Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

नदी पर पुल नहीं, नेपाल की फायर बिग्रेड गाड़ी ने बुझायी किशनगंज में लगी आग

किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड में एक गांव है, जिसका नाम वोटरलिस्ट से लेकर मतदान केंद्रों की संख्या से संबंधित सरकारी कागजों में पहले नंबर पर आता है। मगर, यह गाँव आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण नेपाल से अपनी जरूरतों को पूरा करता है।

Md Akil Alam Reported By Md Akil Aalam |
Published On :

किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड में एक गांव है, जिसका नाम वोटरलिस्ट से लेकर मतदान केंद्रों की संख्या से संबंधित सरकारी कागजों में पहले नंबर पर आता है। मगर, यह गाँव आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण नेपाल से अपनी जरूरतों को पूरा करता है।

इतना ही नहीं, आपदा के समय में भी नेपाल से ही दमकल की गाड़ियां इस गांव में पहुंच कर आग बुझाती हैं।

Also Read Story

2017 की बाढ़ में टूटा पुल अब तक नहीं बना, नेताओं के आश्वासन से ग्रामीण नाउम्मीद

कटिहार के एक दलित गांव में छोटी सी सड़क के लिए ज़मीन नहीं दे रहे ज़मींदार

सुपौल में कोसी नदी पर भेजा-बकौर निर्माणाधीन पुल गिरने से एक की मौत और नौ घायल, जांच का आदेश

पटना-न्यू जलपाईगुरी वंदे भारत ट्रेन का शुभारंभ, पीएम मोदी ने दी बिहार को रेल की कई सौगात

“किशनगंज मरीन ड्राइव बन जाएगा”, किशनगंज नगर परिषद ने शुरू किया रमज़ान नदी बचाओ अभियान

बिहार का खंडहरनुमा स्कूल, कमरे की दिवार गिर चुकी है – ‘देख कर रूह कांप जाती है’

शिलान्यास के एक दशक बाद भी नहीं बना अमौर का रसैली घाट पुल, आने-जाने के लिये नाव ही सहारा

पीएम मोदी ने बिहार को 12,800 करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का दिया तोहफा

आज़ादी के सात दशक बाद भी नहीं बनी अमौर की रहरिया-केमा सड़क, लोग चुनाव का करेंगे बहिष्कार

जी, हां! हम बात कर रहे सिंघीमारी पंचायत के वार्ड संख्या 1 डाकुपारा गाँव की, जहां शनिवार की दोपहर बाद भीषण आग लग जाती है। इस दौरान कनकई नदी के कारण दिघलबैंक की दमकल की कोई भी गाड़ी गाँव नहीं पहुंची। इसके बाद स्थानीय वार्ड सदस्य ज्ञानी सिंह व ग्रामीणों के द्वारा नेपाल के कुंजीबारी प्रहरी चौकी को डाकुपारा गाँव में आगलनी की घटना की सूचना दी गई।


सूचना मिलते ही बिना देरी किये नेपाल के शिवगंज से दमकल की गाड़ी पहुंची और तब जाकर आग पर काबू पाया। इस भीषण आगलगी से 11 परिवारों का घर जलकर राख में तब्दील हो गया है।

आग पीड़ित नौशाद आलम बताते हैं कि आनेवाले बुधवार को बहन की शादी थी। जिसकी तैयारियां जोर शोर से चल रही थी, लेकिन आगलगी में बहन की शादी के लिए ख़रीदे गए कपड़े, किराने का सामान सहित घर में रखा सारा सामान जलकर राख हो गया है।

आगलगी के अन्य पीड़ित परिवार आंखों में आंसू लिए अपने घरों के जले हुए राख से बचे खुचे सामानों को इस उम्मीद में अलग करते हुए नजर आते हैं कि शायद उनका कोई कीमती सामान बच गया हो।

गौरतलब है कि सिंघीमारी पंचायत के डाकूपारा वार्ड संख्या-1 में शनिवार को यह आगलगी की घटना हुई है। कनकई नदी पर पुल के अभाव में स्थानीय थाने से फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं पहुँच पाई, जिस वजह से नेपाल से दमकल की गाड़ियां बुलाई गईं और नेपाल आग पर काबू पाया गया।

स्थानीय वार्ड सदस्य ज्ञानी सिंह ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार साढ़े तीन बजे के करीब चूल्हे घर से सुलगी आग ने देखते ही देखते गांव के 11 घरों को अपनी चपेट में ले लिया।

इस दौरान गाँव में अफरातफरा मच गई। इसके बाद सूचना पर बिना देरी किए नेपाल के शिवगंज से फायर ब्रिगेड की गाड़ी मदद के लिए गांव में पहुँच गयी थी।

firebrigade vehicle of nepal

वार्ड सदस्य ने बताया कि ग्रामीणों और फायर ब्रिगेड कर्मियों की मदद से कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पा लिया गया। लेकिन तब तक आग ने मो. मुख्तार, मो. शफीक, मो. आजाद, मो. मकरुद्दीन, मो. मंजूर, मो. नोशाद, सुफल हेम्ब्रम, मो. जाबिर, मो. एनुल, मो. नबाजू और शैली मुर्मू का घर जलकर राख में तब्दील हो गया।

उन्होंने बताया कि सभी घर जल जाने से वे लोग खुले आसमान में रहने को विवश हो गये हैं। इस भीषण आग में मोबाइल फोन, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, अनाज, कपड़े सहित लाखों के सामान जलकर राख हो गये।

कनकई नदी पर पुल के नहीं होने से परेशानी

डाकूपारा गाँव के ग्रामीण इरफान अली,अबुल कलाम, नूर मोहम्मद, पूर्व पंचायत समिति कैसर आलम, मंगला हांसदा, जलपा मुर्मू आदि ने बताया कि कभी कभी तो लगता है कि हमलोग इस देश के नागरिक हैं भी या नहीं। ग्रामीणों ने बताया कि पलसा या पिलटोला घाट पर एक ब्रिज (पुल) का होना बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि सुखाड़ में जैसे तैसे तो जिंदगी चल जाती है, पर बाढ़ आने के बाद अपने इलाके से हमलोगों का संपर्क टूट जाता है। कनकई नदी के इस पार कोई बड़ा मार्केट नहीं है, जिस कारण नाव से कोई दूसरा मार्केट या फिर नेपाल जाना पड़ता है। “नाव ही मात्र एक सहारा है क्या? जिंदगी भर नाव में ही सफर होगा,” वे सवाल पूछते हैं और फिर कहते हैं, “जब बड़ी बड़ी नदियों पर ब्रिज बन सकता है तो फिर यहां क्यों नहीं?”

ग्रामीणों आगे बताया कि यहां उप स्वास्थ्य केंद्र और बाजार तक नहीं है, जिस कारण इलाज हो या फिर डेली रूटीन का सामान, उसके लिए भी नेपाल जाना पड़ता है। यही नहीं, बहुत से ग्रामीण अपने बाल बच्चों को नेपाल के स्कूलों में पढ़ाने को विवश हैं।

ग्रामीणों की मानें, तो अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से सड़क और पुल का होना बहुत जरूरी है।

ग्रामीणों ने सांसद, विधायक वं स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पुल बनवाने की मांग की है।

आठ गाँवों की आबादी प्रभावित

कनकई नदी पर ब्रिज (पुल) नही होने के कारण सिंघीमारी पंचायत के 8 गाँव प्रभावित हैं।

इनमें डाकूपारा, पलसा, तालटोला, शेरशाहवादी टोला, बलवाडांगी, मंदिर टोला, दक्षिण बारी और बॉर्डर टोला गाँव शामिल हैं। इन गांवों की कुल आबादी 20 से 25 हजार की है।

कनकई नदी के उस पार एक मिडिल और चार प्राइमरी स्कूल अवस्थित हैं। बरसात के दिनों में इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को जान जोखिम में डालकर नाव या चचरी पुल के सहारे आवागमन करना पड़ता है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Md Akil Alam is a reporter based in Dighalbank area of Kishanganj. Dighalbank region shares border with Nepal, Akil regularly writes on issues related to villages on Indo-Nepal border.

Related News

किशनगंज सदर अस्पताल में सीटी स्कैन रिपोर्ट के लिए घंटों का इंतज़ार, निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे लेने का आरोप

अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन की बदलेगी सूरत, 22 करोड़ रुपये से होगा पुनर्विकास

अररिया, मधेपुरा व सुपौल समेत बिहार के 33 रेलवे स्टेशनों का होगा कायाकल्प

“हम लोग घर के रहे, न घाट के”, मधेपुरा रेल इंजन कारखाने के लिए जमीन देने वाले किसानों का दर्द

नीतीश कुमार ने 1,555 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न योजनाओं का किया उद्घाटन

छह हजार करोड़ रूपये की लागत से होगा 2,165 नये ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण

किशनगंज के ठाकुरगंज और टेढ़ागाछ में होगा नये पुल का निर्माण, कैबिनेट ने दी मंजूरी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?

सुपौल: घूरन गांव में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?