हैदराबाद के भोईगुड़ा में 23 मार्च को जिस कबाड़ गोदाम में भीषण आग लगने से बिहार (Bihar News) के कटिहार जिले (Katihar News) के तीन व सारण जिले के 8 प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई थी, वही गोदाम मजदूरों का ठिकाना भी था।
स्थानीय निवासी मदन लाल बताते हैं कि गोदाम पट्टे की जमीन पर बनी है। वे कहते हैं, “प्रवासी श्रमिकों का डिपो और गोदामों में रहना बहुत सामान्य था। जिस गोदाम में आग से 11 मजदूरों की मौत हुई थी, वहां पहली मंजिल पर मजदूरों के लिए एक कमरा था, जहां वे खाते-पीते और सो जाते थे। मजदूर खाना खुद बनाते थे।”
मदन लाल ने कहा, “विभिन्न राज्यों से मजदूर न्यूनतम मजदूरी पर यहां काम करने आते हैं।”
“आग में मारे गए मजदूर कोरोना में लागू तालाबंदी के दौरान भी यहीं थे। प्रवासी श्रमिक साल में एक बार ही अपने घर वापस जाते हैं और ऐसी कठोर शर्त हमेशा उन श्रमिकों पर लागू होती है, जिन्हें ठेकेदारों द्वारा खरीदा जाता है,” उन्होंने कहा।
पुलिस ने प्रथम दृष्टया पाया है कि गोदाम, जो मजदूरों का ठिकाना भी था, वहां सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
हैदराबाद के पुलिस आयुक्त सी.वी. आनंद ने घटनास्थल का दौरा कर कहा कि निचली मंजिल में कबाड़ सामग्री, बोतलें, समाचार पत्र आदि थे। “ऐसा प्रतीत होता है, जैसे अग्नि सुरक्षा मानदंडों के संबंध में सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया था। सभी पुरुष एक कमरे में थे और उनमें से अधिकांश की मिनटों में दम घुटने से मौत हो गई। एक व्यक्ति कूदने में सफल रहा। इस क्षेत्र में सुरक्षा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि यहां लकड़ी के डिपो और अन्य उद्योग हैं।”
कब और कैसे हुई घटना
आग रात तक़रीबन 3 बजे शाॅर्ट सर्किट से लगी थी। इस आग से एक ही मजदूर बच पाया, जिसका फिलहाल इलाज चल रहा है। मजदूर का नाम प्रेम कुमार (20) है।
दमकल अधिकारियों ने कहा कि उन्हें सुबह 3.55 बजे एक फोन आया और गांधी अस्पताल की चौकी से कुछ ही मिनटों में पहली दमकल गाड़ी को रवाना किया गया। आग बुझाने के लिए वाटर कैनन और बहुउद्देशीय टेंडर सहित विभिन्न प्रकार की सात और दमकल गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया। “आग लगने के कारण संपत्ति के नुकसान का अभी आकलन नहीं हो पाया है। घटना की विस्तृत जांच शुरू की जाएगी,” अग्निशमन अधिकारियों ने कहा।
दूसरी ओर, नगर निगम के अधिकारी घटनास्थल के ढांचे को ध्वस्त कर रहे हैं। हालांकि, ढांचा गिराने को लेकर सवाल उठ रहा है कि जांच पूरी नहीं हुई है, फिर ढांचा क्यों गिराया जा रहा है।
गांधीनगर पुलिस ने बताया कि मृतकों की पहचान दीपक राम, बिट्टू कुमार, सिकंदर राम कुमार, छतरीला राम उर्फ गोलू, सतेंद्र कुमार, दिनेश कुमार, सिंटू कुमार, दामोदर महलदार, राजेश कुमार, अंकज कुमार और राजेश के रूप में हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने मृतक के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा कर दी है। परिवारों को क्रमश: 5 लाख और 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 2 लाख रुपए की घोषणा की है और इस पूरे घटना पर दुख जताया है।
आग लगने के कारणों को लेकर अफवाहें
अग्निकांड को लेकर हैदराबाद के गांधीनगर थाने ने गोदाम के मालिक संपत के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 337 (मानव जीवन को खतरे में डालना) के तहत मामला दर्ज किया है।
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स्थानीय निवासी मदन लाल ने कहा, “इस घटना का सारी जड़ संपत ही है। वो समझता है कि पूरा रोड ही उसकी गोदाम है। बस्ती में बहुत तमाशा करता है। ऐसी आग लगने की घटना पहली बार नहीं हुई है। बस मौत पहली बार हुई है। तक़रीबन चार बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, पिछले दस सालो में, फिर भी कोई सीखे नहीं ली गई।”
घटना के बाद टीआरएस, बीजेपी और एआईएमआईएम जैसे विभिन्न दलों के कई बड़े नेता भोईगुड़ा का दौरा कर चुके हैं। मदन लाल ने कहा कि यहां लगभग 26 टिम्बर डीपो हैं। प्रत्येक डीपो का स्वामित्व एक अलग व्यक्ति के पास है। पहले रानीगंज में टिम्बर डिपो का कलस्टर हुआ करता था। हालांकि, यहां बसने से पहले रानीगंज में आग की एक बड़ी घटना के कारण सरकार ने लकड़ी के डिपो को सामूहिक रूप से भोईगुड़ा में स्थानांतरित कर दिया।
इस पूरी घटना को लेकर कई अफवाहें भी उड़ रही हैं। कुछ लोग जली हुई सिगरेट को आग की वजह बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि सिलेंडर फटा था।
हालांकि जिम्मेदारी किसकी थी, इसका जवाब अभी तक किसी के पास नहीं है, साथ ही एक और सवाल जिसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया की आखिर ऐसा क्यों है कि मजदूर एक कारखाने को बनाता है और उसे बड़ा करता है, मजदूर अपने मालिक को करोड़ों का मुनाफा देता है, लेकिन उसे कभी आग से जलकर, तो कभी स्लैब के नीचे दबाकर बेमौत मरना पड़ता है।
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