बिहार के कटिहार जिले का बारसोई अनुमंडल 1450 वर्ग किलोमीटर में फैला एक प्रमुख अनुमंडल है जिसकी सीमाएं पश्चिम बंगाल से जुड़ती हैं। इस अनुमंडल के चारों प्रखंडों में अगलगी की घटनाएं कटिहार जिले में सबसे ज्यादा होती है।
जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर बारसोई बाजार में अनुमंडल का एकमात्र अग्निशमन कार्यालय है, जिस पर बार-बार यह आरोप लगता है कि क्षेत्र में जब भी आग लग जाती है तो समय पर दमकल की गाड़ियां नहीं पहुंचती हैं, इसलिए बारसोई अनुमंडल के आजमनगर, सालमारी, कदवा और बलिया बेलौन की जनता वर्षों से स्थाई दमकल की मांग कर रही है।
इसको लेकर हमने पिछले 2 महीनों में घटने वाली अगलगी की कुछ प्रमुख घटनाओं को मॉनिटर किया और इन घटनाओं को लेकर अग्निशमन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी नजर रखी, तो हमें कई तरह की खामियां नजर आईं, जिस कारण दमकल की गाड़ियां समय पर घटनास्थल पर नहीं पहुंच पाती हैं।
हमारी पड़ताल में मालूम हुआ कि न केवल अगलगी की घटनाओं में दमकल की गाड़ियां लेट से पहुंचती हैं बल्कि सरकारी रिकाॅर्ड में अगली से हुए असल नुकसान के आंकड़े भी छिपाए जाते हैं।
अगलगी की कुछ घटनाएं
सड़क के किनारे जले हुए घर का मलबा पड़ा है। रजाइयां और कंबल आधी जली अवस्था में पड़े हैं। हर दिन मजदूरी पर जाने के लिए इस्तेमाल होने वाली साइकिल पूरी तरह जल चुकी है आधे जले बक्से, चौकी, चारपाई, अलमारी आदि इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। आधी जली हुई चौकी पर एक विकलांग औरत बैठी रो रही है। उनके हाथ में एक स्मार्टफोन है, जो आधा जल गया है। बार-बार आधे जले बक्से की तरफ वह देख रही है जिसमें रखा डेढ़ भरी सोना भी जल गया है। पंचायत के मुखिया द्वारा दी गई प्लास्टिक से रात गुजारने के लिए टेंट बनाया गया है।
यह दृश्य कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड मुख्यालय और आजमनगर थाना से लगभग डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित काजीपुरा गांव के हैं। इस गांव में बीते 1 दिसंबर को आग लग गई थी, जिसमें 5 परिवार मो. अरमान, मो रहमान, फजीलन निशा और मजहर के 8-10 घर जलकर राख हो गए थे।
घटना दिन में लगभग 2 बजे हुई थी। आनन-फानन में स्थानीय थाना और अग्निशमन कार्यालय को खबर दी गई। लेकिन दमकल पहुंचते-पहुंचते सब कुछ राख हो गया था। ग्रामीणों द्वारा पूरी तरह आग बुझा दी गई थी।
पीड़ित परिवार वालों ने कहा कि सब कुछ खत्म हो जाने और आग बुझा देने के बाद दमकल की गाड़ी आई और राख में पानी का छिड़काव करने लगी।
इस बारे में अनुमंडल अग्निशमन कार्यालय बारसोई का कहना है कि घटनास्थल की दूरी यहां से लगभग 35 किलोमीटर है। दमकल विभाग का दावा है कि उसने 50% घर और सामान को बचाया है, जबकि हकीकत यह है कि 5% सामान भी नहीं बचा था।
दूसरा दृश्य आजमनगर प्रखंड की गायघट्टा पंचायत अंतर्गत निमौल गांव का है, जहां 8 दिसंबर की रात लगभग 11 बजे अचानक आग लग गई थी। इस घटना में 5 परिवारों के घर जलकर राख हो गए। पीड़ित परिवारों में अब्दुल वाहिद, अब्दुल समद, मो. अख्तर, मो. सोहेल और मो. शाहिद के घर जलकर राख हो गए। इस अगलगी में एक मारुति कार, एक ट्रैक्टर, छह बीघा खेत का कई क्विंटल धान, पोआल (पराली), दूध देने वाली गाय और बछड़ा भी जल गए।
ग्रामीणों के अनुसार, लगभग रात 11 बजे अचानक आग लग गई जिसके बाद हल्लागुल्ला कर पीड़ित परिवार को जगाया गया।
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तत्काल बारसोई के अनुमंडल अग्निशमन कार्यालय में सूचना दी गई, लेकिन अग्निशमन विभाग की गाड़ी और लोग समय पर नहीं पहुंच पाए जबकि घटनास्थल से अग्निशमन कार्यालय की दूरी सिर्फ 15 किलोमीटर के आसपास है।
ग्रामीणों की मदद से आग बुझाने की कोशिश की गई लेकिन तब तक 5 परिवारों के घर और लाखों की संपत्ति खाक हो गई थी।
घटना के बाद आजमनगर के अंचलाधिकारी संजय कुमार ने घटनास्थल का जायजा लिया और स्थिति को देखने के बाद पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सरकारी मुआवजा दिया जाएगा।
तीसरा दृश्य कदवा प्रखंड के बलिया बेलौन थाना क्षेत्र अंतर्गत भैंसबंधा गांव का है, जहां बीते 21 अक्टूबर को दोपहर में आग लग गई थी। इसमें 4 परिवारों के कई घर जल गए थे। कुछ परिवार ऐसे थे जिनका कुछ नहीं बचा।
इस घटना के बारे बारसोई अनुमंडल कार्यालय के रजिस्टर में दर्ज आंकड़े वास्तविकता से अलग हैं। इसमें कार्यालय ने 70% घर जलने और 30% को दमकल पहुंचने के बाद बचा लिए जाने की बात लिखी है।
जबकि घटना के विषय में स्थानीय मुखिया द्वारा थाना और अग्निशमन विभाग को खबर दी लेकिन बारसोई से 34 किलोमीटर का सफर तय करते हुए जब तक दमकल की गाड़ियां घटनास्थल तक पहुंचीं, तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था और आग बुझ चुकी थी।
स्थानीय मुखिया मारूफ अहसन ने कहा कि दमकल पहुंचते-पहुंचते ग्रामीणों द्वारा आग बुझा दिया गया था। उन्होंने मांग की कि दमकल बहुत दूर से आती है इसलिए बलिया बेलौन थाने में स्थाई दमकल गाड़ियां दी जाए।
वहीं, कदवा प्रखंड के कुम्हड़ी गांव में 28 अक्टूबर को अगलगी की घटना हुई थी, जिसमें काफी नुकसान हुआ था, जबकि अनुमंडल कार्यालय के रजिस्टर में सिर्फ 85 प्रतिशत घर जल जाने की बात दर्ज है। घटनास्थल की दूरी कार्यालय से लगभग 40 किलोमीटर है इसलिए दमकल पहुंचते-पहुंचते काफी समय लग जाता है।
बारसोई की कमरौल पंचायत अंतर्गत कस्बा टोली गांव में हुई अगलगी की घटना के बारे में अग्निशमन विभाग के रजिस्टर में 60% घर जलने और 30% सामान को बचा लेने की बात लिखी है। घटनास्थल कार्यालय से 30 किलोमीटर दूर है।
सभी घटनाओं की वास्तविकता रजिस्टर में दर्ज जानकारी से मेल नहीं खाती हैं।
असल नुकसान के मुकाबले सरकारी रिकॉर्ड में कम नुकसान दर्ज करने से पीड़ित परिवारों को सही मुआवजा भी नहीं मिल पाता है। आरोप तो यह भी है कि कम मुआवजा देना पड़े, इसलिए सरकारी रिकॉर्ड में कम नुकसान दिखाया जाता है।
अखबार देते हैं भ्रामक जानकारी
आजमनगर के स्थानीय समाजसेवी नवाज़ शरीफ़ का कहना है कि क्षेत्र में जितनी भी अगलगी की घटनाएं हो रही हैं, उन सब में अखबारों की भूमिका भ्रामक होती है क्योंकि जमीनी हकीकत से परे अखबारों के आर्टिकल छापे जाते हैं। अगलगी की हर घटना के बाद दूसरे दिन के अखबार में यह लिखा जाता है कि दमकल आने के बाद आग पर काबू पाया जा सका जबकि हकीकत में दमकल समय पर नहीं पहुंच पाती है। वजह यह है कि आजमनगर और बलिया बेलौन की दूरी बारसोई से लगभग 30 किलोमीटर से भी ज्यादा है और दमकल आने तक सब कुछ राख हो जाता है। वर्षों से आजमनगर, सालमारी, बलिया बेलौन और कदवा क्षेत्र में स्थाई दमकल देने की मांग की जा रही है लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
“अगलगी की घटनाओं में पीड़ित परिवार के आवासीय घर जल जाने पर सरकार की तरफ से सिर्फ ₹9800 दिए जाते हैं, जो काफी हास्यास्पद है क्योंकि इस महंगाई में सिर्फ ₹9800 से घर की चारदीवारी भी नहीं बन पाएगी,” उन्होंने कहा।
चार प्रखंड के कई लाख आबादी के लिए सिर्फ चार दमकल
मौजूदा समय में बारसोई के अनुमंडल अग्निशमन कार्यालय के पास दमकल की सिर्फ चार गाड़ियां हैं। दो बड़ी गाड़ियों में 4500 लीटर और 3000 लीटर पानी की क्षमता है। इसके अलावा बलरामपुर और कदवा थाने में 350 लीटर क्षमता वाली एक-एक गाड़ी मौजूद है।
बारसोई अनुमंडल के चारों प्रखंड की आबादी की अगर बात की जाए, तो 2011 की जनगणना के अनुसार बारसोई प्रखंड की कुल जनसंख्या 344133, आजमनगर ब्लॉक की कुल आबादी 315610, बलरामपुर प्रखंड की कुल आबादी 158976 और कदवा प्रखंड की कुल जनसंख्या 346,902 है।
एक कर्मचारी ने बताया कि कटिहार सदर में दमकल की 10-11 गाड़ियां हैं, लेकिन बारसोई अनुमंडल में दमकल की सिर्फ चार गाड़ियां हैं, जबकि बारसोई अनुमंडल क्षेत्र में कटिहार के अपेक्षा बहुत ज्यादा अगलगी की घटना होती है। बहुत सारी घटनाएं ऐसी होती हैं, जिनकी हमें सूचना नहीं मिल पाती है, क्योंकि बारसोई क्षेत्र के लोग कम पढ़े लिखे हैं।
“वैसे भी हम लोगों को ऊपर से कहा गया है कि पराली, जलावन में आग लग जाने जैसी छोटी मोटी घटनाएं रजिस्टर में दर्ज न की जाएं। इसके बावजूद कटिहार जिले में सबसे ज्यादा आग बारसोई क्षेत्र में ही लगती है और दमकल गाड़ी की संख्या काफी कम है,” उन्होंने कहा।
अनुमंडल अग्निशमन कार्यालय के पास खुद का भवन नहीं
मामले को और समझने के लिए जब हम बारसोई बाजार स्थित अनुमंडल अग्निशमन कार्यालय पहुंचे, तो वहां की स्थिति चिंताजनक थी। कार्यालय के पास खुद का भवन नहीं है जिसकी वजह से बारसोई नगर पंचायत के भवनों में दमकल के कर्मचारी और बाकी लोग किसी तरह रहते हैं। अनुमंडल अग्निशमन कार्यालय के पास पानी भरने के लिए खुद का पंप भी नहीं है। उन्हें दूसरी जगह से वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ती है।
कर्मचारियों के रहने के लिए भी कोई खास व्यवस्था नहीं दिखी। एक सिपाही ने कहा, “बारसोई कार्यालय में रहने की व्यवस्था फिर भी ठीक है। यहां पर चौकी की व्यवस्था है लेकिन कदवा और बलरामपुर थाने में रह रहे अग्निशमन कर्मियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। थाने में चौकी की व्यवस्था नहीं है। जमीन पर सोना पड़ता है। जल्दी कोई स्थाई समाधान हो जाए तो कर्मचारियों के लिए अच्छा रहेगा हम लोग ठीक से सेवा भी दे पाएंगे।”
बारसोई क्षेत्र में क्यों लगती है इतनी आग
अनुमंडल अग्निशमन विभाग के अधिकारी रामनिवास पांडे के अनुसार बारसोई क्षेत्र में बहुत ज्यादा अगलगी की घटना होती है जिसका मुख्य कारण है अज्ञानता और लापरवाही। रामनिवास पांडे ने बताया कि यहां के लोग मवेशी पालते हैं और मच्छर भगाने के लिए मवेशी के पास धुआं करते हैं और सो जाते हैं कभी-कभी खरपतवार में आग लग जाती है और आग काबू से बाहर हो जाती है। कई मवेशी इस तरह से मारे जाते हैं।
इसके अलावा अग्निशमन कर्मियों के अनुसार बारसोई क्षेत्र में धान और खरपतवार वाले अनाज की काफी खेती होती है। ज्यादातर किसान सड़क पर ही पुआल और खरपतवार अवैध तरीके से सुखाते हैं। सड़क पर बिजली के खंबे होते हैं जिसमें 11000 वोल्ट की बिजली रहती है। कभी-कभी शॉर्ट सर्किट की वजह से चिंगारी नीचे गिरती है और आग लग जाती है।
खरपतवार को रोड पर सुखाने से गाड़ियों की गति भी धीमी हो जाती है और सड़क छोटी होने के कारण दमकल को घटनास्थल तक पहुंचने में काफी असुविधा होती है।
समय पर क्यों नहीं पहुंच पाती दमकल की गाड़ियां
बारसोई अनुमंडल क्षेत्र में जब भी आग लगती है, तो दमकल पर सवाल उठता है कि दमकल हमेशा लेट से क्यों पहुंचता है। इस बारे में विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों का कहना है कि बारसोई कटिहार जिले का एक प्रमुख हिस्सा है जिसकी सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है लेकिन यहां की सड़कें जरूरत से ज्यादा छोटी हैं।
समय पर घटनास्थल पर नहीं पहुंच पाने का सबसे बड़ा कारण बारसोई अनुमंडल क्षेत्र की सड़कें हैं। अनुमंडल से जिला मुख्यालय जाना हो या अनुमंडल कार्यालय से किसी भी प्रखंड को जोड़ने वाली सड़क हो, इन सड़कों की चौड़ाई इतनी कम है की दो गाड़ियां मुश्किल से पार होती हैं।
“दमकल की बड़ी गाड़ियों में 3000 से 4000 लीटर पानी भरा रहता है और उन्हें काफी स्पीड में घटनास्थल तक पहुंचना होता है लेकिन सड़कों की चौड़ाई कम और सड़कों पर काफी ट्रैफिक होने के कारण गाड़ियां समय पर नहीं पहुंच पाती हैं। हम चाह कर भी घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाते हैं,” राम निवास स पांडे ने कहा।
वह आगे कहते हैं, “हमलोग मजबूर हैं सड़कों की चौड़ाई तो हम बढ़ा नहीं सकते। हमें लगता है कि बिहार में सबसे ज्यादा छोटी सड़कें बारसोई अनुमंडल में ही हैं। सायरन की आवाज सुनने के बावजूद यहां के टेंपो चालक और मोटरसाइकिल चालक रास्ता नहीं देते हैं। फिर भी जब से हमने बारसोई में पद संभाला है कोई नकारात्मक शिकायत या सूचना के बाद घटनास्थल पर नहीं पहुंचने की शिकायत नहीं आई है।”
गाड़ियों की संख्या बढ़ाने के बारे में रामनिवास पांडेय कहते हैं कि जब से हमारे नए डीजी साहब आए हैं, तब से अग्निशमन विभाग को हाईटेक बनाने की तैयारी चल रही है। बारसोई कार्यालय को भी हाईटेक बनाने और गाड़ियों की संख्या बढ़ाने के लिए हमने ऊपर तक बात पहुंचाई है। भविष्य में जल्द ही बारसोई अनुमंडल में अग्निशमन विभाग का एक हाईटेक ऑफिस बनेगा।
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