किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड में एक गांव है, जिसका नाम वोटरलिस्ट से लेकर मतदान केंद्रों की संख्या से संबंधित सरकारी कागजों में पहले नंबर पर आता है। मगर, यह गाँव आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण नेपाल से अपनी जरूरतों को पूरा करता है।
इतना ही नहीं, आपदा के समय में भी नेपाल से ही दमकल की गाड़ियां इस गांव में पहुंच कर आग बुझाती हैं।
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जी, हां! हम बात कर रहे सिंघीमारी पंचायत के वार्ड संख्या 1 डाकुपारा गाँव की, जहां शनिवार की दोपहर बाद भीषण आग लग जाती है। इस दौरान कनकई नदी के कारण दिघलबैंक की दमकल की कोई भी गाड़ी गाँव नहीं पहुंची। इसके बाद स्थानीय वार्ड सदस्य ज्ञानी सिंह व ग्रामीणों के द्वारा नेपाल के कुंजीबारी प्रहरी चौकी को डाकुपारा गाँव में आगलनी की घटना की सूचना दी गई।
सूचना मिलते ही बिना देरी किये नेपाल के शिवगंज से दमकल की गाड़ी पहुंची और तब जाकर आग पर काबू पाया। इस भीषण आगलगी से 11 परिवारों का घर जलकर राख में तब्दील हो गया है।
आग पीड़ित नौशाद आलम बताते हैं कि आनेवाले बुधवार को बहन की शादी थी। जिसकी तैयारियां जोर शोर से चल रही थी, लेकिन आगलगी में बहन की शादी के लिए ख़रीदे गए कपड़े, किराने का सामान सहित घर में रखा सारा सामान जलकर राख हो गया है।
आगलगी के अन्य पीड़ित परिवार आंखों में आंसू लिए अपने घरों के जले हुए राख से बचे खुचे सामानों को इस उम्मीद में अलग करते हुए नजर आते हैं कि शायद उनका कोई कीमती सामान बच गया हो।
गौरतलब है कि सिंघीमारी पंचायत के डाकूपारा वार्ड संख्या-1 में शनिवार को यह आगलगी की घटना हुई है। कनकई नदी पर पुल के अभाव में स्थानीय थाने से फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं पहुँच पाई, जिस वजह से नेपाल से दमकल की गाड़ियां बुलाई गईं और नेपाल आग पर काबू पाया गया।
स्थानीय वार्ड सदस्य ज्ञानी सिंह ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार साढ़े तीन बजे के करीब चूल्हे घर से सुलगी आग ने देखते ही देखते गांव के 11 घरों को अपनी चपेट में ले लिया।
इस दौरान गाँव में अफरातफरा मच गई। इसके बाद सूचना पर बिना देरी किए नेपाल के शिवगंज से फायर ब्रिगेड की गाड़ी मदद के लिए गांव में पहुँच गयी थी।
वार्ड सदस्य ने बताया कि ग्रामीणों और फायर ब्रिगेड कर्मियों की मदद से कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पा लिया गया। लेकिन तब तक आग ने मो. मुख्तार, मो. शफीक, मो. आजाद, मो. मकरुद्दीन, मो. मंजूर, मो. नोशाद, सुफल हेम्ब्रम, मो. जाबिर, मो. एनुल, मो. नबाजू और शैली मुर्मू का घर जलकर राख में तब्दील हो गया।
उन्होंने बताया कि सभी घर जल जाने से वे लोग खुले आसमान में रहने को विवश हो गये हैं। इस भीषण आग में मोबाइल फोन, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, अनाज, कपड़े सहित लाखों के सामान जलकर राख हो गये।
कनकई नदी पर पुल के नहीं होने से परेशानी
डाकूपारा गाँव के ग्रामीण इरफान अली,अबुल कलाम, नूर मोहम्मद, पूर्व पंचायत समिति कैसर आलम, मंगला हांसदा, जलपा मुर्मू आदि ने बताया कि कभी कभी तो लगता है कि हमलोग इस देश के नागरिक हैं भी या नहीं। ग्रामीणों ने बताया कि पलसा या पिलटोला घाट पर एक ब्रिज (पुल) का होना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि सुखाड़ में जैसे तैसे तो जिंदगी चल जाती है, पर बाढ़ आने के बाद अपने इलाके से हमलोगों का संपर्क टूट जाता है। कनकई नदी के इस पार कोई बड़ा मार्केट नहीं है, जिस कारण नाव से कोई दूसरा मार्केट या फिर नेपाल जाना पड़ता है। “नाव ही मात्र एक सहारा है क्या? जिंदगी भर नाव में ही सफर होगा,” वे सवाल पूछते हैं और फिर कहते हैं, “जब बड़ी बड़ी नदियों पर ब्रिज बन सकता है तो फिर यहां क्यों नहीं?”
ग्रामीणों आगे बताया कि यहां उप स्वास्थ्य केंद्र और बाजार तक नहीं है, जिस कारण इलाज हो या फिर डेली रूटीन का सामान, उसके लिए भी नेपाल जाना पड़ता है। यही नहीं, बहुत से ग्रामीण अपने बाल बच्चों को नेपाल के स्कूलों में पढ़ाने को विवश हैं।
ग्रामीणों की मानें, तो अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से सड़क और पुल का होना बहुत जरूरी है।
ग्रामीणों ने सांसद, विधायक वं स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पुल बनवाने की मांग की है।
आठ गाँवों की आबादी प्रभावित
कनकई नदी पर ब्रिज (पुल) नही होने के कारण सिंघीमारी पंचायत के 8 गाँव प्रभावित हैं।
इनमें डाकूपारा, पलसा, तालटोला, शेरशाहवादी टोला, बलवाडांगी, मंदिर टोला, दक्षिण बारी और बॉर्डर टोला गाँव शामिल हैं। इन गांवों की कुल आबादी 20 से 25 हजार की है।
कनकई नदी के उस पार एक मिडिल और चार प्राइमरी स्कूल अवस्थित हैं। बरसात के दिनों में इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को जान जोखिम में डालकर नाव या चचरी पुल के सहारे आवागमन करना पड़ता है।
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