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बिहार को पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाला चचरी पुल

बांस का यह पुल कटिहार ज़िले के अमदाबाद प्रखंड को मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर-2 प्रखंड से जोड़ता है।

shadab alam Reported By Shadab Alam |
Published On :
katihar news

चचरी के किनारे लगे बांस के सहारे यह बूढ़ी अम्मा बिहार के कटिहार जिले से पश्चिम बंगाल के मालदा जा रही हैं। बांस का यह पुल कटिहार ज़िले के अमदाबाद प्रखंड को मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर-2 प्रखंड से जोड़ता है।


रघुनाथपुर ढाला, तैयबपुर ढाला, पहाड़पुर चौक से पश्चिम बंगाल सीमा तक जाने वाली इस कच्ची सड़क और चचरी पुल से आस-पास के पूर्णिया, कटिहार और मालदा ज़िले के लोग रोज़ाना आना जाना करते हैं। इस पुल से रोज़ कितने लोग गुज़रते होंगे, इसका अंदाज़ा आप इससे लगा सकते हैं कि चचरी पुल को बचाये रखने के लिए प्रतिदिन इसमें दस नए बांस जोड़े जाते हैं। इस चचरी पुल को बनाने वाले और देखरेख करने वाले मालदा निवासी सैयद जियाउद्दीन कहते हैं कि लोग देर रात तक पुल का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि आवागमन के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं है।

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बिहार के गाँव-गाँव में बन रहे कचरा घरों का कितना हो रहा है इस्तेमाल?

कटिहार के रहने वाले दीपक अपनी माँ के साथ बाइक से बहन के घर जा रहे हैं। वह बताते हैं कि उस पार जाने का चचरी ही एक मात्र सहारा है।


मालदा के रहने वाले ध्रुव मंडल कहते हैं कि जिला मुख्यालय उनके गाँव से दूर है, इसलिए मार्केट से लेकर डॉक्टर तक के लिए वह सीमांचल के कटिहार और पूर्णिया ज़िले पर निर्भर हैं।

पूर्वी करीमुल्लापुर के मुखिया तारिक अनवर ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि यहाँ पहले बाँध हुआ करता था, जो 2017 की बाढ़ कट गया। तबसे यहाँ लोग चचरी पुल का इस्तेमाल कर रहे हैं। आगे उन्होंने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत इस सड़क और पुल की स्वीकृति साल भर पहले मिल चुकी है। स्थानीय मनिहारी विधायक मनोहर प्रसाद सिंह ने भी बताया कि सड़क की स्वीकृति मिली है।

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सय्यद शादाब आलम बिहार के कटिहार ज़िले से पत्रकार हैं।

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