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दार्जिलिंग: गांवों की सड़क खस्ताहाल, दशकों से नहीं हुई मरम्मत

दार्जिलिंग जिला अंतर्गत सोम फाटक से बालुवास तक जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। यह 9 KM लंबी मुख्य सड़क 10 से 12 गांवों की करीब साढे 5000 जनसंख्या के लिए आने-जाने का एकमात्र साधन है।

Sumit Dewan Reported By Sumit Dewan | Darjeeling |
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पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिला अंतर्गत सोम फाटक से बालुवास तक जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। यह 9 किलोमीटर लंबी मुख्य सड़क 10 से 12 गांवों की करीब साढे 5000 जनसंख्या के लिए आने-जाने का एकमात्र साधन है। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी इस सड़क की दशकों से मरम्मत नहीं कराई गई है। जिस कारण यहां से आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय ग्रामीण रत्नमान राई की उम्र करीब 60 साल है, वह बताते हैं कि इन 60 सालों में इस सड़क का निर्माण केवल एक ही बार हुआ है। इनका मानना है कि अत्यधिक राजनीतिकरण के कारण क्षेत्र का विकास रुका हुआ है।


स्थानीय महिला निरूपा थापा को भी वह साल याद नहीं है जब इस सड़क की आखिरी बार मरम्मत की गई थी। निरूपा बताती हैं कि यहां आने जाने के लिए गाड़ी मिलने में काफी दिक्कत होती है। अगर किसी तरह मिल भी जाए तो रास्ता खराब होने की वजह से गाड़ी वाला दोगुनी कीमत पर बुकिंग करता है।

स्थानीय युवक सुबेन राई कहते हैं कि यहां से वोट लेकर जीतने वाले वाले प्रतिनिधि पहले तो खूब सारे वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई काम नहीं कराते हैं।

बता दें कि 11 दिसंबर 2020 को जीटीए गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन द्वारा इस सड़क का शिलान्यास किया गया था और 9 करोड़ 33 लाख रुपए की लागत से इस सड़क का पुनर्निर्माण होना था। लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक सड़क की मरम्मत नहीं की गई। इसी सड़क निर्माण की मांग को लेकर सोम चाय बागान में रहने वाले स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता भरत तमांग 15 दिसंबर से धरना पर बैठे हुए हैं।

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भरत तमांग कहते हैं कि वह जीटीए के विरोध में इस धरने पर बैठे हैं क्योंकि 2017 से जीटीए हमसे झूठ बोलता आया है और हमें धरने पर बैठने पर मजबूर कर चुका है। भरत तमांग इस बात से निराश हैं कि उन्हें 21वीं सदी में भी एक सड़क के लिए धरने पर बैठना पड़ रहा है।

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सुमित दिवान पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले की ख़बरों पर नज़र रखते हैं।

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