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किशनगंज के डोंक नदी पर पुल पांच साल से अधूरा

24 जून 2018 को बुधरा आमबाड़ी के पास डोंक नदी पर एक पूल का शिलान्यास किया गया था। शिलान्यास हुए लगभग 5 साल होने वाले हैं, लेकिन अभी तक पुल का निर्माण पूरा नहीं हुआ है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal and Ariba Khan |
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किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत बुधरा डोंक नदी का निर्माणाधीन पुल, क्षेत्र के हजारों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को मुश्किल बना रहा है।

दरअसल डोंक नदी पोठिया प्रखंड को दो हिस्सों में विभाजित करती है। इस नदी पर पुल नहीं होने से डोंक नदी के पश्चिम में स्थित छत्तरगाछ भोटाथाना रायपुर आदि पंचायतों के लोगों को प्रखंड मुख्यालय से जुड़ने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। लोगों की इन्हीं मुसीबतों को कम करने के लिए 24 जून 2018 को बुधरा आमबाड़ी के पास डोंक नदी पर एक पूल का शिलान्यास किया गया था। पुल का शिलान्यास हुए लगभग 5 साल होने वाले हैं, लेकिन अभी तक पुल का निर्माण पूरा नहीं हुआ है।

बता दें कि पुल के साथ ही छत्तरगाछ से पोठिया को जोड़ने के लिए एक चौड़ी सड़क का भी काम शुरू हुआ था, जिसका शिलान्यास किशनगंज के तत्कालीन विधायक डॉ जावेद आज़ाद और दिवंगत सांसद असरारुल हक कासमी ने संयुक्त रूप से किया था। यह सड़क तो बनकर तैयार हो गई लेकिन फुल अभी तक आधा अधूरा पड़ा हुआ है।


पास के ही गांव के मोहम्मद साबिर अपनी बाइक पर सवार होकर बुधरा घाट के पुल के नीचे से गुजर रहे हैं। वह बताते हैं कि इस पुल का निर्माण इसलिए पूरा नहीं हो पा रहा है क्योंकि इसके ठेकेदार बदलते रहते हैं। मोहम्मद साबिर अब इस पुल के निर्माण को लेकर उम्मीद हार चुके हैं, उनको नहीं लगता कि हाल फिलहाल में पुल का निर्माण कार्य पूरा हो पाएगा।

आमबाड़ी गांव के रहने वाले मोहम्मद इस्माइल बताते हैं कि नदी पार करने के लिए उनको हर साल 1 कुंटल धान नाव वाले को देना पड़ता है। वह आगे बताते हैं कि उनका ज्यादातर खानदान नदी की दूसरी तरफ है इसलिए उन्हें कहीं भी जाना हो नदी को पार करना ही पड़ता है।

पास के ही गांव के मोहम्मद शमीम बाइक पर बोरियों में कुछ सामान लेकर बुधरा घाट से गुजर रहे हैं। वह बताते हैं कि इस पुल के शिलान्यास के डेढ़ साल बाद सतमेड़ी पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था जो कि आज बनकर पूरी तरह तैयार है। लेकिन बुधरा घाट पर बना यह पुल आज भी आधा अधूरा पड़ा हुआ है। शमीम कहते हैं कि यहां पुल नहीं होने से घंटों नाव का इंतजार करना पड़ता है जिससे समय की काफी बर्बादी होती है।

खानकी गांव के रहने वाले मोहम्मद इस्माइल बताते हैं कि दिन में लगभग 3000 लोग यहां से गुजरते हैं और पुल नहीं होने के कारण उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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