बिहार में छठे चरण में वर्ग 1-5 के लिये नियुक्त हुए बीएड योग्यताधारी शिक्षकों की जानकारी इकट्ठा करने में शिक्षा विभाग जुट गया है, ताकि उनकी नियुक्तियों को रद्द किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि पटना हाईकोर्ट ने अपने एक हालिया फैसले में कहा था कि छठे चरण में नियुक्त बीएड डिग्रीधारी शिक्षक प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के पात्र नहीं हैं।
हिंदुस्तान समाचार पत्र के एक खबर की मानें तो छठे चरण में लगभग 42 हजार शिक्षक बहाल हुए थे, जिनमें 22 हजार शिक्षक वर्ग 1-5 के लिये बहाल किये गये थे। राज्य सरकार द्वारा बहाली के दो वर्षों के अंदर इन शिक्षकों को ब्रिज कोर्स करवाया जाना था, जिसे सरकार ने अबतक नहीं करवाया है।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद से ही विभाग ऐसे शिक्षकों की पहचान करने की तैयारी में जुट गया है, जो वर्ग 1-5 में बीएड डिग्री के आधार पर बहाल किये गये हैं।
इसी आलोक में अररिया के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को छठे चरण में वर्ग 1-5 तक में नियुक्त बीएड योग्यताधारी शिक्षकों से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने को लेकर पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि विभागीय वीडियो कांफ्रेंसिंग (VC) में दिये गये निर्देश के आलोक में ऐसे शिक्षकों से संबंधित सूचना की मांग की गयी है।
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को ऐसे शिक्षकों की जानकारी 2 दिनों के अंदर जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में अनिवार्य रूप से देने का आदेश दिया गया है, ताकि प्रतिवेदन समेकित कर निदेशालय को भेजा जा सके।
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अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों को बड़ा झटका इसी साल अगस्त महीने में दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा था कि बीएड किए हुए अभ्यर्थी लेवल-I (वर्ग 1-5) शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लेने के योग्य नहीं हैं।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) की विशेष अनुमति याचिका (एलएसपी) को भी खारिज कर दिया था। इस एलएसपी में केंद्र सरकार और एनसीटीई ने बीएड डिग्रीधारी उम्मीदवारों का समर्थन किया था।
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