2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) की घोषणा की गई थी।
इस योजना के तहत पूरे ग्रामीण भारत को निरंतर बिजली की आपूर्ति प्रदान करना था।
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दावा किया गया कि सरकार ने 1000 दिनों के भीतर 1 मई, 2018 तक 18,452 अविद्युतीकृत गांवों का विद्युतीकरण करने का फैसला लिया है।
इसके बाद बिहार के पिछड़े इलाकों के विद्युतीकरण में भी तेजी आई और आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद कटिहार जिले के गांवों में भी बिजली आई।
गांवों में बिजली आने के साथ-साथ बिजली बिल वसूलने और मीटर रीडिंग करने के लिए कुछ प्राइवेट कर्मियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जिसे आरआरएफ यानी Rural Revenue Franchise (RRF) कहा गया।
2017 से कटिहार के बारसोई अनुमंडल में लगभग 300 आरआरएफ कर्मी बहाल हुए और उन्हें बारसोई अनुमंडल के 2 लाख 14 हजार 90 बिजली उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग करने की जिम्मेदारी दी गई।
इनका काम घर-घर जाकर मीटर चेक करना और बिजली बिल निकालना होता है। ग्राहक उनके पास बिजली बिल की राशि जमा भी कर सकते हैं।
प्रत्येक मीटर की रीडिंग करने के लिए एक आरआरएफ कर्मी को एनबीपीडीसीएल 06 रुपए 39 पैसे देती है और बिजली बिल जमा करने पर राशि का तीन प्रतिशत दिया जाता है।
यह सभी आरआरएफ कर्मी बिहार सरकार की बिजली कंपनी नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एनबीपीडीसीएल) के लिए काम करते थे, जिन्हें असिस्टेंट इंजीनियर द्वारा कांट्रेक्ट पर रखा गया था।
अब आरोप है कि कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल के लगभग सभी 300 आरआरएफ कर्मियों को विभाग ने अचानक उनके तय समय सीमा से पहले कार्यमुक्त कर दिया और उन्हें एक एजेंसी (M/S Quess Crop Ltd, 3/3/2 Bellender Gate Suvjapur Road, Banglore 560103) के अंदर रहकर काम करने को कहा गया।
आर आर एफ कर्मी इस फैसले से नाराज़ हैं। उन्हें कई तरह की चिंताएं सताने लगी हैं।
रूबी देवी एक आरआरएफ कर्मी हैं। 2016 में उनके पति की 11 हजार वोल्ट के तार गिर जाने के बाद करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद विभाग ने रूबी देवी को नौकरी के नाम पर मीटर रीडिंग करने का काम दिया।
रूबी देवी ने बताया, “2016 के बाद से हम लोग क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हम लोग सीधे जनता से जुड़े होते हैं और इस क्षेत्र में बड़े अधिकारी बिल्कुल भी नहीं आते हैं। क्षेत्र में बिजली की कुछ भी समस्या होने पर जनता हमसे पूछती है की बिजली क्यों नहीं है क्योंकि बारसोई अनुमंडल के ज्यादातर हिस्सों में लोग कम पढ़े लिखे हैं और ज्यादातर मजदूर हैं जिसके कारण हम लोगों को बिजली विभाग के कर्मचारी समझते हैं और सवाल करते हैं।”
आगे वह बताती है कि हम लोगों ने सालों से लोगों का गुस्सा और बातें सुनी हैं, हम लोग हर बार जनता को समझा-बुझाकर शांत करते हैं। जहां विभाग के लोगों का काम होता है उसमें हर तरह से हम लोग सहयोग भी करते हैं लेकिन आज विभाग हमें बेंगलुरु की एजेंसी के अंदर काम करने को बोल रहा है, जो हम लोगों को मंजूर नहीं है।
2017 से लगातार आरआरएफ कर्मी बिजली विभाग के लिए मीटर चेक करते हैं और बिल निकालते हैं।
घटेगी कमाई, बढे़गी अनिश्चिंतता
मो. सरफराज आलम भी 2017 से एक आरआरएफ कर्मी के रूप में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि जिस कार्य को हम लोग 6 रुपए 39 पैसे में करते हैं, उसी काम को करने के लिए बिजली विभाग एक बेंगलुरु की कंपनी को 12 रुपए 15 पैसे देना चाह रही है। और तय समय सीमा से पहले हम लोगों का कांट्रेक्ट खत्म कर एजेंसी के अंदर काम करने के लिए बोला जा रहा है।
वर्तमान में एक आरआरएफ कर्मी लगभग 1500 मीटर रीडिंग करता है, लेकिन एजेंसी प्रत्येक कर्मी को सिर्फ 1000 मीटर रीडिंग करने के लिए देगी, इससे आरआरएफ कर्मियों की आर्थिक तंगी बढ़ जाएगी।
मो. सरफराज आलम कहते हैं कि क्षेत्र में लोग बिजली की हर समस्या का जिम्मेदार आरआरएफ कर्मी को मानते हैं और हम लोगों को ही समाधान करने के लिए कहते हैं। हम लोगों का बाजार जाना भी मुश्किल हो जाता है। जब मार्केट में निकलते हैं तो लोग बिजली के बारे में पूछने लगते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गाली गलौज भी करते हैं। उनका कहना होता है कि जब बिजली बिल तुमको देते हैं तो बिजली की समस्या होने पर विभाग को या इंजीनियर को क्यों कहें।
“लॉकडाउन और कोरोना काल में भी सभी आरआरएफ कर्मी जान जोखिम में डालकर बिना सुरक्षा किट के काम किया। जब अधिकारी डर से ऑफिस नहीं आते थे, तब हम लोगों ने रेवेन्यू कलेक्शन कर विभाग को दिया। लेकिन आज हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में औरतें झाड़ू लेकर मारने का बात कहती है हम लोग परिवार चलाने के लिए उन सब बातों को भी सुनकर रहते हैं,” सरफराज ने कहा।
आरआरएफ कर्मियों का कहना है कि रात में कोई समस्या हो जाने पर कोई भी अधिकारी फोन नहीं उठाता है उस वक्त पब्लिक हम लोगों को फोन करती है। हम लोग अच्छा काम कर रहे थे जिसकी वजह से पिछले साल बारसोई सब डिवीजन पूरे बिहार में तीसरा स्थान आया और सभी आरआरएफ कर्मी को सम्मानित भी किया गया था। हम लोगों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की वजह से ही अधिकारियों को प्रमोशन मिलता है।
आरआरएफ कर्मी बादल राय का कहना है कि एजेंसी आ जाने से सभी के ऊपर काम का दबाव बढ़ेगा और हम लोगों को कम पैसे मिलेंगे। “वर्तमान में बिजली बिल जमा करने पर हमें 3% मिलता है यानी एक लाख रुपए की राशि में ₹3000 मिलता है लेकिन एजेंसी याद आने के बाद एक लाख रुपए में हम लोगों को सिर्फ ₹750 ही मिलेंगे, जिससे ज्यादा काम करने पर भी कम पैसे मिलेंगे और साथ में एजेंसी का दबाव भी रहेगा,” बादल राय ने कहा।
“हम लोगों के द्वारा जमा किए गए रेवेन्यू से ही अधिकारी को सैलरी मिलती है और अच्छे काम करने से उन्हें ही प्रमोशन मिलता है हम लोगों को कुछ नहीं उल्टे अब कम पैसे में काम करना होगा।हम लोग एजेंसी के अंदर किसी भी हालत में काम नहीं करना चाहते हैं चाहे कुछ भी हो जाए,” वह आगे बताते हैं।
जहां अभी एजेंसी काम कर रही वहां का अनुभव बुरा
मोहम्मद अजहर आलम आजमनगर सेक्शन में काम करने वाले आरआरएफ हैं। उन्होंने मैं मीडिया को बताया कि एजेंसी के अंदर काम करने से हम लोगों को काफी नुकसान होगा, क्योंकि हमारे बगल के प्राणपुर क्षेत्र में एजेंसी आई हुई है।
“प्राणपुर में जब एजेंसी आई थी, तब आरआरएफ कर्मियों को कई तरह की सुविधाएं और लुभावनी घोषणाएं की गईं। लेकिन आज वहां के आरआरएफ कर्मी बिल्कुल भी खुश नहीं हैं। पहले जो व्यक्ति 15 से 18 हजार रुपए कमा लेता था, एजेंसी के आने के बाद वह व्यक्ति 8 से 10 हजार रुपए में ही संतुष्ट होना पड़ रहा है। इसीलिए हम लोग एजेंसी का विरोध कर रहे हैं और जरूरत पड़ी, तो आत्महत्या भी करेंगे लेकिन एजेंसी के अंदर काम नहीं करेंगे,” उन्होंने कहा।
आरआरएफ कर्मी संघ के जिलाध्यक्ष अख्तर अंसारी ने मैं मीडिया से बात करते हुए कहा कि सभी आरआरएफ कर्मी इमानदारी से काम करते हैं जिसकी वजह से मार्च 2021 में बारसोई अनुमंडल पूरे बिहार में तीसरे नंबर पर आया था और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सभी कर्मियों को सर्टिफिकेट और सम्मानित किया गया था। लेकिन आज हम लोगों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
जिस काम को करने के लिए बारसोई अनुमंडल के आरआरएफ को एनबीपीडीसीएल लगभग 13 लाख रुपए देती है, उसी काम को करवाने के लिए विभाग बेंगलुरु की कंपनी को लगभग 26 लाख रुपए देने का इच्छुक है।
आरआरएफ कर्मियों का एनबीपीडीसीएल से कॉन्ट्रैक्ट अप्रैल 2023 तक का था, लेकिन 1 नवंबर को काम करने के बाद आरआरएफ कर्मियों को कहा गया कि अब वे लोग एनबीपीडीसीएल नहीं बल्कि M/S Quess Crop Ltd कंपनी के लिए काम करेंगे।
“एजेंसी के आ जाने से बारसोई अनुमंडल में मीटर रीडिंग करने के लिए विभाग को अतिरिक्त 13 लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे,
जो हम लोगों को बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। किसी भी हालत में कोई भी आरआरएफ कर्मी एजेंसी के अंदर काम नहीं करेगा। हम लोग प्रदर्शन जारी रखेंगे। अगर हम लोगों की बात नहीं मानी जाती है तो सभी 300 आरआरएफ कर्मी मिलकर बिजली ऑफिस के सामने आत्महत्या या आत्मदाह कर लेंगे,” उन्होंने कहा।
ऊर्जा मंत्री से मिलेंगे विधायक महबूब आलम
आरआरएफ कर्मियों की मांग को लेकर बलरामपुर के विधायक महबूब आलम ने कई दिनों तक बारसोई अनुमंडल कार्यालय में बिजली ऑफिस के सामने धरना प्रदर्शन भी किया और आरआरएफ कर्मियों को सरकारी कर्मी का दर्जा दिलाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि बिजली विभाग में काफी भ्रष्टाचार होता है। बिजली बिल बहुत ज्यादा आ जाता है और मीटर लगवाने के नाम पर अवैध रूप से पैसे भी मांगे जाते हैं।
उन्होंने इस मामले को विधानसभा में आवाज़ उठाने और ऊर्जा विभाग के मंत्री से मिलकर आरआरएफ कर्मियों की मांग पर चर्चा करने का आश्वासन भी दिया।
टारगेट पूरा नहीं कर पा रहे थे आरआरएफ कर्मी – एग्जीक्यूटिव इंजीनियर
इस मामले को लेकर फोन पर हमारी बात बारसोई अनुमंडल के बिजली एग्जीक्यूटिव इंजीनियर विभास कुमार हुई। उन्होंने बताया कि आरआरएफ कर्मी अपने टारगेट को पूरा नहीं कर पा रहे थे, जिससे रेवेन्यू कलेक्शन कम हो रहा था। कई बार वार्निंग देने के बावजूद टारगेट पूरा नहीं हो पा रहा था।
कुछ आरआरएफ कर्मी ठीक से काम नहीं कर रहे थे। फेक बिलिंग की भी सूचना मिल रही थी क्योंकि कुछ आरआरएफ रात के 9:00 बजे भी बिलिंग करते थे, जो अपने आप में अजीब बात थी।
“जहां तक एनबीपीडीसीएल से कॉन्ट्रैक्ट की बात कही जा रही है असल में वह विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर और आरआरएफ के बीच किया गया एक कॉन्ट्रैक्ट था। और कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया गया जो विभाग के शर्तों को मानते हुए काम करने के लिए इच्छुक था,” उन्होंने कहा।
वह कहते हैं कि यह कॉन्ट्रैक्ट परमानेंट या लाइफ टाइम के लिए नहीं था। लेकिन किसी भी आरआरएफ कर्मी को चिंता करने की जरूरत नहीं है किसी को काम से नहीं निकाला जाएगा, बल्कि एजेंसी के आ जाने के बाद सभी आरआरएफ कर्मी को मेडिकल क्लेम भी मिलेगा और पहले से बेहतर पेमेंट भी।
“विभाग को ज्यादा बिजली बिल आने और बिना मीटर रीडिंग किए ही बिल आ जाने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। एजेंसी के आने के बाद सभी घर में स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा जिसमें बिलिंग करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन और लाइव जीपीएस लोकेशन की जरूरत होगी और बढ़िया क्वालिटी के कैमरा फोन के जरिए मीटर रीडिंग किया जाएगा जिसमें स्पष्ट रूप से मीटर का फोटो दिखाई देगा।इससे जनता को सही बिजली बिल मिलेगा, शिकायतें कम आएगी। एजेंसी के लोग हर दिन मॉनिटरिंग करते रहेंगे जिससे जनता को पूरा फायदा मिलेगा,” उन्होंने आगे कहा।
प्रत्येक मीटर के लिए एजेंसी को दोगुना पैसे देने की बात पर एक्सक्यूटिव इंजीनियर ने कहा कि जब एजेंसी आ जाएगी, तो जनता को सही बिल मिलेगा और रेवेन्यू कलेक्शन का काम एजेंसी के जिम्मे होगा। इसके लिए एजेंसी अपने कुछ लोग और सुपरवाइजर को रखेंगे, जो क्षेत्र में आरआरएफ की मॉनिटरिंग करेंगे। इससे फेक बिलिंग बंद हो जाएगा और ज्यादा बिजली बिल मिलने शिकायत खत्म हो जाएगी।
आरआरएफ कर्मियों को एजेंसी की तरफ से प्रिंटिंग रोल भी दिया जाएगा। मेडिकल क्लेम जैसी सुविधा भी एजेंसी देगी जिसके लिए विभाग एजेंसी को दोगुना पैसा दे रही है क्योंकि जब तक ठीक से रेवेन्यू कलेक्शन नहीं हो पाता है हम सही से बिजली नहीं दे पाएंगे। यह जनता के हित के लिए उठाया गया कदम है।
क्या आरआरएफ कर्मी भी करते हैं गड़बड़ी?
बलरामपुर के स्थानीय पत्रकार नासिर रजा ने क्षेत्र की कई बिजली समस्याओं की पड़ताल की है। उन्होंने बताया कि आरआरएफ कर्मी अवैध रूप से पैसे मांगते हैं और अगर कोई पैसे नहीं दिया, तो तय बिजली बिल में से 10 से 15 रुपए कम जमा करते हैं। बिजली बिल में 3% कमीशन होने के चलते आरआरएफ कर्मी ज्यादा बिजली बिल निकाल देते हैं, ताकि ज्यादा फायदा हो।
बारसोई के धरना प्रदर्शन में एक आरआरएफ कर्मी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि जब हमलोग किसी व्यक्ति के घर बिजली चोरी करते हुए देखते हैं, तो विभाग के अधिकारी को इसकी सूचना देते हैं, जिसके बाद उपभोक्ता पर फाइन लगाया जाता है और केस दर्ज करने की धमकी दी जाती है। इससे भयभीत होकर उपभोक्ता कुछ पैसे लेकर मामला खत्म करने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो उस पैसे में आरआरएफ को भी परसेंटेज मिलता है।
उल्लेखनीय है कि बलरामपुर के तेलता में ग्रामीणों ने सप्ताह दिन पहले भूख हड़ताल की थी। उन्होंने स्थानीय आरआरएफ कर्मी पर अवैध रूप से पैसे मांगने और पैसे नहीं देने पर बिजली कटवा देने की धमकी देने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरआरएफ कर्मी को नौकरी से हटाने की मांग की थी।
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