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टीन की छत, ज़मीन पर बच्चे, ये बिहार का प्राइमरी स्कूल है

स्कूल चारों तरफ से खुला है और टिन का छप्पर भी जर्जर हो चला है। बिना डेस्क और बेंच के इस स्कूल में रोज़ाना दर्जनों बच्चे आकर तालीम हासिल करते हैं।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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Bihar government primary school in forbesganj

सिद्धार्थ अररिया जिले के फॉरबिसगंज प्रखंड के मानिकपुर स्थित दलाय दास टोला प्राथमिक विद्यालय में चौथी कक्षा में पढता है। इस विद्यालय की हालत बेहद खस्ता है। कमज़ोर हो चुके टिन के शेड के अलावा स्कूल की मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं। स्कूल चारों तरफ से खुला है और टिन का छप्पर भी जर्जर हो चला है। बिना डेस्क और बेंच के इस स्कूल में रोज़ाना दर्जनों बच्चे आकर तालीम हासिल करते हैं।


हम जब इस स्कूल में पहुंचे तो बच्चे ज़मीन पर बोरा बिछाए पढ़ते दिखे। वहां मौजूद शिक्षकों ने बताया कि यह प्राथमिक विद्यालय 2013 में शुरू किया गया था और बाद में इसे रहिकपुर के विद्यालय में टैग कर दिया गया। चूंकि रहिकपुर का विद्यालय फोर-लेन हाईवे के पास है इसलिए वहाँ बच्चों को भेजना खतरों से खाली नहीं था, लिहाज़ा स्कूल को इसी जगह जारी रखा गया।

शिक्षक आशुतोष कुमार कहते हैं कि स्कूल का जमीन से संबंधित सारा काम हो गया है लेकिन इसके निर्माण के लिए सरकार या लोकल प्रबंधन ने अब तक कोई पहल नहीं की है।


पांचवीं कक्षा की छात्रा भारती कुमारी कहती है कि स्कूल की इमारत पक्की और दीवारें न होने के कारण ठंड और बरसात के मौसम में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ख़ासकर बारिश के दिनों में पुस्तक और कापियां भींग जाने से छात्रों की पढ़ाई में बहुत अड़चनें आती हैं।

स्थानीय निवासी विनोद ऋषिदेव ने बताया कि स्कूल के लिए शीला देवी ने जमीन दी है। पूर्व में कई बार स्कूल भवन की मांग करने के बावजूद सरकार और प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऋषिदेव के तीन बच्चे इस स्कूल के छात्र हैं और उनके अनुसार ठंड और बरसात में बच्चों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, खासकर शीतलहर में चारों तरफ से खुले स्कूल में बैठना बच्चों के लिए बेहद कठिन होता है।

स्थानीय बुज़ुर्ग नवल किशोर मंडल ने सरकार से जल्द से जल्द स्कूल के निर्माण की मांग की और कहा कि बच्चे तो पढ़ने को इच्छुक हैं लेकिन स्कूल में बैठने की सुरक्षित जगह तक नहीं है।

इस मामले में हमने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अमीरुल्लाह से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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