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हर परिवार को पक्के मकान का पीएम मोदी का वादा अधूरा

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
Published On :
kunti devi with her son in bishanpur panchayat of kishanganj

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने जगह-जगह जनसभाओं में ये संकल्प लिया था कि वह अगर दोबारा देश के प्रधानमंत्री बन जाते हैं, तो 2022 में जब देश आज़ादी का 75वां साल मना रहा होगा, तब तक कोई भी ऐसा परिवार नहीं होगा जिसका अपना खुद का पक्का घर नहीं होगा। साल 2022 आ गया, देश आज़ादी का अमृत महोत्सव भी मना रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत प्रधानमंत्री के वादे से कोसों दूर है।


सबको पक्का मकान प्रधानमंत्री का सिर्फ एक चुनावी वादा नहीं था बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के ‘क्रियान्वन के फ्रेमवर्क’ में लक्ष्य और उद्देश्य में भी साफ़-साफ़ लिखा है – “सभी बेघर परिवारों और कच्चे तथा जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे परिवारों को 2022 तक बुनियादी सुविधायुक्त पक्का आवास का लक्ष्य रखा गया है।” लेकिन, हालात ऐसे हैं कि साल 2022 खत्म होने तक भी यह लक्ष्य दूर-दूर तक पूरा होता नहीं दिख रहा है।

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आगे बढ़ने से पहले आपको यह बता दें कि आवास योजना से मिलने वाले पक्के मकान को सीमांचल क्षेत्र के लोग आम बोलचाल में ‘कॉलोनी’ भी कहते हैं।


बिहार के सबसे पिछड़े ज़िला किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत बिशनपुर ग्राम पंचायत के डहुआबाड़ी गाँव में कुंती देवी की सात साल पहले शादी हुई। अपने दो छोटे बच्चों के साथ कुंती का परिवार एक झोपड़ी में रहता है, जो पीछे की तरफ झुकता जा रहा है। पति की कमाई इतनी नहीं है की इस घर की मरम्मत करवा पाएं, लेकिन अब तक आवास योजना के लाभ से वंचित हैं।

बिशनपुर पंचायत से सटी हल्दीखोड़ा पंचायत के चोपड़ाबखाड़ी गाँव की मीना देवी हर साल 5 से 10 हज़ार रुपए खर्च कर अपने फूस के घर की मरम्मत करवाती हैं। उनके खानदान में चार परिवार हैं, लेकिन अब तक सिर्फ एक परिवार को आवास योजना का लाभ मिला है।


यह भी पढ़ें: जिस गाँव से मोदी ने रोज़गार योजना शुरू की, वहाँ के ज़्यादातर मज़दूर पलायन कर गए


नज़रपुर पंचायत के बाधटोला गाँव निवासी ऐनुल हक़ की कहानी भी कुछ ऐसी है। वह मज़दूरी कर परिवार का गुज़र बसर करते हैं। पांच लोगों का उनका परिवार फूस के एक कमरे के घर में रहता है। वह कहते हैं कि एक साल पहले ही आवास योजना के लिए सारा कागज़ जमा किया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है।

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सोंथा पंचायत के परवान टोली निवासी नसीम के तीन भाइयों के परिवार कुल तीन कट्ठा ज़मीन पर फूस के तीन घरों में रहते हैं। सरकार और जनप्रतिनिधयों से नाउम्मीद नसीम ने आवास योजना का लाभ लेने के लिए कोशिश करना भी छोड़ दिया है। वह खुद अपने आठ लोगों के परिवार के साथ अपने पिता के ज़माने में बनाई गई एक झोपड़ी में रहते हैं। उसी की समय-समय पर मरम्मत करवाते रहते हैं।

नसीम के पड़ोस में ही नूरी बेगम का घर है। पांच साल पहले पति का देहांत हो गया है। अपने तीन बच्चों के साथ टूटी-फूटी झोपड़ी में रह रही हैं। वह बताती हैं कि 2-3 साल पहले आवास योजना की सूची में नाम भी आ गया है, लेकिन अब भी घर बनाने के लिए पैसा नहीं मिला। विधवा के पास इतना पैसा भी नहीं है कि घर की मरम्मत करा सकें। वह कहती हैं कि इस तकलीफ में अगर आराम करने को एक घर भी नहीं होगा, तो कैसे क्या होगा पता नहीं।

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नब्बे के दशक में बिशनपुर पंचायत के डहुआबाड़ी निवासी सरचुन लाल हरिजन के पिता को आवास योजना के तहत एक घर मिला था। लेकिन घर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। घर के दोनों कमरे की बदहाल छत जब तब टूट कर गिरती रहती है। कभी कभार उन बंद कमरों से सांप भी निकल आता है। सरचुन अपने परिवार को लेकर इसी खंडहर के बरामदे में रहते हैं। उनके दो अन्य भाइयों के परिवार उसी आँगन में अपना-अपना फूस का घर बनाकर रहते हैं।

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किशनगंज ज़िले के एक अधिकारी ने हमें बताया कि आवास योजना को लेकर साल 2018 में पुनः सर्वे किया गया था, जिस आधार पर ज़िले में लगभग 45,000 लाभुकों को चिन्हित किया गया है। लेकिन अब तक तकरीबन 7400 यानी 17 फीसद से भी कम लोगों के घर का निर्माण पूरा हो गया है या शुरू हो चुका है। वहीं, पुराने आवास की मरम्मत के सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 1 अप्रैल 2010 से पहले बने घरों की मरम्मत करवाने के लिए फंड आवंटित करने पर विचार कर रही है, लेकिन इसको लेकर भी कोई फ्रेमवर्क अभी तय नहीं हुआ है।


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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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2 thoughts on “हर परिवार को पक्के मकान का पीएम मोदी का वादा अधूरा

  1. प्रधानमंत्री जी आप अपने वादे को पूरा करो
    हर इंसान को पक्का
    घर दिलाने का काम करे

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