और उन्हें तुरंत अस्पताल ले गये, जहां उनकी मौत हो गई,”

कुसुम कहती हैं।

कुसुम ने कहा कि वे शराबी नहीं थे, शौकिया पीते थे। लेकिन किसे पता था कि ये शराब मुकेश की जान ले लेगी।

“अगर मुझे पहले मालूम होता कि शराब पीने जा रहे हैं, तो मैं उन्हें जाने नहीं देती,”

उन्होंने कहा।

कुछ ऐसी ही कहानी 30 साल के मंगनी राम की भी है। वे आठ दिन पहले ही चेन्नई से घर लौटे थे। उनके छोटे छोटे पांच बच्चे, पत्नी और बुजुर्ग माता-पिता हैं। मंगनी राम घर में इकलौता कमाने वाले थे।

3 नवम्बर की शाम को अपने गांव में ही शराब बेचने वाले दो युवकों के यहां उन्होंने शराब पी थी, इसके बाद से लगातार उल्टियां करने लगे थे।

उनकी पत्नी गुड़िया देवी कहती हैं,

“तीन नवम्बर की शाम वे पीकर आये थे, लेकिन बताया नहीं। घर आकर सो गये। हमने खाने के लिए जगाया, तो उठे, एक रोटी खाकर वापस सो गये। सुबह उठे और शौच कर लौटे, तो उल्टियां करने लगे। हमने पूछा तो कुछ नहीं बताया। इसी बीच गांव में खबर फैली गई कि शराब पीकर बहुत लोग मर रहे‌ हैं, तब जाकर उन्होंने कहा कि शाम को उन्होंने शराब पी थी। हमलोग तुरंत अस्पताल ले गये लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।”

ग़ौरतलब हो कि बिहार की नीतीश सरकार ने अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी कानून लागू किया था। इसके तहत बिहार में शराब का निर्माण, खरीद-फरोख्त और इसका सेवन कानूनन अपराध है। लेकिन सख्त कानून के बावजूद राज्य में शराब का अवैध कारोबार फूल-फल रहा है।

बिहार के मद्य निषेध, उत्पाद व निबंधन विभाग के मंत्री सुनील कुमार ने इस साल मार्च में विधानसभा में कहा था कि शराबबंदी कानून लागू होने से लेकर इस साल फरवरी तक 3 लाख 46 हजार ल़ग गिरफ्तार हो चुके हैं और 150 लाख लीटर शराब जब्त की जा चुकी है।

वहीं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट बताती है कि सूबे की 15.5 प्रतिशत बालिग आबादी शराब पीती है, जिससे पता चलता है कि बिहार में शराबबंदी विफल है। मृतकों के परिजनों ने इन मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

बच्चा यादव के एक अन्य पुत्र पवन‌ कुमार ने बताया कि प्रशासन और सरकार मिलकर शराब बिकवा रहे हैं।

“शराबबंदी से पहले कम शराब मिलती थी, लेकिन शराबबंदी के बाद ज्यादा मिलने लगी है। इन मौतों के लिए बिहार बीजेपी और जदयू जिम्मेदार हैं, क्योंकि सरकार में यही दोनों पार्टियां हैं,”

पवन ने कहा।

दक्षिण टेल्हुआ के लोगों ने पुलिस पर शराब माफिया का साथ देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस से शिकायत किये जाने के बावजूद पुलिस ने कार्रवाई नहीं की।

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