पटना हाईकोर्ट के एक फैसले से बिहार में 22 हज़ार बीएड डिग्रीधारी नियोजित शिक्षकों की नौकरी खत्म हो जायेगी। पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिये अपने फैसले में कहा कि वर्ग 1-5 में बीएड डिग्रीधारी, शिक्षक बनने के पात्र नहीं हैं और सिर्फ डीएलएड किये हुए अभ्यर्थी ही इसके पात्र हैं।
पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से बीएड डिग्रीधारी नियोजित शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। ये शिक्षक 2022 में बहाल हुए थे। उस चरण में लगभग 42 हजार शिक्षक बहाल हुए थे, जिनमें 22 हजार शिक्षक वर्ग 1-5 के लिये बहाल किये गये थे। राज्य सरकार द्वारा बहाली के दो वर्षों के अंदर इन शिक्षकों को ब्रिज कोर्स करवाया जाना था, जिसे सरकार ने अबतक नहीं करवाया है।
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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा जारी 28 अगस्त 2018 की अधिसूचना अब लागू नहीं है और इसलिये बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है।
हाईकोर्ट ने आगे कहा, “कहने की जरूरत नहीं है कि नियुक्तियों पर दोबारा काम करना होगा और वर्ष 2010 की NCTE की मूल अधिसूचना के अनुसार योग्य उम्मीदवारों को केवल उसी पद पर जारी रखा जा सकता है, जिस पर उन्हें नियुक्त किया गया है। रिक्त होने वाले पदों पर दोबारा नियुक्ति उपलब्ध मेरिट सूची से भरी जाएगी या नहीं, इसका निर्णय राज्य सरकार करेगी।”
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों को बड़ा झटका इसी साल अगस्त महीने में दिया था। अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा था कि बीएड किए हुए अभ्यर्थी लेवल-I (वर्ग 1-5) शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लेने के योग्य नहीं हैं।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) की विशेष अनुमति याचिका (एलएसपी) को भी खारिज कर दिया था। इस एलएसपी में केंद्र सरकार और एनसीटीई ने बीएड डिग्रीधारी उम्मीदवारों का समर्थन किया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि लेवल-I (वर्ग 1-5) में सिर्फ बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट) धारक (या डी.एल.एड) किए हुए अभ्यर्थी ही शिक्षक बनने के पात्र हैं।
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Very Sad! I wish Government must look into their problem!