Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा दशकों पहले बना फारबिसगंज का एयरपोर्ट

1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सैनिकों के इस्तेमाल के लिए इस हवाई पट्टी का निर्माण भागलपुर सेंट्रल जेल के कैदियों द्वारा कराया था।

Main Media Logo PNG Reported By Main Media Desk | Araria |
Published On :

साल 1962 में पूर्णिया जिले के फारबिसगंज में बना एयरपोर्ट आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। 60 वर्ष बाद भी इस एयरपोर्ट का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है। आज इस हवाई अड्डे के मैदान में मवेशी चरते नजर आए आ रहे हैं। वहीं, लोगों ने एयर फील्ड के बीच से ही सुविधा अनुसार रास्ता बना लिया है। जबकि फारबिसगंज का यह हवाई अड्डा पूर्णिया के सैन्य हवाई अड्डे से काफी बड़ा और दरभंगा स्थित एयरपोर्ट से दोगुने आकार का है।

लेकिन, सरकारी आश्वासन के बावजूद आज तक यह एयरपोर्ट चालू नहीं हो पाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह एयरपोर्ट सिर्फ अररिया जिले ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के लिए भी काफी उपयोगी साबित होगा और यहां से उड़ान भरने वाली प्लेन नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित दिल्ली, पटना, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता जैसी जगहों से सीधा संपर्क बना लेगी। लेकिन इतने वर्ष बाद भी इस हवाई अड्डे की सुध लेने वाला कोई नहीं।

Also Read Story

2017 की बाढ़ में टूटा पुल अब तक नहीं बना, नेताओं के आश्वासन से ग्रामीण नाउम्मीद

कटिहार के एक दलित गांव में छोटी सी सड़क के लिए ज़मीन नहीं दे रहे ज़मींदार

सुपौल में कोसी नदी पर भेजा-बकौर निर्माणाधीन पुल गिरने से एक की मौत और नौ घायल, जांच का आदेश

पटना-न्यू जलपाईगुरी वंदे भारत ट्रेन का शुभारंभ, पीएम मोदी ने दी बिहार को रेल की कई सौगात

“किशनगंज मरीन ड्राइव बन जाएगा”, किशनगंज नगर परिषद ने शुरू किया रमज़ान नदी बचाओ अभियान

बिहार का खंडहरनुमा स्कूल, कमरे की दिवार गिर चुकी है – ‘देख कर रूह कांप जाती है’

शिलान्यास के एक दशक बाद भी नहीं बना अमौर का रसैली घाट पुल, आने-जाने के लिये नाव ही सहारा

पीएम मोदी ने बिहार को 12,800 करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का दिया तोहफा

आज़ादी के सात दशक बाद भी नहीं बनी अमौर की रहरिया-केमा सड़क, लोग चुनाव का करेंगे बहिष्कार

Satellite image of Forbesganj airfield


यहां बड़े नेताओं की सिर्फ राजनीतिक जनसभा ही होती है। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस एयरपोर्ट पर जनसभा को संबोधित किया था और कहा था कि यह एयरपोर्ट काफी महत्वपूर्ण है। इससे लोगों को काफी आस जगी थी।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था निर्माण

फारबिसगंज की हवाई पट्टी का इस्तेमाल 1934 से लेकर 1942 तक द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया था। 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सैनिकों के इस्तेमाल के लिए इस हवाई पट्टी का निर्माण भागलपुर सेंट्रल जेल के कैदियों द्वारा कराया था।

फारबिसगंज का यह हवाई अड्डा उस वक्त सुर्खियों में आयाथा, जब 10 जून 1973 को नेपाल के शाही विमान का अपहरण कर इसी हवाई पट्टी पर उतारा गया था। उस वक्त 37 लाख रुपए की लूट की गई थी। इस तरह की कार्रवाई नेपाल में चल रहे राणा हुकूमत के खिलाफ प्रजातंत्र स्थापित करने को लेकर आंदोलनकारियों के द्वारा की गई थी।

यह विमान अपहरण एशिया महादेश का पहला अपहरण था, जो काफी सुर्खियों में रहा था। इस कांड में भारत और नेपाल के तकरीबन डेढ़ दर्जन लोगों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। जिसे बाद में भारत नेपाल पारगमन संधि के बाद वापस ले लिया गया था।

दो प्रधानमंत्रियों ने किया था वादा

स्थानीय लोग बताते हैं कि जब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने इसी हवाई पट्टी पर चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए इसे चालू करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद जब केंद्र में मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने एक सभा में इसे चालू करने की बात कही थी। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हवाई अड्डा को चालू करने के संकेत दिये थे।

Sign board to Forbesganj airfield

गौरतलब हो कि 22 नवंबर 2006 को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने इस हवाई पट्टी का सर्वेक्षण किया था। तब उन्होंने इस हवाई पट्टी का नामांतरण मोटेशन एयरपोर्ट अथॉरिटी के नाम पर करने के संकेत दिए थे। सर्वेक्षण कर रहे एयर ट्रैफिक कंट्रोल के तत्कालीन प्रबंधक एके द्विवेदी ने इस हवाई पट्टी की घेराबंदी कराने की भी बात कही थी। इसके साथ ही इस जमीन की लीज प्रणाली को समाप्त करने की बात कहते हुए इस पर फ्लाइंग क्लब खोलने के संकेत दिए थे। हालांकि घेराबंदी का कार्य बहुत हद तक पूरा किया गया। मगर आज तक फ्लाइंग क्लब की बात कौन कहे लीज प्रणाली पर भी अंकुश नहीं लग पाया है।

हाईकोर्ट ने भी किया था हस्तक्षेप

एयरपोर्ट का मामला पटना हाईकोर्ट भी पहुंचा था। पटना हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार के सकारात्मक रवैये के बाद एयरपोर्ट चालू होने की उम्मीद बढ़ गई थी। इस मामले में कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के डीएम के साथ समीक्षा बैठक हुई थी। इसमें फारबिसगंज एयरपोर्ट को विकसित करने के आदेश के बाद इलाके के लोगों में एक उम्मीद जगी थी।

लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से पहले कोर्ट और फिर सरकार के द्वारा रुचि दिखाई गई है, इससे भारत और चीन के बीच हालिया रिश्ते को लेकर हवाई अड्डा के चालू होने की काफी प्रबल संभावना हो गई है।

सांसद ने एयरपोर्ट का मुद्दा लोकसभा में उठाया

फारबिसगंज हवाई अड्डा को चालू कराने को लेकर अररिया के सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने मार्च 2022 में इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया था। सांसद ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि नेपाल की सीमा के पास जिले के फारबिसगंज स्थित इस हवाई अड्डे का निर्माण 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान निर्माण कराया गया था। लेकिन आज वह जीर्ण शीर्ण अवस्था में है।

उन्होंने कहा था कि यह हवाई अड्डा आज भी अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है। सांसद ने आगे कहा था कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 4.1 उड़ान योजना के तहत फारबिसगंज एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी उड़ान की बात कही है। लेकिन, इसके भी 3 वर्ष बीत गए हैं, आज तक फारबिसगंज एयरपोर्ट का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया। सांसद ने कहा कि इस एयरपोर्ट के बन जाने से पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू के साथ अन्य शहरों और भारती के कई राज्यों के लिए हवाई सेवा का लाभ दोनों देश के लोग उठा पाएंगे। सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने लोकसभा स्पीकर से एयरपोर्ट को जल्द शुरू करने की मांग की थी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई भी कार्य नहीं हो पाया है।

एयरपोर्ट के पास के व्यवसायियों की स्थिति दयनीय

जैसे ही फारबिसगंज एयरपोर्ट के चालू होने की बात शुरू हुई थी। एयरपोर्ट की चारों ओर तकरीबन 70 – 80 दुकानें स्थानीय लोगों ने डाल दीं। उम्मीद थी कि एयरपोर्ट चालू होगा, तो क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा।

Cattle grazing inside Forbesganj airfield

वजह यह है कि सीमांचल का यह एयरपोर्ट भारत ही नहीं बल्कि नेपाल के लोगों के लिए भी सुलभ होता जिससे लोगों की आवाजाही बढ़ती और इससे आसपास के दुकानों में रोजगार का अवसर मिलता। मगर उनका यह सपना, सपना ही रह गया। लोइ बदहाल स्थिति में अपनी दुकानों को लेकर बैठे हैं। हवाई अड्डे के मुख्य द्वार के सामने होटल चला रहे सुमित कुमार मंडल ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से वह यहां होटल चला रहा है। लेकिन स्थिति आज काफी खराब है क्योंकि अभी तक एयरपोर्ट चालू नहीं हुआ। “हम लोगों का मानना था कि यहां एयरपोर्ट चालू होगा तो रोजगार बढ़ेगा लेकिन आज दुकान की स्थिति अच्छी नहीं है,” सुमित मंडल ने बताया। भाड़े पर लेकर दुकान चलाने वाले यहां दर्जनों दुकानदार हैं, जो इसी आस में बैठे हैं कि एयरपोर्ट चालू हो और उन्हें रोजगार के अवसर मिले। लेकिन सरकार के उदासीन रवैया के कारण आज तक यह एयरपोर्ट चालू नहीं हो पाया है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Main Media is a hyper-local news platform covering the Seemanchal region, the four districts of Bihar – Kishanganj, Araria, Purnia, and Katihar. It is known for its deep-reported hyper-local reporting on systemic issues in Seemanchal, one of India’s most backward regions which is largely media dark.

Related News

किशनगंज सदर अस्पताल में सीटी स्कैन रिपोर्ट के लिए घंटों का इंतज़ार, निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे लेने का आरोप

अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन की बदलेगी सूरत, 22 करोड़ रुपये से होगा पुनर्विकास

अररिया, मधेपुरा व सुपौल समेत बिहार के 33 रेलवे स्टेशनों का होगा कायाकल्प

“हम लोग घर के रहे, न घाट के”, मधेपुरा रेल इंजन कारखाने के लिए जमीन देने वाले किसानों का दर्द

नीतीश कुमार ने 1,555 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न योजनाओं का किया उद्घाटन

छह हजार करोड़ रूपये की लागत से होगा 2,165 नये ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण

किशनगंज के ठाकुरगंज और टेढ़ागाछ में होगा नये पुल का निर्माण, कैबिनेट ने दी मंजूरी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?