फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर 14 साल बाद ट्रेन परिचालन की उम्मीद जगी है। फारबिसगंज नरपतगंज से कोसी और मिथिलांचल तक रेलवे ट्रैक बिछाने का काम पूरा हो चुका है।
सन 1883 में तत्कालीन खगड़ा नवाब सैय्यद अता हुसैन ने पूर्णिया के अंग्रेज़ अधिकारी ए. वीक्स के सहयोग से खगड़ा मेला की बुनियादी नींव रखी थी।
सीमांचल के किशनगंज जिले में आज भी कुछ महादलित परिवार ऐसे हैं जिनके लिए शौचालय निर्माण तो करवाया गया, लेकिन सिर्फ नाम के लिए।
हावड़ा से एनजीपी तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हावड़ा स्टेशन पर हरी झंडी दिखाई।
दार्जिलिंग जिला अंतर्गत सोम फाटक से बालुवास तक जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। यह 9 KM लंबी मुख्य सड़क 10 से 12 गांवों की करीब साढे 5000 जनसंख्या के लिए आने-जाने का एकमात्र साधन है।
कटिहार नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 25 में स्थित अंबेडकर कॉलोनी की स्थिति पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है और यहां लोग जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर हैं।
बारसोई अनुमंडल 1450 वर्ग KM में फैला एक प्रमुख अनुमंडल है जिसकी सीमाएं पश्चिम बंगाल से जुड़ती हैं। इस अनुमंडल के चारों प्रखंडों में अगलगी की घटनाएं कटिहार जिले में सबसे ज्यादा होती है।
कदवा प्रखंड अंतर्गत महानंदा नदी के पूर्वी हिस्से के पंचायतों के लोग दशकों से बलिया बेलौन को प्रखंड बनाने की मांग कर रहे हैं।
जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए, नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता को प्रेम पुल पर रेलिंग लगाने का निर्देश दिया।
स्थानीय छात्र आदित्य ने बताया कि पहले वह इसी स्कूल में पढ़ा करता था। 6 साल पहले आदित्य ने स्कूल जाना छोड़ दिया था। उसके अनुसार तब से अब तक स्कूल का हाल वैसा ही है।
फारबिसगंज अनुमंडल की मटियारी पंचायत के भट्टाबाड़ी स्थित इस महाविद्यालय का भवन पूरी तरह से खंडहर हो चुका है।
बरचौन्दी पंचायत के आस पास के गाँवों के निवासी स्वास्थ केंद्र सक्रिय न होने से झोलाछाप डॉक्टरों से दवाइयां लेने के आदी हो गए हैं।
अररिया को जिले का दर्जा 1990 में मिला, तो शहर के साथ सरकारी भवनों में भी कई बदलाव आए। लेकिन 32 साल बाद भी अररिया शहर को एक सार्वजनिक शौचालय नहीं मिल पाया।
मनिहारी विधायक मनोहर प्रसाद सिंह ने जल संसाधन विभाग को एक पत्र लिखकर कहा कि ट्विटर पर डाले गए तथ्य सत्य से परे और भ्रामक हैं और वहां कराए गए बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य बिलकुल असुरक्षित हैं।
हाई स्कूल बिल्डिंग का निर्माण कार्य वर्ष 2015 के आसपास शुरू किया गया था, लेकिन 7 साल गुजर जाने के बावजूद आज तक बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।