रात के अंधेरे में अवैध मशीन द्वारा बालू खनन करने की ये तस्वीरें बिहार के किशनगंज जिले की हैं। दरअसल बालू खनन के लिए जिस ड्रेजर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है वो प्रतिबंधित है। किशनगंज के पोठिया प्रखंड अंतर्गत पहाड़कट्टा पंचायत स्थित रतुआ बोरोडांगी गांव के लोग अवैध ढंग से बालू खनन करने से आक्रोशित हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रतिबंधित मशीन द्वारा खनन करने से उनकी जमीनें नदी में समा रही हैं।
बोरोडांगी निवासी तपन लाल कहते हैं कि पिछले एक-डेढ़ महीने से मशीन लगाकर करीब 40 फ़ीट की गहराई से बालू निकाला जा रहा है। इससे नदी की धारा कई मीटर बढ़कर गांव की तरफ आ चुकी है। गांव वालों ने इसका विरोध किया लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ।
तपन ने आगे कहा कि अगर इसे नहीं रोका गया तो क्षेत्र के दर्जनों गांवों की तरह उनका गांव भी नदी कटाव का शिकार हो जाएगा।
बिहार सरकार के खान व भूतत्व विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर मिली जानकारी के अनुसार, रतुवा शीतलझाड़ी घाट पर गीता एंटरप्राइजेज़ नामक कंपनी द्वारा इस साल मार्च महीने से अब तक 1,67,617 क्यूबिक फ़ीट यानी करीब 1700 ट्रॉली बालू निकला जा चुका है।
रतुआ निवासी मोहम्मद आसारु का कहना है कि बालू खनन करने वाले ग्रामीणों की जमीन से बालू निकाल रहे हैं। कई बार मना करने पर भी उन्होंने खनन करना बंद नहीं किया।
स्थानीय ग्रामीण बरातु लाल बढ़ई का कहना है कि नदी किनारे उनकी पांच बीघा जमीन है जिसपर बालू खनन किया जा रहा है। अपनी जमीन के लिए वह नियमित रूप से खजना जमा करते हैं। बालू खनन के कारण नदी ने अपना रुख बदल लिया है जिसके चलते उनकी जमीन नदी कटाव की जद में आ रही है।
पहाड़कट्टा पंचायत वार्ड संख्या 3 के वार्ड सदस्य प्रतिनिधि चैतू लाल ने बताया कि गांव में करीब 200 घर हैं। 2017 की भीषण बाढ़ में इस गांव में काफी अधिक नुकसान हुआ था। पिछले दिनों शुरू हुए बालू खनन से नदी ग्रामीणों के घरों के करीब आ चुकी है।
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चैतू लाल का आरोप है कि बालू खनन का विरोध करने पर खनन करने वालों ने उन्हें धमकी दी और खनन कार्य रोकने से इनकार कर दिया।
इस मामले को लेकर जब 15 मई को किशनगंज के खनिज विकास पदाधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने जानकारी दी कि इस्तेमाल की जा रही मशीन प्रतिबंधित है। हालांकि उन्होंने बताया कि इस मशीन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। जब मैं मीडिया ने अपने फ़ोटोज दिखाए तो खनिज विकास पदाधिकारी ने अपने अधिकारी को गुप्त रूप से स्थल निरीक्षण का आदेश कर दिया। वहीं खनन की गहराई को लेकर उन्होंने बताया कि 3 मीटर की गहराई तक ही खनन करने का आदेश है। नदी की धारा बदलने और गाँव पर बाढ़ के खतरे के सवाल पर पदाधिकारी ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। मैं मीडिया की टीम ने कोशिश की कि पदाधिकारी विडियो में अपना ब्यान दें लेकिन खनिज विकास पदाधिकारी ने जांच के बाद कुछ बयान देने की बात कही।
लेकिन सवाल यह है कि यदि कोई कंपनी खुलेआम खनन के नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन कर रही है तो क्या पदाधिकारी कंपनी के खिलाफ कोई एक्शन लेंगे या फ़िर मामले को दबाने की कोशिश की जाएगी।
और क्या गाँव वालों की बातें सुनी जाएंगी?
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