किशनगंज के आशा लता मध्य विद्यालय के निकट स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय भी जर्जर हालत में है। इस स्कूल की स्थापना सन 1949 में हुई थी।
महानंदा नदी ने इस कदर कहर ढाया कि उस जगह पर सिर्फ टूटी सड़कें, दलदल, रेत और स्कूल के सामने कभी लहलहा रहे पीपल के पेड़ के अवशेष बचे हैं।
1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सैनिकों के इस्तेमाल के लिए इस हवाई पट्टी का निर्माण भागलपुर सेंट्रल जेल के कैदियों द्वारा कराया था।
चार साल पहले अस्तित्व में आए सीमांचल के इकलौते पूर्णिया विश्वविद्यालय का अपना पुस्तकालय-भवन नहीं है।
बिजली विभाग और जीएमसीएच पूर्णिया के सीनियर अधिकारियों की काग़ज़ी औपचारिकताओं के पेंच में क्लास रूम, ऑफिस और अन्य कमरों की बिजली सुविधाएं फंस कर रह गई हैं।
प्रखंड मुख्यालय दिघलबैंक पहुंचे ग्रामीणों ने सीओ दिघलबैंक को समस्या से अवगत कराते हुए कहा कि बहादुरगंज दिघलबैंक मुख्य सड़क स्टेट हाइवे-99 से करीब 700 मीटर की दूरी पर बहादुरा बस्ती गाँव बसा हुआ है।
कटिहार जिले के बलरामपुर प्रखंड मुख्यालय के प्रांगण में बिजली विभाग के खिलाफ सैकड़ों ग्रामीणों की भूख हड़ताल और आमरण अनशन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा है। प्रदर्शनकारियों में महिलाओं की भी काफी संख्या है।
छत्तरगाछ पंचायत के मीरामनी पूल से लेकर बाभनगछ होते हुए सिंघीमारी आदिवासी टोला तक जाने वाली लगभग 4 किलोमीटर लंबी सड़क जर्जर होने से लगभग दस हजार की आबादी हलकान है।
शास्त्रीनगर में एक पुरानी तीन मंजिली बिल्डिंग के भीतर पांच अकादमियां - भोजपुरी अकादमी, मगही अकादमी, मैथिली अकादमी, संस्कृत अकादमी और बांग्ला अकादमी चल रही हैं।
कोसी क्षेत्र के प्रसिद्ध डॉक्टर पीके मल्लिक ने सुपौल के गणपतगंज की भूमि पर वैष्णव धर्म की शुरुआत करते हुए विष्णु धाम यानी वरदराज पेरुमल देवस्थान बनाने की शुरुआत की।
किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत जहांगीरपुर पंचायत के वार्ड संख्या पांच और छह को मिलाकर बने सात टोलों के गाँव महिसमारा हिन्दू बस्ती में सरकार की महत्वाकांक्षी सड़क योजना 17 बरस बाद भी उतरने में नाकाम रही है।
किशनगंज के मोतीबाग में एक हराभरा मैदान हुआ करता था, जो देखते ही देखते डम्पिंग ग्राउंड में तब्दील हो गया। इस डम्पिंग ग्राउंड के चलते आसपास रहने वाले लोग काफी परेशान हैं।