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अररियाः कल्वर्ट पुल जर्जर स्थिति में, ग्रामीणों ने की नये पुल की मांग

कल्वर्ट की स्थिति जर्जर होने की वजह से लोगों को हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गांव में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों के लिए तो बारिश के बाद मुश्किलें और बढ़ जाती है।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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बिहार के अररिया जिले की बोची पंचायत अंतर्गत बोची से चरारनी गांव जाने वाले रास्ते में बना कलवर्ट पुल 2017 में आई बाढ़ में जर्जर हो गया था। इस कलवर्ट से होकर हजारों लोग अररिया जिला मुख्यालय आते-जाते हैं। इलाके के लोगों के लिए जिला मुख्यालय जाने का एकमात्र यही रास्ता है। लोगों को सबसे ज़्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है। स्थानीय निवासी मो. रैयान ने कहा कि चार से पांच हज़ार की आबादी के आने-जाने के लिए यही एकमात्र पुल है।

कल्वर्ट की स्थिति जर्जर होने की वजह से लोगों को हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गांव में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों के लिए तो बारिश के बाद मुश्किलें और बढ़ जाती है। पानी बढ़ने से बच्चों के डूबने का भी खतरा बना रहता है। छात्र असमारुल हक ने बताया कि बरसात के दिनों में स्कूल आने-जाने में उनलोगों को काफी परेशानी होती है।

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गांव में रहने वाले लोगों को जरूरत का सामान खरीदने के लिए रोज़ाना अररिया ज़िला मुख्यालय व आसपास के छोटे-मोटे बाज़ार जाने के लिए इस कल्वर्ट का सहारा लेना पड़ता है। लोगों ने बताया कि पहले यह कल्वर्ट और भी ज्यादा बुरी स्थिति में था। लोगों की मांग पर स्थानीय विधायक के प्रयास से यहां पर प्लास्टिक के बोरे में बालू व मिट्टी भरकर बांस के सहारे रास्ता बनाया गया है। स्थानीय ग्रामीण मंटू कुमार यादव और मो. ईसा ने बताया कि मरम्मत से थोड़ी परेशानी कम हुई है, लेकिन पुल बनने के बाद ही समस्या पूरी तरह से खत्म होगी।


हालांकि, मिट्टी भरकर कल्वर्ट की मरम्मत तो कर दी गई है, लेकिन इससे बरसात का पानी एक ही तरफ जमा हो गया है। पानी जमा हो जाने से फसल बर्बाद होने का ख़तरा है। किसान मोहम्मद कारू ने बताया कि यहां पर मिट्टी डालने से पानी खेतों में जमा हो गया है, जिससे लगभग हजार बीघा फसल बर्बाद हो सकती है।

नए पुल के संबंध में अररिया के विधायक आबिदुर रहमान ने बताया कि पुल पास हो चुका है। दशहरा के बाद निर्माण शुरू किया जाएगा

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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