1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना के तहत ग्रामीण इलाक़ों में 8 करोड़ महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन देने का एलान किया था। सितम्बर 2019 को 8 करोड़ का यह आंकड़ा पूरा हो गया था। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के अनुसार देश में एलपीजी कवरेज 2016 के 62% के मुकाबले बढ़कर 99.8% हो चुका है। पूर्णिया ज़िले के जलालगढ़ प्रखंड की जलालगढ़ पंचायत स्थित सीमा गाँव निवासी भोजू चौहान का परिवार उन 0.2% में आता है, जिनके पास अब तक एलपीजी कनेक्शन नहीं है।
भोजू चौहान की बहु रेखा देवी के छोटे-छोटे बच्चे हैं और उन्हें रोज़ जलावन के लिए नहर जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि चूल्हे के धुंए से सबसे अधिक बच्चों को ही तकलीफ़ होती है।
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इस मामले में हमने जलालगढ़ पंचायत की मुखिया रुशन देवी के पति राजकुमार दास से बात की। उन्होंने माना कि उनके पंचायत क्षेत्र में ऐसे कई घर हैं, जहाँ राशन कार्ड और एलपीजी कनेक्शन नहीं मिल सका है। हालांकि उन्होंने बताया कि वह बचे हुए लोगों का राशन कार्ड बनवाने में लगे हुए हैं और कहा कि भोजू चौहान आज अपनी डिटेल्स लेकर आए, तो आज ही उनका काम करा दिया जायेगा।
भोजू की पड़ोसी नानकी देवी को एलपीजी कनेक्शन मिल तो गया, लेकिन पैसों के अभाव के कारण सिलिंडर और गैस चूल्हा दोनों घर में बेकार पड़े हैं। नानकी देवी के पति को कुछ महीने पहले ही लकवा मार दिया है, नानकी का कोई बेटा नहीं है। परिवार का सारा पैसा पति के इलाज में चला जाता है। 14.2 किलो वाले घरेलू गैस सिलिंडर की कीमत 1150 रुपए से ज़्यादा है। नानकी कहती हैं, गैस वाला रोज़ दरवाज़े पर आता है, जब पैसा होगा, गैस सिलिंडर ले लेंगे।
नानकी देवी की बेटी नीना देवी अपनी ससुराल से माँ का हाथ बंटाने आयी हैं। वह कहती हैं कि मेरी बूढी माँ अकेले है और वह कमाती नहीं है, तो गैस कहां से भरा सकेगी।
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