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कटिहार: बलिया बेलौन को प्रखंड बनाने की विभागीय प्रक्रिया शुरू

कदवा प्रखंड अंतर्गत महानंदा नदी के पूर्वी हिस्से के पंचायतों के लोग दशकों से बलिया बेलौन को प्रखंड बनाने की मांग कर रहे हैं।

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कटिहार जिले के कदवा प्रखंड अंतर्गत महानंदा नदी के पूर्वी हिस्से के पंचायतों के लोग दशकों से बलिया बेलौन को प्रखंड बनाने की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर समय-समय पर यहां के समाजसेवी और प्रतिनिधि धरना प्रदर्शन और रैलियां करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव के समय यह इस क्षेत्र का सबसे ज्वलंत मुद्दा रहा था। स्थानीय विधायक डॉ शकील अहमद ख़ां ने भीजनता को आश्वासन दिया था कि वह इसे देखेंगे।

यह दीर्घकालिक मांग जल्द ही पूरी होने जा रही है। विधानसभा सत्र के दौरान यहां के स्थानीय विधायक डॉ शकील अहमद ख़ां के द्वारा विधानसभा में यह बात रखी गई थी जिसके बाद बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग एवं संसदीय कार्य विभाग मंत्री श्रवण कुमार ने विधानसभा में कहा, “कटिहार जिलांतर्गत कदवा प्रखंड के बलिया बलौन को नए प्रखंड का दर्जा दिये जाने के संबंध में जिला पदाधिकारी, कटिहार से प्रखंड सृजन संबंधी विहित प्रपत्र 16 कॉलम में पूर्ण प्रतिवेदन प्रमंडलीय आयुक्त के माध्यम से विभाग को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। पूर्ण प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात निर्धारित प्रक्रिया के तहत अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी।”

कदवा विधायक द्वारा विधानसभा में बात रखने के बाद विधानसभा के अपर सचिव ने ग्रामीण कार्य विकास के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर कटिहार जिला अधिकारी को 60 दिनों के अंदर नए प्रखंड के सृजन के लिए जरूरी सूचना सचिवालय को प्रदान करने को कहा।


इसके बाद ग्रामीण कार्य विकास विभाग द्वारा कटिहार के जिलाधिकारी को नया प्रखंड बनाने को लेकर प्रतिवेदन देने को कहा गया।

13 दिसंबर 2022 को जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, कटिहार के उप विकास आयुक्त सौरभ सुमन यादव द्वारा कदवा के प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र लिखकर इसको लेकर जरूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

कटिहार के उप विकास आयुक्त सौरभ सुमन यादव ने कदवा के प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र में कहा, “शकील अहमद खाँ से प्राप्त गैर सरकारी संकल्प से उद्भूत आश्वासन संख्या- 1977 / 22, जो कटिहार जिलान्तर्गत कदवा प्रखंड के पूर्वी भाग की सभी पंचायतों को मिलाकर बलिया बेलौन को नए प्रखंड का दर्जा दिये जाने से संबंधित है, का पूर्ण प्रतिवेदन विहित प्रपत्र उपलब्ध कराने हेतु विभागीय स्तर से निर्देश प्राप्त हुए हैं।”

“इस सन्दर्भ में निदेशित किया जाता है कि कदवा प्रखंड अंतर्गत बलिया बेलौन को नए प्रखंड का दर्जा दिये जाने के संबंध में प्रखंड सृजन संबंधी विहित प्रपत्र (16 कॉलम में) अद्यतन पूर्ण प्रतिवेदन (मूल में), रंगीन नजरी नक्शा एवं पंचायत समिति की बैठक की कार्यवाही/अनुशंसा से संबंधित प्रतिवेदन दिनांक 14.12.2022 के अपराह्न 05:00 बजे तक अचूक रूप से अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे, ताकि जिला पदाधिकारी महोदय, कटिहार के स्पष्ट अनुशंसा के साथ प्रमंडलीय आयुक्त महोदय, पूर्णिया के माध्यम से प्रतिवेदन अतिशीघ्र विभाग को उपलब्ध कराया जा सके।”

साथ ही कदवा के प्रखंड विकास पदाधिकारी को आदेश दिया गया कि इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए विभाग को अति शीघ्र प्रतिवेदन दिया जाए।

प्रतिवेदन में मुख्य रूप से मांग की गई है कि प्रस्तावित प्रखंड का नाम वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या, पंचायतों की संख्या, प्रस्तावित मुख्यालय से दूरी, प्रखंड बनाने का उद्देश्य शामिल किया जाए।

कदवा प्रखंड की जनसंख्या

कदवा प्रखंड में कुल 30 पंचायत हैं, जिसमें गांवों की संख्या लगभग 232 है। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस प्रखंड की कुल अबादी 346,902 है, जिनमें 180,485 पुरुष और 166,417 महिलाएं हैं। कदवा की आबादी 2023 में 457,911 तक होने का अनुमान है।

साक्षरता प्रतिशत 40.33 प्रतिशत है, इनमें से 24.40 प्रतिशत पुरुष साक्षर हैं और 15.93 प्रतिशत महिला साक्षर हैं।

प्रखंड बनने पर किन्हें होगी सबसे ज्यादा सुविधा

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बलिया बेलौन के प्रखंड बन जाने पर शेखपुरा पंचायत, निस्ता पंचायत, चन्दहर पंचायत, मधाईपुर पंचायत, रिजवानपुर पंचायत, तैयापुर पंचायत, शिकारपुर पंचायत, बिझारा पंचायत, भौनगर पंचायत, उनासो पंचगाछी पंचायत, बेनी जलालपुर पंचायत के ग्रामीणों को सबसे ज्यादा सुविधा होगी।

बलिया बेलौन को प्रखंड बनाना क्यों है जरूरी

वर्तमान में कदवा प्रखंड के बीच में से होकर महानंदा नदी बहती है जिसकी वजह से महानंदा की पूर्वी तरफ की पंचायतों के लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने में काफी परेशानी होती है। प्रखंड के बिझाड़ा, तैयबपुर और कुरुम क्षेत्र के लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए लगभग 50 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करनी पड़ती है। इस वजह से ज्यादातर लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं।

आय प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र जैसी चीजों को बनाने के लिए बिचौलियों को सैकड़ों रुपए देने पड़ते हैं। इस क्षेत्र में महानंदा नदी पर पुल नहीं होने से यहां के लोगों के लिए प्रखंड मुख्यालय की दूरी काफी लंबी हो जाती है।

(आकिल जावेद के इन्पुट्स के साथ)

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