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सहरसा: बिना भवन के इस स्कूल में खुले आसमान के नीचे पढ़ने पर मजबूर बच्चे

सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड की खजूरी पंचायत स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय के बच्चे रोज़ाना खुले आसमान के नीचे चिलचिलाती धुप में पढ़ाई करते हैं।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
Published On :
government school in khajoori panchayat of saharsa under open sky

निति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 के अनुसार बिहार में 51% आबादी ग़रीबी में जीवन बसर कर रही है। प्राइवेट स्कूलों की आसमान छूती फीस के चलते शिक्षा के लिए राज्य में बच्चों की एक बड़ी आबादी सरकारी स्कूलों पर निर्भर है। मगर बहुत सारे सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है। ऐसा ही एक स्कूल सहरसा जिले में भी है। जिले के सौरबाजार प्रखंड की खजूरी पंचायत स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय के बच्चे रोज़ाना खुले आसमान के नीचे चिलचिलाती धुप में पढ़ाई करते हैं।


स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्कूल तक़रीबन 20 साल से बिना भवन के चलाया जा रहा है। सरकारी विभाग से न कोई अफसर आता है न लोगों की शिकायत पर कोई सुनवाई होती है। विद्यालय का भवन पूरी तरह से टूट चूका है। बारिश होने पर पास के मंदिर का सहारा लेना पड़ता है। धूप अधिक हो जाने की वजह से शिक्षक बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाते हैं, लेकिन अधिक बच्चे होने के कारण अक्सर बच्चों को बैठने की जगह नहीं मिल पाती है।

स्कूल के अध्यापक चंद्रेशेखर रमन ने बताया कि इस स्कूल में 5 शिक्षक हैं और यहां 300 से अधिक बच्चे नामांकित हैं। स्कूल सुबह 9 से 4 बजे शाम तक चलता है और तमाम कठिनाइयों के बावजूद बच्चे यहां रोज़ाना आकर पढ़ते हैं।


यूनियन डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन यानी ‘युडाईस’ (U-DICE) के आंकड़ों के अनुसार बिहार के प्राथमिक विद्यालयों की संख्या साल 2011 में 41,170 जो साल 2019-20 में बढ़कर 74,006 हो गई है।

राज्य में सरकारी स्कूलों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन बदहाल स्कूलों की संख्या कम नहीं हुई है। खजूरी पंचायत का कन्या प्राथमिक विद्यालय उन्हीं बदहाल स्कूलों में से एक है।

सुविधाओं के अभाव के बावजूद इस स्कूल के छात्र भविष्य को लेकर आशावान हैं। तीसरी कक्षा का छात्र आर्यन कुमार पढ़ लिख कर डीएम बनना चाहता है।‌वहीं, उसका सहपाठी धर्मपाल कुमार का सपना है कि वह बड़ा हो कर पुलिस अफसर बने।

स्थानीय निवासी विक्रम कहते हैं कि बिना भवन के इस स्कूल में 2 पीढ़ियों ने ऐसे ही धुप में बैठकर शिक्षा ली है और अब तीसरी पीढ़ी भी इसी बदहाली में पढ़ने पर मजबूर है।

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उन्होंने राज्य शिक्षा मंत्रालय से विद्यालय भवन की मांग करते हुए कहा कि अगर जल्द कोई सुनवाई नहीं हुई, तो वह जिला पदाधिकारी के दफ्तर के सामने भूक हड़ताल पर बैठेंगे।

गांव निवासी अभिषेक रोशन ने बताया कि स्कूल के भवन न होने की खबर सुनकर कई राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल वाले उनके गांव आए और खबरें की मगर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल भवन न होने की सूचना विभागीय पदाधिकारियों को दी गई है लेकिन कभी कोई देखने तक नहीं आया।

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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