किशनगंज के पोठिया प्रखंड अंतर्गत पनासी पंचायत का कुम्हारभीटा गांव में बीमारों को अस्पताल नहीं ले जाया जा सकता, किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पाता, बच्चे समय पर रोजाना स्कूल नहीं जा पाते और इन सब समस्याओं का एक ही कारण है- गांव में पक्की सड़क का ना होना।
दरअसल, इस गांव को बाहर के गांव व शहरों से जोड़ने वाली जहांगीरपुर से बंगाल बॉर्डर तक साढ़े 3 किलोमीटर की एक सड़क है, जिसकी हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि गाड़ियों का आना जाना मुमकिन नहीं। बरसात के दिनों में सड़क पर पानी भर जाता है, जिससे ग्रामीणों को अपने रोजमर्रा का काम करने में भी दिक्कतें पेश आती हैं।
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स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद कय्यूम बताते हैं कि सड़क नहीं होने के कारण उनके गांव के लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। समय बचता है तो कई बार मरीज को कंधे पर उठाकर जहांगीरपुर तक ले जाना पड़ता है, फिर वहां से गाड़ी लेकर अस्पताल जाते हैं। इसी बीच कई बार मरीज की मौत रास्ते में ही हो जाती है।
मोहम्मद कय्यूम ने आगे बताया कि यहां पर खेती कर रहे किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता है। क्योंकि वह न तो समय पर बाजार से खाद वगैरह ला पाते हैं और ना ही समय पर अपनी फसल को बाजार में जाकर बेच पाते हैं।
बदीउज़्ज़माँ भी एक किसान हैं। सड़क नहीं होने के कारण उनको भी फसल बेचने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। वह बताते हैं कि उन्हें मार्केट के हिसाब से अपनी फसल का पैसा बहुत कम मिलता है।
मिसरत जहां नौवीं कक्षा की छात्रा है। वह और उसके जैसे इस गांव के बहुत से छात्र रोजाना स्कूल नहीं जा पाते हैं। वह बताती है कि बरसात के समय में जब सड़क पर पानी भर जाता है तो पैदल जाने वाले बच्चे फिसल कर पानी में गिर जाते हैं, साइकिल से जाने वाले बच्चे साइकिल समेत गिरते हैं, और स्कूल की गाड़ी अंदर नहीं आ पाती है। इस कारण उनकी पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है। वे लोग केवल परीक्षा देने ही स्कूल जाते हैं।
फतेह मोहम्मद की उम्र कुछ महीनों बाद 100 साल की होने वाली है। वह कहते हैं कि उन्होंने अपने आसपास के इलाकों का थोड़ा बहुत विकास होते देखा, लेकिन उनका गांव वैसा का वैसा ही रह गया है। वह इसका जिम्मेदार है अपने क्षेत्र के मुखिया और जनप्रतिनिधियों को मानते हैं।
विधायक ऑफिस ने बताया कि सड़क निर्माण की कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और बहुत जल्द सड़क का निर्माण शुरू किया जाएगा।
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