पिछले दिनों सोशल मीडिया पर बिहार के अररिया जिले के जमुआ पंचायत स्थित फुलवारी नई टोला वार्ड नंबर 3 स्थित प्राथमिक विद्यालय भवन की तस्वीरें वायरल हुईं। यह विद्यालय टीन शेड के नीचे चल रहा है। यहाँ बच्चे बोरे बिछा कर ज़मीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं। स्कूल में बैठने को न बेंच हैं न पढ़ने को ब्लैकबोर्ड। स्कूल के प्रांगण में चारदीवारी नहीं है, केवल बांस की चचरी से प्रांगण को घेरा गया है जो जर्जर हो चुकी है।
स्थानीय ग्रामीण जयप्रकाश मंडल बताते हैं कि 2013 में स्कूल को जमीन ग्रामीणों के सहयोग से दी गई थी। स्कूल की जमीन की रजिस्ट्री भी ग्रामीणों ने कराई थी जिसके बाद जमीन स्कूल को सौंप दी गई। स्कूल को फुलवारी स्थित स्कूल में टैग करने की बात कही गई, जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह स्कूल फुलवारी में टैग किया गया, तो बच्चों को पढ़ने के लिए 4-5 किलोमीटर दूर जाना होगा।
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स्थानीय छात्र आदित्य ने बताया कि पहले वह इसी स्कूल में पढ़ा करता था। 6 साल पहले आदित्य ने स्कूल जाना छोड़ दिया था। उसके अनुसार तब से अब तक स्कूल का हाल वैसा ही है।
स्कूल में 2 शिक्षक पदस्थापित हैं, जिनमें प्रधानाध्यापक सागर नाथ झा है, वहीं सहायक शिक्षक के तौर पर अमरेंद्र कार्यरत हैं । भले ही कक्षाएं फूस और टीन के ढाँचे में चल रही हैं पर स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए एक भवन बनाया गया है। बगल में पक्का शौचालय बना हुआ है। पास में जल नल योजना के तहत 2 नल लगाए गए हैं। प्रधान शिक्षक सागर नाथ झा से जब भवन न होने के बाबत हमने कैमरे पर सवाल करना चाहा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। स्कूल को लेकर हमने स्थानीय BEO से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं पाई।
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