किसी भी चुनाव को समझने के लिए पहले स्थानीय मुद्दों से अवगत होना ज़रूरी हो जाता है। इन मुद्दों को जानने-समझने के लिए हमने पूर्णिया नगर निगम के अलग-अलग तरह के वोटरों से बात की। इसमें किसान, दूधवाला, सफाई कर्मी, रेहड़ी वाला, विधवा से लेकर छात्र शामिल हैं। उनके द्वारा बताई गई समस्याओं को लेकर फिर हमने चुनाव लड़ रहे कुछ उम्मीदवारों से बात की और उनका विज़न जाना।
करीब 30 साल पहले खगड़िया ज़िले से पूर्णिया आकर बसे शैलेन्द्र कुमार रॉय कुमार बच्चों की पढ़ाई के खातिर तब यहाँ आए थे और यहीं का होकर रह गए। बच्चे पढ़ लिख कर इंजीनियर बन गए हैं, शैलेन्द्र किसान हैं। पूर्णिया के मशहूर रंगभूमि मैदान में टहलते हुए उन्होंने ज़िले में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की।
पूर्णिया नगर निगम के 46 वार्डों के लिए 298 उम्मीदवार वार्ड पार्षद उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं मेयर पद के लिए 27 प्रत्याशी और डिप्टी मेयर के 16 प्रत्याशी हैं। इन सभी उम्मीदवारों की क़िस्मत का फैसल पूर्णिया के वोटर 28 दिसंबर को करेंगे। पूर्व मेयर और प्रत्याशी शाहिद रज़ा कहते हैं, प्लांटेशन बढ़ा कर प्रदूषण को मात दिया जा सकता है।
पिछले कुछ महीने में स्थानीय प्रशासन लगातार अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रही है। रेहड़ी पटरी लगा कर छोटे मोटे रोज़गार करने वाले गरीब भी इसकी चपेट में आ गए हैं। वे मज़बूरन ठिठुरती ठंड में खुले आसमान के नीचे चौकी लगा कर अपना कारोबार करने को मजबूर हैं। इनमें से ज़्यादातर लोग प्रशासन, जनप्रतिनिधि और मीडिया से नाउम्मीद हो चुके हैं और कैमरे पर कुछ भी कहने से साफ़ इंकार करते हैं। तीन साल से कालीबाड़ी चौक पर रेहड़ी पटरी लगा कर जूता बेचने वाले मोहम्मद आज़ाद ने बताया कि जब पुलिस आती है, वह सामान हटा लेते हैं।
मेयर प्रत्याशी अधिवक्ता अनंत भारती कहते हैं कि वेंडिंग जोन बना कर रेहड़ी पटरी वालों का पुनर्वास किया जाना चाहिए और इस दिशा में काम हो भी रहा है। मेयर प्रत्याशी शाहिद रज़ा मानते हैं कि प्रशासन को पहले वेंडिंग जोन की व्यवस्था करनी थी, फिर अतिक्रमण हटाना था।
पूर्णिया यूनिवर्सिटी के छात्र तेजस्वी सिंह कहते हैं कि पूर्णिया शहर में पार्किंग की बड़ी समस्या है, ज़्यादातर अस्पताल और दवाई दुकानों के पास पार्किंग की सुविधा नहीं है, जिससे पूरा शहर जाम से परेशान है।
मेयर प्रत्याशी निरंजन कुशवाहा के अनुसार नगर निगम पार्किंग का टेंडर एक ही व्यक्ति को दिया जाता है, इसी से पूरी समस्या खड़ी होती है। इस टेंडर को 200-300 लोगों में बांटा जाना चाहिए।
वहीं, हमने जब पूर्णिया शहर के ही सफाई कर्मियों के मोहल्ले का रुख किया, तो वहाँ समस्याएं बदल गईं। यहाँ लोग जलजमाव, कीचड़, कच्ची सड़क, शौचायल जैसी मूलभूत समस्यायों की बात करते हैं। सफेदा बरसात के दिनों के भयावह दृश्य को बयान करती हैं, तो चन्दन मलिक जल निकासी की सुविधा के अभाव की ओर ध्यान दिलाते हैं। वहीं, विनय खुले में जमे गंदे पानी को शहर के कचड़े से छुपाने की स्थानीय लोगों के तरकीब के बारे में बताते हैं।
मेयर प्रत्याशी शाहिद रजा भूमिहीन गरीबों के लिए बहुमंज़िली ईमारत बनाना चाहते हैं, आनंत भारती सरकार की मदद से शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना चाहते हैं।
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बिहार के नगर निकाय और पंचायत चुनावों में अक्सर देखा जाता है कि यहाँ आरक्षण का मखौल उड़ाकर अक्सर डमी कैंडिडेट के सहारे बड़े नेता चुनाव जीतते हैं और खुद को प्रतिनिधि बता कर हुकूमत करते हैं। गाहे-बगाहे इस चीज़ की आलोचना होती रहती है, लेकिन ये बात अब भी आम सी है। इससे परे पूर्णिया में हमें मेयर प्रत्याशी विभा कुमारी खुद डोर टू डोर कैंपेन करती नज़र आईं। वहीं, डिप्टी मेयर प्रत्याशी कनीज़ फातमा इस प्रतिनिधि सिस्टम को नकारते हुए साफ़ कहती हैं कि वह खुद सक्षम हैं, उन्हें पति के सहारे की ज़रूरत नहीं है। हालाँकि उनके पोस्टर पर पति की तस्वीर ज़रूर है।
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