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कानून में प्रावधान नहीं फिर भी शराब मामले में नकदी जब्त, अब कोर्ट सुन रहा, न डीएम-एसपी

जहानाबाद जिले के टिकुलिया गांव के रहने वाले 55 साल के बृजलाल यादव 12 दिसम्बर 2021 की दोपहर खेत में धान की कटनी कर रहे थे, तभी उन्हें खबर मिली कि काको थाने की पुलिस उनके घर पर छापेमारी करने पहुंची है। वह खेत से भाग गये। बाद में जब पुलिस छापेमारी कर लौट गई, तो वह घर पहुंचे।

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
बृजलाल यादव

यह एक अजीबोगरीब मामला है। शराबबंदी कानून में जिस चीज की जब्ती का जिक्र नहीं, पुलिस ने उसे भी जब्त कर लिया और अब कोर्ट से लेकर एसपी व डीएम तक इस मामले में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर रहा, क्योंकि कानून में उस चीज की जब्ती का जिक्र ही नहीं है।

जहानाबाद जिले के टिकुलिया गांव के रहने वाले 55 साल के बृजलाल यादव 12 दिसम्बर 2021 की दोपहर खेत में धान की कटनी कर रहे थे, तभी उन्हें खबर मिली कि काको थाने की पुलिस उनके घर पर छापेमारी करने पहुंची है। वह खेत से भाग गये। बाद में जब पुलिस छापेमारी कर लौट गई, तो वह घर पहुंचे।

घर पहुंचने पर उन्होंने पाया कि पुलिस ने शराब के साथ उनके 2.24 लाख रुपये भी जब्त कर लिया है। ये रुपये बृजलाल ने दूसरे जरूरी काम करने के लिए रखा था।


“छापेमारी जिस दिन हुई, उसके अगले ही दिन मेरी बेटी को देखने के लिए मेहमान आने वाले थे। वह पैसा मैंने उन मेहमानों पर खर्च करने के लिए रखा था,” बृजलाल यादव ने कहा।

छापेमारी के चलते अगले दिन मेहमान नहीं आये। बृजलाल यादव भी केस में उलझ गये। उन्होंने अगले दिन थाने में सरेंडर कर दिया। पुलिस ने चूंकि उनके घर से हथियार भी बरामद किया था, तो शराबबंदी वाले मामले में उन्हें जहानाबाद कोर्ट से ही ढाई महीने में जमानत मिल गई, लेकिन हथियार बरामदगी के मामले में उन्हें करीब साढ़े 8 महीने के बाद पटना हाईकोर्ट से जमानत मिली।

शराबबंदी कानून में जिस मकान व वाहन से शराब मिली हो, उसे सील करने का नियम है, तो बृजलाल यादव के मकान और मोटरसाइकिल को पुलिस ने सील कर दिया था, जिसे लगभग एक साल बाद उन्होंने छुड़ाया।

brij lal yadv bike was seized by police
पुलिस ने यह बाइक सीज की थी, जिसे 20 हजार रुपये जुर्माना देकर उन्होंने छुड़ाया

मकान की सीलबंदी के दरम्यान उनका परिवार मवेशी बांधने वाली झोपड़ी में रहा करता था। मकान के सामने की झोपड़ी को दिखाते हुए बृजलाल कहते हैं, “इसी झोपड़ी में मेरी बेटी और पत्नी रहती थी। उनकी सर्दी, गर्म और बरसात इसी झोपड़ी में गुजरी है। इसी झोपड़ी में वह खाना भी पकाती थी।”

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बृजलाल ने दो कट्ठा खेत बेचकर मकान और मोटरसाइकिल छुड़वाया। “4 लाख रुपये मकान को छुड़वाने में और 20 हजार रुपये बाइक को छुड़वाने में खर्च हो गये और कोर्ट कचहरी में तो अब भी पैसा खर्च हो ही रहा है।”

लेकिन, नकद 2.24 लाख रुपये, जो पुलिस ने जब्त किये थे, उसे वह नहीं छुड़ा पा रहे हैं।

शराबबंदी कानून में क्या लिखा है

बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) अधिनियम में कहा गया है कि अगर इस अधिनियम के अधीन किसी परिसर (पूरे परिसर या उसके किसी भाग) में कोई अपराध (शराब से संबंधित) होता हो या किया गया हो, तो अधिनियम की धारा 73 के अंतर्गत कोई पदाधिकारी तुरंत परिसर (पूरे या उसके किसी भाग) को सीलबंद कर सकेगा।

कानून में यह भी लिखा गया है कि अगर किसी वाहन से शराब बरामद होती है, तो उस वाहन को भी जब्त किया जाएगा। कानून में शराब भरी बोतल, शराब बनाने में इस्तेमाल उपकरण आदि को भी जब्त करने का अधिकार पुलिस को है।

लेकिन कानून में कहीं भी नकदी जब्त करने का जिक्र नहीं है। लेकिन, इसके बावजूद पुलिस ने बृजलाल के घर से 2.24 लाख रुपये जब्त कर लिये।

चूंकि कानून में कहीं भी रुपये जब्त करने की बात नहीं कही गई है, तो डीएम, एसपी और अदालत तक से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है, नतीजतन उनके रुपये थाने के माल गोदाम में धूल फांक रहे हैं।

रुपये पाने के लिए उन्होंने डीएम और एसपी तक से गुहार लगाई है, लेकिन कहीं से उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।

इस साल 12 मई को उन्होंने जहानाबाद के डीएम को एक पत्र लिखकर कहा कि पुलिस ने उनके रुपये जब्त कर रखा है, जिसके लिए वे काफी परेशान हैं, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं आया है।

“डीएम और एसपी के पास गये, तो उन्होंने कहा कि नियम में तो पैसा जब्त करने का अधिकार नहीं है, कैसे पैसा जब्त कर लिया? लेकिन नियम नहीं होने के हवाला देकर उन्होंने किसी भी तरह का आदेश देने से इनकार कर दिया,” बृजलाल कहते हैं, “कई बार जनता दरबार जाकर भी डीएम को आवेदन दिया, मगर कुछ भी नहीं हो रहा है।”

कोर्ट ने कहा – नॉन मेंटिनेबल

पिछले साल अक्टूबर में बृजलाल यादव ने पुलिस द्वारा जब्त की गई नकद राशि को छोड़ने के लिए जहानाबाद कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। मगर कोर्ट से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

कोर्ट ने अपने आदेश में दो टूक लहजे में कह दिया कि यह मामला ‘नॉन मेंटिनेबल’ है, जिसका मतलब है कि उक्त याचिका कानून के प्रावधानों के तहत नहीं है।

हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश में इस संबंध में जांच अधिकारी के रुख का जिक्र किया है।

कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में थाने से रिपोर्ट मांगी गई थी और थाने की तरफ से रिपोर्ट सौंप दी गई है, जिसमें जांच अधिकारी ने कहा है कि उन्हें जब्त नकद जारी करने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, जांच अधिकारी ने डीएम को एक प्रस्ताव भेजकर यह कहते हुए नकदी की जब्ती की अपील की थी कि बृजलाल ने यह पैसा शराब बेचकर कमाया है, अतः नकदी केस से जुड़ी हुई है।

बृजलाल का केस लड़ने वाले वकील संजीव कुमार कहते हैं कि किसी भी स्तर से इस मामले में हस्तक्षेप की कोशिश नहीं हो रही है, जो चिंताजनक बात है।

उन्होंने कहा, “सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि कोर्ट इस याचिका को खारिज भी नहीं कर रहा है। अगर जहानाबाद कोर्ट से याचिका खारिज हो जाती, तो हमलोग पटना हाईकोर्ट चले जाते।”

“डीएम और एसपी जैसे शीर्ष अधिकारी भी इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दे रहे हैं,” उन्होंने कहा।

पुलिस का रुख

इस पूरे मामले में पुलिस का कहना है कि उन्होंने जो भी कार्रवाई की है, कानून के दायरे में की है।

काको थाने के एसएचओ ने कहा, “विधि सम्मत कार्रवाई हुई है। हमलोग पैसा देने को तैयार हैं अगर हमें कोर्ट से आदेश मिल जाए।”

यह पूछे जाने पर कि शराबबंदी कानून में नकदी की जब्ती का कोई प्रावधान नहीं है, तो फिर पुलिस ने कैसे इतनी बड़ी रकम जब्त कर ली, उन्होंने कहा, “पुलिस को लगा कि जो रुपये रखे हुए हैं, वे शराब से कमाये हुए हैं, इसलिए पुलिस ने पैसा जब्त किया है।”

जब हमने उनसे पूछा कि पुलिस कैसे इस नतीजे पर पहुंची कि जब्त रुपये शराब से ही कमाये गये हैं, तो उन्होंने कहा, “आरोपी को यह साबित करना चाहिए कि जब्त रुपये उन्होंने शराब बेचकर नहीं कमाये हैं।”

कई बार कोर्ट और आला अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर लगा चुके बृजलाल अब इस बात को लेकर आशंकित हो चले हैं कि कानूनी पेंचीदगियों में फंसा उनका रुपये मिलेगा कि नहीं।

वह उदास होकर कहते हैं, “पुलिस ने तो कहा है कि आज नहीं तो 10 साल बाद पैसा वापस मिल जाएगा, लेकिन इतनी दौड़-भाग करने के बावजूद पैसा नहीं मिला, तो लगता है कि पैसा नहीं भी मिल सकता है।”

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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