Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

भारत और नेपाल के बीच शुरू हुई मालवाहक ट्रेन सेवा

अररिया जिले के बथनाहा से नेपाल के विराटनगर तक इस रेल परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

दशकों से सड़क के लिए तरस रहा है दार्जिलिंग का ये गाँव

38 साल पहले इस सड़क के कुछ हिस्से में पत्थर डाले गये थे लेकिन तब से आज तक इसे पक्का नहीं किया गया और न ही कोई मरम्मत ही हुई। सड़क की हालत एकदम जर्जर हो चुकी है।

छह सालों से एक क्षतिग्रस्त पुल के भरोसे ग्रामीण, MP MLA से नाउम्मीद

लगभग ज़मीन में धस चूका यह पुल किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड के कांटाबाड़ी में स्थित है। मंगुरा पंचायत में आने वाला यह जर्जर पुल आधा दर्जन गांवों के लोगों के लिए प्रखंड मुख्यालय तक पहुँचने का मुख्य मार्ग है।

जर्जर बावर्चीखाने में मिड डे मील बनाने को मजबूर हैं कुक

कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय शीतलमणी के बावर्ची खाने में मध्याह्न भोजन पकाया जा रहा है। बावर्ची खाने की छत एस्बेस्टस से बनी है जो बीच में से टूट चुकी है, जिससे सूरज की रोशनी सीधे चूल्हे के पास आ रही है।

अररिया शहर के रिहायशी इलाके में डंपिंग ग्राउंड से लोग परेशान

अररिया नगर क्षेत्र के वार्ड नंबर 23 में हरियाली मार्केट कहलाने वाली यह जगह डंपिंग ग्राउंड में तब्दील हो चुकी है। हनुमान मंदिर के पास स्थित हरियाली मार्केट पर शहर के अधिकतर हिस्सों से लाए गए कचरों को फेंका जाता है।

निर्माण के दो वर्षों में ही जर्जर हुई सड़क और पुलिया हादसों को दे रही दावत

करीब 4 किलोमीटर लंबी यह सड़क सदापुर गल्लाकट्टा चौक से शेखपुरा गांव तक जाती है। 10 से अधिक गांवों के लोग इस सड़क का इस्तेमाल करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत यह सड़क 2018 में ही बनकर तैयार होनी थी लेकिन इसे 2021 में बनाया गया।

पुल न बनने पर तीन गांव के ग्रामीणों ने किया लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान

कटिहार जिले के गोगरा, ललगांव और पीरगंज गांव के लोग सालों से एक अधूरे पल के निर्माण की आस में बैठे हैं। नेताओं के खोखले वादों से तंग आकर ग्रामीणों ने पुल न बनने की सूरत में आने वाले लोकसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करने की ठान ली है।

नदी पर पुल नहीं, नेपाल की फायर बिग्रेड गाड़ी ने बुझायी किशनगंज में लगी आग

किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड में एक गांव है, जिसका नाम वोटरलिस्ट से लेकर मतदान केंद्रों की संख्या से संबंधित सरकारी कागजों में पहले नंबर पर आता है। मगर, यह गाँव आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण नेपाल से अपनी जरूरतों को पूरा करता है।

सीमांचल की बसों में यात्री बेनामी बस टिकट से यात्रा करने को मज़बूर

यात्री बसें सीमांचल की अर्थव्यवस्था का मज़बूत पाया हैं। इससे एक जिले से दूसरे जिले तक की पहुँच आसान होती है। लेकिन, इन बसों पर किराये के बदले दी जाने वाली बेनामी यात्रा टिकट एक अलग कहानी बयाँ करती है।

15 साल पहले बना शवगृह आज तक नहीं खुला, खुले में होता है अंतिम संस्कार

सहरसा नगर निगम क्षेत्र के सुबेदारी टोला में स्थित मुक्तिधाम विद्युत शव दाह गृह का निर्माण 15 साल पहले उस समय के विधायक रहे संजीव झा ने कराया था। इसमें तीन बड़े-बड़े कमरे, 6 बर्निंग शेड, ट्यूबवेल, सोलर पैनल व लाइट जैसी सभी सुविधाओं के लिए लाखों रुपये खर्च किये गये। ‌

नई पशु जन्म नियंत्रण नियमावली के लिए कितना तैयार है पूर्णिया

बीते दिनों केन्द्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण नियमावली, 2023 अधिसूचित कर दी है। यह नियमावली उच्चतम न्यायालय में दायर रिट याचिका में जारी दिशा-निर्देशों के आलोक में अधिसूचित की गई है।

विकास को अंगूठा दिखा रही अररिया की यह अहम सड़क

अररिया चांदनी चौक से लेकर कोर्ट रेलवे स्टेशन तक जाने वाली इस सड़क के बीच कई महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय भी हैं। लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण यह सड़क पिछले डेढ़ दशकों से टूटी फूटी हालत में है।

सुपौल: 16 साल से रास्ते का इंतजार कर रहा विद्यालय, सीएम का दौरा भी बेअसर

सुपौल जिले की माल्हनी पंचायत के वार्ड नंबर 10 यानी सिमरा टोला स्थित प्राथमिक विद्यालय में जाने के लिए पगडंडी वाला रास्ता है। बरसात के मौसम में उस रास्ते से जाने में काफी कठिनाई होती है।

अररिया: दशकों से बाँसुरी बेच रहे ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से वंचित

कोसी की पुरानी धार के किनारे बसा लहटोरा गांव बांसुरी वाले मोहल्ले के रूप में जाना जाता है। यहां लगभग 20 परिवार रहते हैं, ये लोग बाँसुरी बनाकर घूम घूम कर बेचते हैं।

बिहार में 45,793 जल स्रोत, लेकिन 49.8 % इस्तेमाल के लायक नहीं

बिहार में कुल 45,793 जल स्रोत हैं, जिनमें तालाब, टैंक, झील, रिजर्वायर आदि शामिल हैं, लेकिन इनमें से 49.8 प्रतिशत यानी 22799 जलाशयों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?