अररिया: फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर 14 साल बाद ट्रेन परिचालन की उम्मीद जगी है। फारबिसगंज नरपतगंज से कोसी और मिथिलांचल तक रेलवे ट्रैक बिछाने का काम पूरा हो चुका है इसको लेकर नरपतगंज से फारबिसगंज रेलखंड पर स्पीडी ट्रायल किया गया। 100-130 की रफ्तार से रेल इंजन चलाकर स्थिति का जायजा लिया गया। इस कारण फारबिसगंज के इलाके के लोगों में उम्मीद जगी है कि देर ही सही फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर आमान परिवर्तन कार्य 14 साल बाद पूरा हो जाएगा।
फारबिसगंज के करीब सीताधार पुल से पहले बाईपास निर्माण कार्य एनएफ रेलवे द्वारा किया जा रहा है। एनएफ रेलवे द्वारा किए जा रहे धीमी गति के कार्य से स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है। लोगों का मानना है कि जिस रफ्तार से काम चल रहा है इस से साफ लग रहा है की अगले साल मार्च अप्रैल तक ट्रेन का परिचालन शुरू हो सकना मुश्किल है। इस दिशा में हो रहे कार्य रेलवे अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की घोषणा महज खानापूर्ति लग रही है। जिस तरह से कार्य हो रहा है उससे जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
इसके पूर्व में नवंबर के अंत तक या दिसंबर के प्रथम सप्ताह से नरपतगंज-फारबिसगंज वाले हिस्से को चालू कर सहरसा से फारबिसगंज तक ट्रेन दौड़ाने की योजना थी, जिसे अधिकारियों द्वारा जनवरी तक होने की बात कही जा रही है। लेकिन यह संभव होता नहीं दिख रहा है। पहले इस साल के अंत तक इस रेलखंड को जोड़ने की बात कही जा रही थी। रेलवे सूत्रों की मानें तो लगभग 75 लाख की लागत से सीताधार पुल से पहले सहरसा रेलखंड के लिए बाईपास का निर्माण किया जा रहा है। इस कार्य के धीमी गति से चलने से लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। इस सब कार्य के पूरा होने के बाद सीआरएस से हरी झंडी मिलते ही रेलवे बोर्ड ट्रेन परिचालन की तिथि और समय सारणी तय करेगा।
जानकारों की मानें तो रेलवे बोर्ड और पूर्व मध्य रेल प्रशासन ने नवंबर माह में ही नरपतगंज-फारबिसगंज नवनिर्मित रेलखंड को कोसी व मिथिलांचल से जोड़ने के लिए समय सीमा तय की थी। इसको लेकर रेल निर्माण विभाग पटरी पर गिरायी गयी गिट्टी की मजदूरों से पैकिंग कराने का काम करा रहा है। नरपतगंज फारबिसगंज रेलखंड पर स्पीडी ट्रायल बीते सोमवार को हो गया। रेलवे के अधिकारी आरके मिश्रा ने बताया कि फारबिसगंज स्टेशन तक कनेक्टिविटी बहाल करने का काम एनएफ रेलवे द्वारा किया जा रहा है जो जल्द ही शुरू हो जाएगा।
प्लेटफॉर्म बनाने में लेटलतीफी
फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर फारबिसगंज स्टेशन जंक्शन के रूप में है और औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यह स्टेशन काफी बड़ा बनाया गया है। लेकिन, फारबिसगंज रेलवे स्टेशन पर भी प्लेटफार्म निर्माण कार्य में काफी धीमी गति देखी जा रही है। अभी भी प्लेटफार्म पर कार्य अधूरा पड़ा है।
कई जगह पर प्लेटफार्म पर गड्ढे हैं, जिससे अभी ट्रेन नहीं रुक रही है। लेकिन जिस तरह से रेलवे अधिकारियों का कहना है कि कुछ दिनों में ट्रेन परिचालन शुरू हो जाएगा तो इससे प्लेटफार्म का इस्तेमाल भी चालू हो जाएगा। लेकिन अभी तक इनका निर्माण पूरा नहीं किए जाने से स्थानीय लोग काफी चिंतित है।
2008 की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुआ था रेलवे लाइन
2008 में नेपाल के कुसहा बांध के टूट जाने से अररिया जिले के कई प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हुए थे। इस बाढ़ से दर्जनों की संख्या में गांव बह गए थे। अगस्त महीने में आई इस बाढ़ में नरपतगंज, सुपौल का रेलवे लाइन जो सहरसा की ओर जाती है, उसे कोसी नदी की बाढ़ ने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था। कई जगहों पर रेलवे के ट्रैक, पुल, पुलिया नदी में समा गए थे। इस प्रलयंकारी बाढ़ में आम लोगों के साथ भारतीय रेल को भी काफी नुकसान पहुंचाया था। लोगों के आवागमन का लगभग सारा साधन समाप्त हो गया था। सड़कें बह गई थीं।
इस क्षतिग्रस्त रेल लाइन को मरम्मत का कार्य 14 साल पहले शुरू किया गया था। लोगों को आस जगी थी कि यह कार्य कुछ ही सालों में पूरा हो जाएगा। लेकिन ऐसा हो ना सका और धीमी गति से कार्य होने के कारण आज तक इस रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो पाया।
पिछले साल से इस रेलखंड पर जनप्रतिनिधियों व लोगों के दबाव के कारण कार्य कुछ तेज हुआ है। लेकिन कई बार ट्रेन के ट्रायल करने के बावजूद अभी तक इस रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन शुरू नहीं हो पाया है। 2022 में भी इस ट्रैक पर कई बार इंजन को दौड़ाया गया था और लोगों को आश्वासन दिया गया था कि 2023 के जनवरी महीने में इस रेलखंड पर यात्री ट्रेन के साथ परिचालन शुरू हो जाएगा। लेकिन अभी भी कार्य धीमी गति से है।
इस रेलवे लाइन के चालू होने के फायदे
सहरसा फारबिसगंज रेलखंड पर ट्रेन परिचालन से कोसी मिथिलांचल के लोग फारबिसगंज, जोगबनी, कटिहार जाने वाली ट्रेन से आवाजाही कर सकेंगे। साथ ही फारबिसगंज रेलवे स्टेशन से पटना और दिल्ली जैसे महानगरों के लिए भी ट्रेन खुलने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे जिले के हजारों मजदूर जो दूसरे प्रांतों में जाने के लिए कटिहार अन्य स्टेशन पर ट्रेन पकड़ते हैं, उनके लिए यहां से रास्ता सुगम और आसान हो जाएगा।
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रेल मंत्रालय की ओर से मिली जानकारी के अनुसार कुछ ऐसी ट्रेनें भी चलाई जाएंगी, जो निम्न स्तर के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होगा।
फारबिसगंज के सामाजिक कार्यकर्ता वाहिद अंसारी ने बताया कि फारबिसगंज सहरसा रेल परिचालन शुरू हो जाने से इस इलाके के साथ-साथ छोटे-छोटे गांव में भी उद्योग का विकास होगा। क्योंकि इस इलाके में अभी भी यातायात की कोई विशेष सुविधा नहीं है। बड़े शहरों तक आने के लिए सड़कों का निर्माण तो किया गया है। लेकिन ग्रामीण इलाके से लोग अपने रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कोई कार्य नहीं कर पा रहे हैं।
“फारबिसगंज और सहरसा रेलखंड पर कई छोटे-छोटे स्टेशन हैं, जहां से लोग अपने रोजमर्रा के व्यवसाय को बढ़ावा दे सकते हैं। यह रेल परिचालन लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होगा। लेकिन धीमी गति कार्य होने के कारण लोगों में थोड़ी मायूसी भी है। लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही इस रेलखंड पर परिचालन बहाल हो जाएगा,” उन्होंने कहा।
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