सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के गुजरातियों के खिलाफ की गई टिप्पणी के खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि मामले को गुजरात से बाहर ट्रांसफर करने संबंधी याचिको पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजद नेता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।
कपिल सिब्बल ने कहा था कि तेजस्वी यादव ने बिना शर्त अपनी टिप्पणी वापस लेते हुए एक “विशिष्ट” हलफनामा दायर किया है। जिस पर पीठ ने कहा कि आदेश सुरक्षित है और अदालत इसपर एक विस्तृत आदेश पारित करेगी।
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पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने संकेत दिया था कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष यादव के खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि के मुकदमे को रद्द कर देगी।
शिकायत तेजस्वी यादव की पिछले साल मार्च में की गई कथित टिप्पणी से जुड़ी है। आरोप है कि यादव ने कहा था कि ‘आज के समय में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं और उन्हें इसके लिए माफ भी किया जाएगा।’
अपनी शिकायत में सामाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी व अपराध निवारक परिषद नामक संगठन के उपाध्यक्ष हरेश मेहता ने आरोप लगाया है कि ये टिप्पणियां गुजरातियों को सार्वजनिक रूप से बदनाम और अपमानित करती हैं।
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