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पुल न बनने पर तीन गांव के ग्रामीणों ने किया लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान

कटिहार जिले के गोगरा, ललगांव और पीरगंज गांव के लोग सालों से एक अधूरे पल के निर्माण की आस में बैठे हैं। नेताओं के खोखले वादों से तंग आकर ग्रामीणों ने पुल न बनने की सूरत में आने वाले लोकसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करने की ठान ली है।

Aaquil Jawed Reported By Aaquil Jawed |
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कटिहार जिले के गोगरा, ललगांव और पीरगंज गांव के लोग सालों से एक अधूरे पल के निर्माण की आस में बैठे हैं। नेताओं के खोखले वादों से तंग आकर ग्रामीणों ने पुल न बनने की सूरत में आने वाले लोकसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करने की ठान ली है।

आज़मनगर प्रखंड की अरिहाना पंचायत में एक कच्ची सड़क गोगरा गांव को ललगांव से जोड़ती है। बीच रास्ते में एक छोटी सी बरसाती नदी की धारा है। धारा के ऊपर एक पुल बना है, लेकिन एप्रोच न होने के कारण पुल कई वर्षों से बेकार पड़ा है।

यह रास्ता आजमनगर प्रखंड और कदवा प्रखंड के सीमा क्षेत्र में है, जो दोनों प्रखंड को जोड़ता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि बरसात के दिनों में पुल के नीचे तेज रफ्तार में धारा बहती है। धारा इतनी तेज़ होती है कि नाव से भी धारा पार करना मुश्किल हो जाता है।


ग्रामीणों के अनुसार यह पुल 2014 में बना था लेकिन इसके लिए जमीन अधिग्रहण अब तक नहीं हो पाया है। जिस कारण करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया यह पुल फिलहाल प्रदर्शनी के तौर पर खड़ा है। पुल के बगल में स्थानीय ग्रामीणों ने चंदा कर डाइवर्ज़न बनाया है ताकि कम से कम सूखे मौसम में वाहनों का आवागमन हो सके।

गोगरा गांव के बुज़ुर्ग सुखदेव यादव कहते हैं कि सरकार के पास अरबों की संपत्ति है मगर पुल बनवाने और ज़मीन के मुआवज़े के लिए उसके पास पैसा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पुल न होने के कारण तेज़ धार में बहकर एक बच्चे की मौत हो गई थी। अगर सरकार 2024 से पहले पुल का निर्माण कर देती है, तो ठीक है वरना गोगरा और ललगांव के लोग एक भी वोट डालने नहीं जाएंगे।

स्थानीय निवासी अर्जून शर्मा ने बताया कि गोगरा गांव में करीब 150 घर हैं जबकि बग़ल के ललगांव में 300 घर हैं। अर्जुन आगे बताते हैं कि बिना एप्रोच वाला यह पुल 2014 में बनाया गया था, तब से यह ऐसे ही पड़ा है। कुछ दिनों पहले भी हमने एक चुनाव का बहिष्कार किया तो नेताओं ने आकर खूब आवश्वासन दिया था लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। गांव के लोगों ने मिलकर पुल के पास से एक डाइवर्ज़न बनवाया है लेकिन बरसात में वहां गाड़ियां नहीं चल पाती हैं।

गोगरा निवासी राजेन्द्र मंडल बताते हैं कि जब इंजीनियर पुल की नपाई कर रहा था तो ग्रामीणों ने कहा था कि पुल के आकार को टेढ़ा रख कर सरकारी जमीन पर ही बनाया जाए लेकिन इंजीनियर नहीं माना। पुल के आगे की 12 डिसमिल की ज़मीन किसी दूसरे व्यक्ति की है, जो ज़मीन देने को तैयार नहीं है। राजेंद्र ने आगे कहा कि बरसात के मौसम में यहां पानी भर जाने से फ़सल ले जाने में बहुत दिक्कतें पेश आती हैं।

ललगांव निवासी लक्ष्मण कुमार कहते हैं कि उन्हें और गांव के बाकी लोगों को बरसात में राशन लेने के लिए 16 किलोमीटर घूम कर पंचायत जाना पड़ता है। स्थानीय विधायक निशा सिंह और बाकी नेताओं से गुहार लगाई गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला । वह आगे कहते हैं कि अगर पुल निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो सारे गांव वासी प्रदर्शन करेंगे और आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

स्थानीय निवासी मुकेश कुमार मंडल ने कहा कि पुल न होने के कारण गोगरा, ललगांव और पीरगंज गांव के लोग बड़ी कठिनाइओं का सामना करते हैं। सबसे अधिक मुश्किल अस्पताल आने जाने में होती है। सड़क और पुल न होने से गंभीर रूप से बीमार लोग अस्पताल पहुँचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। कई बार अस्पताल ले जाते समय गर्भवती महिलाओं के मिसकैरेज की घटनाएं भी हुई है।

पुल न बनने से नाराज़ ग्रामीणों से बात करने के बाद हमने पुल निर्माण निगम कटिहार के कार्यपालक अभियंता जवाहर प्रसाद से बात की। उन्होंने कहा कि 2013-14 में पुल निर्माण से पूर्व जमीन की पैमाइश की गई थी। जिन लोगों से पुल निर्माण कार्य के लिए जमीन ली जानी थी, उन जमीन मालिकों की जमीन की रकम भू अर्जन विभाग में जमा कर दी गई थी।

फिर एक नया फॉर्मेट आया जिसमें जमीन मालिकों की जमीन की रजिस्ट्री करानी थी लेकिन सरकार द्वारा निर्धारित जमीन की दर को जमीन मालिकों ने स्वीकार नहीं किया। बाद में इसके लिए 7 सदस्यों की एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया। कमिटी ने फिलहाल इससे संबंधित रिपोर्ट विभाग को दे दी है।

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Aaquil Jawed is the founder of The Loudspeaker Group, known for organising Open Mic events and news related activities in Seemanchal area, primarily in Katihar district of Bihar. He writes on issues in and around his village.

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