अररिया नगर परिषद के वार्ड नंबर 20 के रहने वाले मो मंजूर आलम आवास योजना के लाभुक हैं, लेकिन उन्हें दो साल में सिर्फ एक किस्त मिली है।
बस स्टैंड का प्रबंधन स्थानीय स्वशासी संस्थाएँ जैसे नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम की जिम्मेदारी है। ये सभी संवैधानिक संस्थाएँ हैं, जिसका संविधान के भाग नौ (अ) में प्रावधान किया गया है।
नेपाल सीमा पर बसा अररिया जिले का महादलित गाँव ग्वारपुछरी आज भी एक अदद सड़क के लिए तरस रहा है, इस गाँव में जाने के लिए गड्ढों से भरी करीब ढाई किलोमीटर लम्बी कच्ची सड़क ही एक मात्र साधन है।
जिले के भरगामा प्रखंड स्थित एक मात्र महाविद्यालय अब खंडहर में तब्दील हो गया है। साथ ही, महाविद्यालय की जमीन पर भूदाता के परिजनों ने कब्जा कर रखा है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत विकास कार्य के लिए कटिहार के पूर्व सांसद तारिक अनवर ने निमौल गांव का चयन किया था, लेकिन इसके बावजूद गांव की बदहाली जस की तस बनी रही।
सीएम नीतीश कुमार ने इथेनॉल प्लांट उद्घाटन करते हुए बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग फिर से दोहराया है। उन्होंने कहा कि बिहार पिछड़ा राज्य है लेकिन आर्थिक विकास दर सबसे तेज है।
जर्जर हो चुकी गड्ढों से भरी एक सड़क नेशनल हाईवे 27 डंगरा पुल से कटिहार ज़िले के बालूगंज होते हुए पूर्णिया ज़िले के पुरानागंज तक जाती है। पिछले पांच सालों से करीब पांच किलोमीटर तक यह सड़क इसी हाल में है।
बारसोई प्रखंड की चांदपाड़ा पंचायत में महानंदा नदी की एक सहयोगी धारा खुड़ा धार पर बांस के बने पुल से हर घंटे सैकड़ों लोग पैदल या दो पहिया वाहनों को लेकर गुज़रते हैं।
सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड की खजूरी पंचायत स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय के बच्चे रोज़ाना खुले आसमान के नीचे चिलचिलाती धुप में पढ़ाई करते हैं।
नौहट्टा प्रखंड के चंद्रायण रेफरल अस्पताल का सारा काम खंडहरनुमा इमारत में हो रहा है। अस्पताल की हालात इतनी भयावय है कि शाम के समय लोग इलाज के लिए आने से कतराते हैं।
स्कूल चारों तरफ से खुला है और टिन का छप्पर भी जर्जर हो चला है। बिना डेस्क और बेंच के इस स्कूल में रोज़ाना दर्जनों बच्चे आकर तालीम हासिल करते हैं।
24 जून 2018 को बुधरा आमबाड़ी के पास डोंक नदी पर एक पूल का शिलान्यास किया गया था। शिलान्यास हुए लगभग 5 साल होने वाले हैं, लेकिन अभी तक पुल का निर्माण पूरा नहीं हुआ है।
सड़क की नापी कर रहे विभाग के जेई ने बताया कि सड़क की नापी के बाद डीपीआर बनाया जाएगा और विभागीय प्रक्रियाओं के बाद सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू किया जाएगा।
प्रदीप सिंह ने जहां पूर्णिया एयरपोर्ट चालू नहीं होने देने के लिए बिहार की महागठबंधन सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं, दुलालचंद्र गोस्वामी ने इसका दोष केंद्र सरकार के मत्थे मढ़ा।
रास्ता कच्चा होने के कारण यहां के किसानों को अपनी फसल बाजार तक ले जाने के लिए उसे सिर पर रखकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है।