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किशनगंज के वीर कुंवर बस स्टैंड के टेंडर में अनैतिक लाभ पहुंचाया गया!

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश उपाध्यक्ष टीटू बदवाल ने किशनगंज नगर परिषद पर असंवैधानिक तरीके से बस स्टैंड का टेंडर सुमित बोस को देने का आरोप लगाया है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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किशनगंज वीर कुंवर सिंह बस स्टैंड के वित्तीय वर्ष 2023-24 की बंदोबस्ती के अनुबंधन के लिए पिछले दिनों डाक कराया गया, जिसमें सुमित बोस नामक आवेदक ने सबसे अधिक राशि की बोली लगाई।

इस टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। बताया जा रहा है कि असंवैधानिक तरीके से टेंडर दिया गया है।

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश उपाध्यक्ष टीटू बदवाल ने किशनगंज नगर परिषद पर असंवैधानिक तरीके से बस स्टैंड का टेंडर सुमित बोस को देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि निविदा शर्तों को ताक पर रखकर बस स्टैंड का डाक किया गया है।


टीटू बदवाल ने कहा कि वित्तीय वर्ष 23-24 के लिए किशनगंज शहर के वीर कुंवर सिंह बस स्टैंड का डाक 17 मार्च 2023 को 1 करोड़ 16 लाख 55 हजार में संपन्न हुआ है, लेकिन उच्चतम डाक लेने वाले सुमित बोस के द्वारा बंदोबस्ती की राशि 24 घंटे के अंदर नगर परिषद किशनगंज को जमा नहीं की गई, जबकि आज डाक बंदोबस्ती के आठ दिन पूरे हो गए हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि आवेदक सुमित बोस के द्वारा जो जीएसटी नंबर बस स्टैंड के डाक में भाग लेने से पूर्व नगर परिषद में जमा किया गया था, वह नंबर अब निष्क्रिय हो चुका है।

उन्होंने कहा, “मैं नगर परिषद् के कार्यपालक अधिकारी से पूछना चाहता हूँ कि आप ने जो डाकधारक को दस दिन का समय दिया, वह किस नियम के तहत दिया? एनआईटी में साफ़ लिखा हुआ है कि टेंडर पास होने के 24 घंटे के अंदर टेंडर की पूरी राशि जमा करना अनिवार्य है। किस कानून के तहत आप ने उनको 10 दिन का समय दे दिया? आप मीडिया के सामने आकर इसका जवाब दें कि पूरा पैसा जमा न करने पर आप ने उनका (सुमित बोस) टेंडर रद्द क्यों नहीं किया, राशि जब्त क्यों नहीं की? उनके ऊपर एफ़आईआर दर्ज क्यों नहीं की?”

टीटू बदवाल ने आगे कहा कि डाक बंदोबस्ती निविदा के गाइडलाइन के अनुसार डाक बंदोबस्ती के लिए डाक में भाग लेने वाले व्यक्ति का जीएसटी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट देना अनिवार्य होता है। डाक समापन के बाद उच्चतम डाक वक्ता को डाक समाप्ति के चौबीस घंटे के अंदर, डाक की पूरी राशि नगद जमा करना होता है।

Kishanganj bus stand bandobasti and titu badwal photo
बंदोबस्ती के दिन का फ़ाइल फ़ोटो (बाएं) और टीटू बदवाल (दायें)

समय पर राशि नहीं जमा करने के स्थिति में बंदोबस्ती रद्द कर सुरक्षित जमा राशि जब्त कर ली जाती है। उन्होंने कहा कि सुमित बोस का जीएसटी नंबर रिटर्न फाइल नहीं होने के कारण बंद हो गया है।

“मैं एक ‘क्लास-वन’ कांट्रेक्टर हूँ किशनगंज का। जब हम लोग टेंडर डालते हैं, तो उसमें एक शपथ पत्र दिया जाता है कि मेरे द्वारा दिए गए सारे कागज़ात सत्य हैं। जब उनका जीएसटी बंद था, तो उनका टेंडर रद्द क्यों नहीं किया। टेंडर के किस खंड के तहत उनको 24 घंटे का समय दिया गया कि आप अपना पेपर ठीक कर लीजिये। मैं स्पष्ट पूछना चाहता हूँ कि कार्यपालक अधिकारी ने अब तक कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया? कहीं वह भी मिली भगत में शामिल तो नहीं हैं? यह जो बस स्टैंड के टेंडर के नाम पर फ़र्ज़ीवाड़ा चल रहा है इसका खुलासा होना चाहिए,” टीटू ने कहा।

वह आगे कहते हैं, “मैं माननीय जिला पदाधिकारी से अनुरोध करता हूँ कि इस मामले का संज्ञान लें और इसकी जांच कराएं।”

“अगर मेरा जीएसटी पंजीकरण फेल है और मैंने इसके नए पंजीकरण के लिए आवेदन दिया है, तो उस आधार पर मैं टेंडर नहीं डाल सकता हूँ, यह वैलिड नहीं है। कार्यपालक अधिकारी बजाब्ता कंडिका के साथ मीडिया के सामने इस मामले की जानकारी मुझे दें और बताएं किस कंडिका के आधार पर सुमित बोस को 24 घंटे का समय दिया है, जीएसटी ठीक करने का,” वह कहते हैं।

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उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 61 लाख के आसपास रकम जमा की गई है जबकि टेंडर की कुल राशि 1 करोड़ 16 लाख 55 हजार है जिसे 24 घंटे के भीतर जमा करना था। उनके अनुसार राशि जमा न करने पर बैंक गारंटी भी दे सकते थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। टीटू बड़वाल ने आगे कहा कि अगर इस मामले को नगर परिषद् नियमित तौर पर नहीं सुलझाता है, तो वह न्यायालय का रुख करेंगे।

क्या कहता है एनआईटी का नियम

नगर परिषद किशनगंज द्वारा जारी किये गए एनआईटी (नोटिस इंवाइटिंग टेंडर) में लिखे एहम शर्तों में जीएसटी क्लियरेंस सर्टिफिकेट देना अनिवार्य बताया गया है। आधार कार्ड, निर्गत चरित्र प्रमाण-पत्र जैसे कागज़ात को भी टेंडर भरने के लिए अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा एनआईटी पत्र में डाकधारक को डाक समाप्ति के 24 घंटे के अंदर पूरी राशि जमा करने की बात लिखी गई है।

kishanganj bus stand tender notice and terms
टेंडर नोटिस व शर्त

नियम पत्र में लिखा है, “उच्चतम डाकवक्ता को डाक समाप्ति के 24 घंटे के भीतर पूरी राशि नगद में /डीडी (डिमांड ड्राफ्ट)/ बैंक गारंटी के रूप में में जमा करना होगा। उसके उपरांत ही एकरारनामा किया जाएगा। ससमय राशि जमा नहीं करने पर बंदोबस्ती रद्द कर दी जाएगी व सुरक्षित जमा राशि ज़ब्त कर ली जाएगी।”

नगर परिषद की सफाई

इस पूरे मामले पर किशनगंज नगर परिषद के चेयरमैन इंद्रदेव पासवान ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष के डाक की राशि दोगुनी हुई है और सुमित बोस ने अब तक 70 लाख रुपय नगर परिषद को जमा किया है।

उन्होंने कहा, “बस स्टैंड के ठेकेदार सुमित बोस के द्वारा बकाया राशि जमा करने के लिए 24 मार्च को उन्हें कार्यपालक अधिकारी द्वारा सूचना दी गई, लेकिन बाहर रहने के कारण वह सूचना 25 मार्च हस्तगत हुई। चूँकि शनिवार और रविवार को बैंक अवकाश है, इसलिए उन्होंने (सुमित बोस ने) एक आवेदन दिया है कि बैंक बंद होने के कारण वह सोमवार को हर हालत में पूर्ण राशि जमा कर देंगे।”

डाकधारक सुमित बोस के जीएसटी निष्क्रिय होने के संबंध में चेयरमैन इंद्रदेव पासवान ने कहा, “यह तो जीएसटी का मामला है। इसे आयकर विभाग देखेगा। हमलोग को रेवेन्यू देखना है। अगर अनियमितता होगी, तो कार्रवाई की जाएगी।”

इस मामले में हम ने किशनगंज जिला परिषद के कार्यपालक दीपक कुमार से भी बात की। उन्होंने बताया कि 27 मार्च को डाकधारक सुमित बोस ने डाक टेंडर की बची हुई राशि जमा कर दी है और उसे विभाग द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। हम ने उनसे टीटू बदवाल द्वारा लगाए गए नियम की अनदेखी के आरोप के बारे में पूछा, तो कार्यपालक अधिकारी ने कहा कि इस बार कुछ विशेष कारणों से डाकधारक सुमित बोस को अपनी राशि जमा करने के लिए कुछ और समय दिया गया था, क्योंकि इस बार की रकम पिछले वर्ष से दोगुनी हो गई है, इसलिए इस प्रक्रिया के पूरी होने में थोड़ी देरी हुई। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है। बैंक में छुट्टी के कारण उन्हें सोमवार 27 मार्च को राशि जमा करने को कहा गया था, जो उन्होंने कर दिया है।

सुमित बोस के जीएसटी नंबर के निष्क्रिय होने के सवाल पर दीपक कुमार ने कहा कि अभी उनका जीएसटी का मामला क्लियर नहीं हुआ है। आयकर विभाग इस बारे में बेहतर जानकारी दे पाएगा। डाकधारक ने जिला पदाधिकारी को इस बारे में पत्र लिखा है और फिलहाल उनके जीएसटी का काम चल रहा है।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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