पहली और सबसे पुरानी पार्टी है कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानी CPI या भाकपा। इसकी स्थापना 1920 के दशक में हुई थी। भारतीय राजनीति में जितनी भी लेफ्ट पार्टियां अभी सक्रिय हैं वो कहीं न कहीं इसी पार्टी से निकली हैं।
बिहार में ईबीसी की आबादी लगभग 36 प्रतिशत है, लेकिन इस समुदाय का कोई बड़ा नेता नहीं है फिलहाल, इसलिए ओबीसी जातियों को आकर्षित करने के साथ ही पार्टी ईबीसी पर भी दांव आजमाना चाहती है।
पप्पू यादव ने संबोधन के दौरान कहा कि नरेंद्र मोदी और राज्य की सरकार ने हमेशा लोगों को जाति और धर्म के नाम पर बांटा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देंगे, लेकिन वह वादे से मुकर गये।
2004 के चुनाव तक यह सीट आरक्षित थी। सामान्य सीट होने के बाद हुए 2009 के चुनाव में यहाँ से भाजपा के प्रदीप सिंह सांसद बने। इस चुनाव में उन्होंने एक करीबी मुक़ाबले में लोजपा के जाकिर हुसैन ख़ान को हराया था। वहीं, 2014 के चुनाव में पहली बार तस्लीमुद्दीन ने अररिया से लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रदीप सिंह को हराने में कामयाब रहे।
हालीमुद्दीन अहमद ने अररिया हाई सेकेंडरी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की और फिर पटना कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। पटना कॉलेज में उनके उस्तादों में मशहूर शायर और कथाकार सोहेल अज़ीमाबादी और उर्दू साहित्यकार अख्तर ओरेनवी जैसे बड़े नाम शामिल रहे।
2019 से पहले छह लोकसभा चुनावों में यहाँ सीधा मुक़ाबला तारिक़ अनवर और भाजपा के निखिल कुमार चौधरी के बीच हुआ। इन छह मुक़ाबलों में से तीन बार तारिक़ अनवर जीते और तीन बार निखिल कुमार चौधरी।
कटिहार लोकसभा क्षेत्र के लिए अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में 12 बार तारिक़ अनवर से सीधा मुकाबला हुआ और तारिक़ अनवर ने 5 बार 1980, 1984, 1996, 1998 और 2014 के लोकसभा चुनावों में बाजी मारी।
बिहार के मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत मधेपुरा और सहरसा ज़िले के तीन-तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। मधेपुरा जिले का आलमनगर, बिहारीगंज और मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र और सहरसा ज़िले के सोनवर्षा, महिषी और सहरसा विधानसभा एक ही लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं।
वेणुगोपाल ने बताया कि 21 दिसंबर को पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्य समिति में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पर मुहर लगी थी कि राहुल गांधी को पूरब से पश्चिम तक भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू करना चाहिए।
जदयू जिला अध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के विरुद्ध जनता में आक्रोश था, इसके बावजूद अशोक गहलोत ने उन्हें दोबारा टिकट दिया और कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ गई। किशनगंज लोकसभा के लोग भी कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद के 'व्यवहार' से खुश नहीं हैं, इसलिए इस बार INDIA गठबंधन से जदयू को टिकट मिलना चाहिए।
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से फ़िलहाल कांग्रेस के डॉ. जावेद आज़ाद सांसद हैं। सांसद बनने से पहले वह पांच बार इस क्षेत्र (ठकुरगंज व किशनगंज विधानसभा) से विधायक रह चुके हैं। उनसे पहले उनके पिता मोहम्मद हुसैन आज़ाद भी छह बार इस क्षेत्र से विधायक बने हैं।
मधेपूरा लोकसभा सीट पर हुए अब तक के 16 चुनाव परिणामों को देखें तो चार बार राष्ट्रीय जनता दल ने (1998, 2004, 2004 उप-चुनाव, 2014), तीन बार कांग्रेस ने (1971, 1980, 1984), तीन बार जनता दल ने (1989, 1991, 1996), तीन बार जनता दल यूनाइटेड ने (1999, 2009, 2019) और एक-एक बार संयूक्त सोशलिस्ट पार्टी ने (1967), भारतीय लोक दल ने (1977) तथा निर्दलीय उम्मीदवार ने (1968 उप-चुनाव) यहां से जीत हासिल की है।
कटिहार लोकसभा क्षेत्र के लिए अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में 12 बार तारिक़ अनवर से सीधा मुकाबला हुआ और तारिक़ अनवर 5 बार जीतने में सफल रहे। तारिक़ अनवर ने कटिहार से साल 1980, 1984, 1996, 1998 और 2014 के लोकसभा चुनावों में बाजी मारी है।
अली अनवर अंसारी करीब 25 सालों से मुस्लिम समाज की पिछड़ी जातियों को उनका हक़ दिलाने की क़वाइद कर रहे हैं। अली अनवर ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के अध्यक्ष हैं और 2006 से 2017 के बीच राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।
अब जबकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को बस कुछ ही महीने बचे हैं, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि इस चुनाव में दार्जिलिंग से सांसद कौन होगा? इस बारे में राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार 'भूमिपुत्र' बनाम 'बाहरी' का मुद्दा किसी की भी उम्मीदवारी में अहम रहेगा। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र के कर्सियांग के भाजपा विधायक बी.पी. बजगाईं अपने ही दल भाजपा से दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट के बारे में बार-बार 'बाहरी-बाहरी' का राग अलाप चुके हैं।