बिहार के किशनगंज में दिघलबैंक प्रखंड सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्र के लोग इन दिनों लोडशेडिंग के नाम पर लगातार बिजली कटने से त्रस्त हैं। इस समस्या से अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि सब बेखबर हैं। लोडशेडिंग के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की स्थिति चरमरा गई है।
दिघलबैंक में मंगलवार की शाम 7 बजे से लोडशेडिंग के नाम पर बिजली बाधित रखी गयी। लोगों की मानें तो पूरी रात में 3-4 घंटे ही उपभोक्ताओं को बिजली मिली है। ग्रामीणों ने बताया कि आये दिन लोडशेडिंग का बहाना बना कर बिजली की आपूर्ति शाम 7 बजे से आधी रात तक बाधित रखी जाती है।
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बिजली संकट की वजह से अंधेरा होते ही लोगों को लालटेन, मोमबत्ती, मोबाइल का टॉर्च इत्यादि से अपने रोजमर्रा के कार्यों को अंजाम देना पड़ता है।
लोगों ने बताया कि लोडशेडिंग की वजह से बच्चों को पढ़ाई करने तथा घरेलू महिलाओं को घर का काम-काज करने में परेशानी होती है। लोगों ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सिर्फ बिजली का बिल भरने के लिए कनेक्शन लिए हैं? उनका कहना था कि अगर कहीं लोडशेडिंग की समस्या है तो जनता को इस समस्या के बारे में पहले से अवगत कराया जाना चाहिए।
ग्रामीणों के अनुसार, पहले विभाग सिर्फ एक घंटे बिजली काटता था, लेकिन पिछले एक सप्ताह से आधी रात तक लोडशेडिंग के नाम पर बिजली बाधित रखी जा रही है। लोगों ने पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों से लेकर विधायक और सांसद की चुप्पी पर सवाल खड़े किये। लोगों ने जिले के नए डीएम तुषार सिंगला से बिजली संकट को दूर करने की अपील की।
एक तरफ सरकार अपने कामों को जनसंवाद कार्यक्रम के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रही है, मगर दूसरी तरफ बिजली संकट पर कोई ठोस पहल नही कर रही है। ऐसे में ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से भी इस मामले में दखल देने की मांग की है।
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