Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

सीमांचल की बसों में यात्री बेनामी बस टिकट से यात्रा करने को मज़बूर

यात्री बसें सीमांचल की अर्थव्यवस्था का मज़बूत पाया हैं। इससे एक जिले से दूसरे जिले तक की पहुँच आसान होती है। लेकिन, इन बसों पर किराये के बदले दी जाने वाली बेनामी यात्रा टिकट एक अलग कहानी बयाँ करती है।

Novinar Mukesh Reported By Novinar Mukesh |
Published On :

मो. असरारूल को किसी काम के सिलसिले में किशनगंज से पूर्णिया तक की यात्रा करनी थी। सीमांचल के ये दोनों जिले रेलमार्ग से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं। इन दोनों जिले का जुड़ाव सड़क मार्ग से है। सड़क मार्ग के जरिये किशनगंज से पूर्णिया पहुँचने के लिए एक रास्ता अररिया होकर है। वहीं, 68 किलोमीटर का दूसरा रास्ता कानकी, दालकोला, बायसी, डगरूआ के रास्ते पूर्णिया तक पहुँचाता है। मो. असरारूल ने पूर्णिया पहुँचने के लिए दूसरा रास्ता चुना। जिला परिषद कार्यालय, किशनगंज से कुछ फर्लांग की दूरी पर एचएच-31 पर पूर्णिया के लिए दो बसें खड़ी मिलीं जिनमें से एक को खाली देखकर मो. असरारूल उस पर बैठ गए।

बस खुलने के निर्धारित समय से चंद मिनट पहले किरानी यात्रियों से किराया लेने लगा। किराये के बदले वह यात्रियों को पासपोर्ट आकार की फोटो से थोड़े बड़े आकार का कागज दे रहा था।

Also Read Story

दार्जिलिंग: तीन साल में नहीं बनी 700 मीटर लंबी सड़क

किशनगंज : रमज़ान पुल की हालत खस्ता, दे रहा बड़े हादसे को दावत

“कांग्रेस चाहती है कि हमें नदी में फेंक दिया जाए” जनप्रतिनिधि से मायूस ग्रामीण, चंदा कर बनाया चचरी पुल

अररिया: दस साल पहले बना पंचायत सरकार भवन खंडहर में तब्दील

किशनगंज: प्रशासन की अनुमति के बिना फेंका जा रहा कचड़ा, मरीज़ और छात्र परेशान 

अररियाः पुल व पक्की सड़क न होने से पेरवाखोरी के लोग नर्क जैसा जीवन जीने को मजबूर

सीमांचल में कमर तक पानी में सर पर किताब रखे स्कूल जाते हैं बच्चे

जनाज़े में जा रहे थे लोग, पलट गई नाव, MLA बोले – ’70 साल में नहीं हुआ, 2 साल में क्या होगा’

अररियाः कल्वर्ट पुल जर्जर स्थिति में, ग्रामीणों ने की नये पुल की मांग

किरानी के उस तक पहुँचने पर उसने भाड़ा बढ़ा दिया जिसके बदले उसे भी मटमैले सफेद कागज पर लाल छपाई वाला वह टिकट मिला। उस यात्रा टिकट को देख कर मो असरारूल चौंक गये।


पूर्णिया से किशनगंज, अररिया, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल और भागलपुर के लिए सड़क के रास्ते कई बसों (मोटरवाहन) की आवाजाही होती है। पूर्णिया बस स्टैंड से भागलपुर, किशनगंज, कटिहार, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा, सुपौल के लिए रोजाना दिन भर में कम से कम 10 बसें खुलती हैं। रोज खुलने वाली बसों में से गिनती के एसी और अधिकांश नॉन एसी बसें होती हैं। इनमें से अधिकांश टाटा मार्कोपोलो की बसें हैं जिनमें यात्रियों के लिए 32 से 45 सीटें बनी होती हैं। सामान्य रूप से इन बसों की लम्बाई 9300 मिलीमीटर और चौड़ाई 2200 मिलीमीटर होती हैं। इन आंकड़ों के आधार पर रोजाना अनुमानत: कुल 2240 से 4500 यात्रियों द्वारा एक ओर की यात्रा तय की जाती है।

सड़क मार्ग के बीच की दूरी और प्रति व्यक्ति किराया

पूर्णिया से किशनगंज की दूरी करीब 68 किलोमीटर, मधेपुरा की दूरी करीब 75 किलोमीटर, अररिया की दूरी करीब 60 किलोमीटर, भागलपुर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। पूर्णिया से इन जिलों के लिए खुलने वाली अधिकांश बसें अपनी एक ओर की यात्रा डेढ़ से दो घंटे में पूरी कर लेती हैं। भागलपुर की ओर जाने वाली बसें अपनी एक ओर की यात्रा ढ़ाई घंटे में पूरी करती हैं। वहीं, मधेपुरा की ओर जाने वाली बसें अपनी यात्रा करीब साढ़े तीन घंटे में पूरी करती है।

पूर्णिया से किशनगंज जाने वाली नॉन एसी बस का किराया 100 रुपए प्रति यात्री है। वहीं, एसी बस का किराया 120 रुपए प्रति यात्री है। पूर्णिया से अररिया की दूरी 60 किलोमीटर और नॉन एसी बस का किराया 80 रुपए प्रति यात्री है।

पूर्णिया से कटिहार की दूरी करीब 35 किलोमीटर है और पूर्णिया से कटिहार के लिए एसी व नॉन एसी दोनों तरह की बसें खुलती हैं। नॉन एसी बस का किराया 50 रुपए प्रति यात्री है। वहीं, एसी बस का किराया 60 रुपए प्रति यात्री है।

पूर्णिया से भागलपुर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। पूर्णिया से भागलपुर जाने वाली एसी और नॉन एसी बस का किराया एकसमान 120 रुपए प्रति यात्री है। पूर्णिया से उदाकिशुनगंज जाने वाली नॉन एसी बस का किराया 150 रूपए प्रति यात्री है। वहीं, इस सड़क मार्ग पर एसी बस का परिचालन नहीं होता है।

बसों में यात्री को मुहैया किया जाने वाला यात्रा टिकट

पूर्णिया से विभिन्न जिलों को सड़क मार्ग से जोड़ने वाली इन बसों में किराये के बदले यात्रियों को मुहैया की जाने वाली यात्रा टिकट के काग़ज की गुणवत्ता निम्न स्तरीय होती है। अधिकांश टिकट पर डेली सर्विस मुद्रित होता है। इसमें सीट नम्बर, कहाँ (यात्रा शुरू करने का स्थान) से कहाँ तक (गंतव्य स्थल), भाड़ा के लिए स्थान रिक्त होता है। हस्ताक्षर के लिए महज ‘ह0’ अंकित होता है। इन सड़क मार्गों पर चलने वाली बसों के किरानी किराया लेते समय टिकट पर न तो हस्ताक्षर करते हैं, न ही बस पहचानने की कोई संख्या या नाम अंकित करते हैं। किरानी या बस स्टॉफ न समझ आ सकने वाले शब्दों में बोर्डिंग व गंतव्य स्थान का नाम लिख देते हैं। कुछ बसों के किरानी इन यात्रा टिकट पर सीट नम्बर, किराया और तारीख जरूर अंकित करते हैं। हालांकि, अधिकांश यात्रा-टिकट में बसों की पहचान के लिए जरूरी जानकारी न तो छापी जाती है न किरानी द्वारा कलम से दर्ज़ की जाती है।

भागलपुर की ओर जाने वाली अधिकांश बसों पर बिहार राज्य पथ परिवहन निगम छपा हुआ जरूर मिलता है। कुछ बसों पर बस संबंधी जरूरी जानकारी जैसे चेसिस नम्बर, इंजन नम्बर, परमिट नम्बर, निबंधन चिन्ह आदि दर्ज मिलती है। सीमांचल के जिलों के बीच चलने वाली अधिकतर बसों से ये जानकारियाँ नदारद मिलती हैं।

विकसित राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों में यात्रा टिकट की समकालीन व्यवस्था

दिल्ली जैसे प्रदेशों में पब्लिक बसों के अंदर चालक के अलावा कंडक्टर (टिकट काटने वाले) बैठे मिलते हैं। इन कंडक्टर के हाथों में पॉस(पीओएस) मशीनें होती हैं। बस पर चढ़ते ही यात्री कंडक्टर के पास पहुँचकर अपना गंतव्य स्थान बताता है और कंडक्टर भाड़ा तालिका के अनुसार मुद्रित टिकट (प्रिंटेड टिकट) यात्री को थमा देता है।

दूसरे राज्यों में पथ परिवहन विभाग के कई कर्मचारी टिकट जाँच के काम में लगे मिलते हैं। वो किसी बस में चढ़ने-उतरने वाले या यात्रा कर रहे यात्रियों का टिकट चेक करते हैं। बेटिकट यात्रियों से अर्थदंड वसूला जाता है। बिहार की राजधानी पटना में पिछले कुछ सालों में शुरू हुई एलेक्ट्रिक बसों में यही नजारा देखा जा सकता है। हालांकि, बिहार के दूसरे जिलों में यह व्यवस्था अब तक अमल में नहीं लायी जा सकी है।

हाँ, जिलों के बीच चलने वाली अधिकतर बसों का स्वामित्व निजी हाथों में है। इन बसों पर पीओएस द्वारा टिकट काटे जाने की व्यवस्था के प्रति दूसरे विकसित राज्यों जैसी रूचि नहीं दिखती।

बेनामी टिकट से बस की पहचान न होने पर यात्रियों को सम्भावित नुकसान

राज्य की सरकार ने बिहार में साल 2021 में बिहार मोटरगाड़ी (संशोधन-1) नियमावली, 2021 और बिहार मोटरवाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (संशोधन-1) नियमावली, 2021 लागू कर दी है। इन कानूनों के तहत मोटरवाहन दुर्घटना होने के कारण किसी व्यक्ति की मौत होने या गम्भीर रूप से घायल होने पर उसके आश्रितों को तुरंत अंतरिम मुआवज़ा दिए जाने का प्रावधान है। गम्भीर रूप से घायल यात्री या मृतकों के आश्रितों के दावे की जाँच के लिए सभी अनुमंडल पदाधिकारी को दुर्घटना दावा जाँच पदाधिकारी और जिला पदाधिकारी को दावा मूल्यांकन पदाधिकारी बनाया गया है। इन नियमों के तहत किसी व्यक्ति की मौत होने पर उसके आश्रित को पाँच लाख रुपए और गम्भीर रूप से घायल व्यक्ति को पचास हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है।

लेकिन, इन यात्राओं के दौरान बसों की पहचान साबित न कर सकने वाली यात्रा टिकटें किसी दुर्घटना की स्थिति में गम्भीर रूप से घायल अथवा मृतक यात्री के आश्रितों के दावों को कमजोर करने में सक्षम होती हैं।

इससे सरकार द्वारा मुआवज़ा पाने में दावेदारों को बेहद मुश्कलों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा यात्री और सहयात्री अथवा यात्री और वाहन कर्मी के बीच किसी विवाद की स्थिति में यात्री को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

न्यायिक प्रक्रिया या अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया साक्ष्य आधारित होते हैं। विवाद की स्थिति में बेनामी बस टिकट या जिन टिकटों से बस की पहचान साबित न हो सकती हो, उनके जरिये की जा रही यात्रा को साबित कर पाना टेढ़ी खीर है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

मधेपुरा में जन्मे नोविनार मुकेश ने दिल्ली से अपने पत्रकारीय करियर की शुरूआत की। उन्होंने दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर , एडीआर, सेहतज्ञान डॉट कॉम जैसी अनेक प्रकाशन के लिए काम किया। फिलहाल, वकालत के पेशे से जुड़े हैं, पूर्णिया और आस पास के ज़िलों की ख़बरों पर विशेष नज़र रखते हैं।

Related News

किशनगंज: पोठिया प्रखंड की 27 सड़कों के निर्माण कार्य को मिली मंज़ूरी

किशनगंज: लोडशेडिंग के नाम पर घंटों बाधित रखी जा रही बिजली

किशनगंज में फ्लाईओवर से गिर रहे गंदे पानी से राहगीर परेशान

MLA के आश्वासन के बाद भी नहीं बना किशनगंज का मुख्य मार्ग

कटिहार: दशकों से एक सड़क के लिए तरसता कदवा का सबनपुर गांव

किशनगंज में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत प्लेटफाॅर्म निर्माण कार्य में धांधली का आरोप

किशनगंज: सांसद के गृह प्रखंड में रोज़ाना नाव से नदी पार करते हैं सैकड़ों लोग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज में हाईवे बना मुसीबत, MP MLA के पास भी हल नहीं

कम मजदूरी, भुगतान में देरी – मजदूरों के काम नहीं आ रही मनरेगा स्कीम, कर रहे पलायन

शराब की गंध से सराबोर बिहार का भूत मेला: “आदमी गेल चांद पर, आ गांव में डायन है”

‘मखाना का मारा हैं, हमलोग को होश थोड़े होगा’ – बिहार के किसानों का छलका दर्द

बिहार रेल हादसे में मरा अबू ज़ैद घर का एकलौता बेटा था, घर पर अब सिर्फ मां-बहन हैं