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किशनगंज: नई शिक्षक नियमावली के विरोध में सड़कों पर उतरे सैकड़ों शिक्षक

किशनगंज के नियोजित शिक्षकों ने सोमवार को नयी शिक्षक नियुक्ति नियमावली के विरोध में एक प्रतिरोध मार्च निकाला।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
teachers protest against new teacher niyamawali 2023 in kishanganj

किशनगंज के नियोजित शिक्षकों ने सोमवार को नयी शिक्षक नियुक्ति नियमावली के विरोध में एक प्रतिरोध मार्च निकाला।


बिहार सरकार द्वारा जारी की गई नयी नियमावली से शिक्षक संघ बेहद नाराज़ है। इस नियमावली के खिलाफ शिक्षक ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया और बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सैकड़ों की संख्या में नियोजित शिक्षकों ने शहर के सुभाष पल्ली स्थित नेशनल उच्च विद्यायल से एक विरोध मार्च निकाला, जो शहर के मुख्य मार्ग से गुजरते हुए जिला समाहरणालय तक पहुंचा।

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नियोजित शिक्षकों ने नए शिक्षा नियमों का पुरजोर विरोध कर किशनगंज समाहरणालय का घेराव किया और बिहार के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के विरोध में जमकर नारे लगाए। प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि नियोजित शिक्षक पिछले डेढ़ दशकों से ईमानदारी पूर्वक विद्यालयों को अपनी सेवाएं दे रहें है, लेकिन नयी शिक्षक नियुक्ति नियमावली में उन शिक्षकों का समायोजन नहीं किया गया है और न ही नियोजित शिक्षकों का जिक्र किया गया है।


बता दें कि नयी शिक्षक नियमावली के तहत नियोजित शिक्षकों को अब राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त करने के लिए बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा पास करना होगा। राज्य सरकार से नाराज़ शिक्षक इस नियम को उनके साथ अन्याय बता रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने क्या कहा

प्रारंभिक शिक्षा संघ के जिला अध्यक्ष राग़िबुर रेहमान ने कहा कि उनकी मांग है कि बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देते हुए नयी नियमवली में संयोजित करे।

उन्होंने कहा, “सरकार पौने तीन लाख शिक्षकों की बहाली का बोल कर पौने दो लाख वैकेंसी निकाल रही है, उसमें भी अगर हम से भरवाएगी तो एक लाख सीट हम लोग ले लेंगे तो हमारे बच्चों को क्या मिलेगा।”

“नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव समाज से धोखाधड़ी बंद करें और पौने तीन लाख की बहाली को नए शिक्षकों से भरे और हम लोगों को पद के साथ नयी नियमावली में समायोजित करें। तेजस्वी यादव ने वादा किया था कि शिक्षकों को नियमित करेंगे, पुरानी पेंशन देंगे और राज्यकर्मी का दर्जा देंगे। तेजस्वी यादव, आप अपना वादा पूरा कीजिये वरना आपको हमलोग जैसे सत्ता में लाये थे वैसे सत्ता से हटा भी देंगे।”

प्रदर्शन कर रहे एक और शिक्षक समाउल नबी ने कहा कि बिहार सरकार शिक्षकों को परीक्षा देने को कह रही है, हमें अभी स्कूल में रहकर बच्चों का भविष्य संवारना था, लेकिन सरकार तरह तरह के अर्चन डालकर बच्चों की पढ़ाई में बाधा डाल रही है, जो अफ़सोसजनक है।

प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ के इस संयुक्त प्रदर्शन में महिला शिक्षकों ने भी बड़ी तादाद में शिरकत की। मौके पर मौजूद शिक्षका कुमारी गुड्डी ने कहा, “हमलोगों ने जो मांग की है, वो जायज है। 17 वर्ष तक क्या किया जा रहा था? हमें सम्पूर्ण वेतनमान मिलनी चाहिए और अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो आगे भी हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”

माध्यमिक शिक्षा संघ के जिला अध्यक्ष अरशद आज़म फ़ारूक़ी का कहना है कि सालों से शिक्षा दे रहे शिक्षकों को नयी नियमावली में समायोजन नहीं किया गया है और ऊपर से इन शिक्षकों को परीक्षा देने को कहा जा रहा है।

“नयी नियमावली में कहा गया है कि आप परीक्षा दीजिए, तब आपका नाम इसमें समायोजित होगा। इसका मतलब है कि तीन कैडर बनाया जा रहा है। ये कहां से न्याय है। आप शिक्षा की गुणवत्ता की बात करते हैं। अगर एक ही विद्यालय में तीन लोग रहेंगे और आपस में मतभेद करते रहेंगे, तो बच्चों को क्या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देंगे। सरकार को आपत्ति है कि शिक्षक ठीक से नहीं पढ़ाते, चुनाव हो, कोई आपदा हो, जनगणना हो हम लोग पूरी निष्ठा से काम करते हैं। अगर हमारी मांग नहीं पूरी की गई, तो 20 मई को प्रमंडलीय स्तर पर आयुक्त के समक्ष हमारा धरना कार्यक्रम होगा,” अरशद फ़ारूक़ी कहते हैं।

प्रदर्शन में शामिल एक और शिक्षक राकेश कुमार झा ने कहा कि बिहार सरकार यह जो नयी नियमावली लाई है, इसके नियम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।

उन्होंने कहा, “नियोजित शिक्षक को डायिंग कैडर कर दिया गया है जबकि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब भी नयी नियमावली आएगी उसमें नियोजित शिक्षक को समायोजित किया जाएगा। सरकार नहीं मानी, तो हमलोग कोर्ट जाएंगे और उनको याद दिलाएंगे कि जो भी सरकार के मानदंड हैं, उसे हम शिक्षकों ने पूरा किया है, चाहे वह दक्षता की परीक्षा हो या स्टेट परीक्षा। बिहार सरकार सत्ता के नशे में सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को भी भूल गई है।”

विरोध प्रदर्शन कर रहे नियोजित शिक्षकों ने किशनगंज समाहरणालय पहुँच कर अधिकारी को अपना मांग पत्र भी सौंपा।

मौके पर मौजूद बीडीओ परवेज़ आलम ने कहा कि शिक्षकों के द्वारा एक मांग पत्र सौंपा गया है, जो जिला पदाधिकारी के हवाले से बिहार सरकार को भेजी जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही बिहार सरकार ने बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली की घोषणा की है, जिसके तहत नयी नियमावली को कैबिनेट से मंजूरी भी मिल चुकी है।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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