मधेपूरा लोकसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय राजनीति के बड़े और कद्दावर नेताओं ने चुनाव लड़ा है। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय शरद यादव, मंडल कमीशन के अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद (बीपी) मंडल जैसे राजनीतिक धुरंधरों ने मधेपुरा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है।
इस सीट के बारे में कहा जाता है कि सांसद चाहे किसी भी राजनीतिक दल का बने, लेकिन वह होगा यादव जाति से ही। 1967 से लेकर 2019 तक के सभी चुनावों में यहां से हर बार यादव उम्मीदवार ने ही जीत हासिल की है।
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मधेपूरा लोकसभा सीट पर हुए अब तक के 16 चुनाव परिणामों को देखें तो चार बार राष्ट्रीय जनता दल ने (1998, 2004, 2004 उप-चुनाव, 2014), तीन बार कांग्रेस ने (1971, 1980, 1984), तीन बार जनता दल ने (1989, 1991, 1996), तीन बार जनता दल यूनाइटेड ने (1999, 2009, 2019) और एक-एक बार संयूक्त सोशलिस्ट पार्टी ने (1967), भारतीय लोक दल ने (1977) तथा निर्दलीय उम्मीदवार ने (1968 उप-चुनाव) यहां से जीत हासिल की है।
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं – मधेपुरा, सोनबर्षा, आलमनगर, सहरसा, बिहारीगंज और महिषी। सहरसा, सोनबर्षा और महिषी विधानसभा क्षेत्र सहरसा जिले के अंतर्गत आते हैं।
तीन राज्यों से लोकसभा पहुंचने वाले सांसद शरद यादव
मधेपुरा लोकसभा सीट से चार बार सांसद बनने वाले शरद यादव देश के उन चुनिंदा नेताओं में से थे, जो तीन अलग-अलग राज्यों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। शरद यादव अपने राजनीतिक करियर में सात बार लोकसभा चुनाव जीते और चार बार राज्यसभा सदस्य के तौर पर भी निर्वाचित हुए।
शरद यादव मधेपुरा लोकसभा सीट से 1991, 1996, 1999 और 2009 सांसद चुने गये। हालांकि, 1998 और 2004 के लोकसभा चुनाव में उनको राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के सामने शिकस्त भी मिली है।
1991 में शरद यादव ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जनता पार्टी के उम्मीदवार आनन्द मोहन को 2,85,377 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। वहीं, 1996 में शरद यादव ने समता पार्टी के आनंद मंडल को 2,37,144 मतों से शिकस्त दी थी।
हालांकि, 1998 में शरद यादव को राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के हाथों 51,983 वोटों के अंतर से शिकस्त का सामना करना पड़ा। चुनाव में लालू प्रसाद यादव को 2,97,686 वोट और शरद यादव को 2,45,703 वोट हासिल हुए थे।
लेकिन, अगले ही साल 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में शरद यादव, लालू प्रसाद यादव को हरा कर एक बार फिर मधेपुरा सीट पर क़ाबिज़ हुए। 1999 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव ने लालू प्रसाद यादव को 30,320 मतों से हराया।
2004 के चुनाव में भी शरद यादव को मधेपुरा से लालू प्रसाद यादव के सामने शिकस्त मिली। लालू यादव के खिलाफ शरद यादव की यह दूसरी हार थी। चुनाव में लालू याद को 3,44,301 और शरद यादव को 2,74,314 वोट प्राप्त हुए।
मधेपुरा सीट से सांसद बनने से पहले शरद यादव मध्य प्रदेश के जबलपुर और उत्तर प्रदेश के बदायूं सीट से भी सांसद रह चुके थे। शरद छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे।
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मध्य प्रदेश के जबलपुर लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीत कर की थी। दरअसल, 1974 में जबलपुर सीट के वर्तमान सांसद सेठ गोविंद दास की मृत्यु के बाद वहां उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में शरद यादव ने भारतीय लोक दल के टिकट पर लड़ते हुए जीत हासिल की थी।
1977 के लोकसभा चुनाव में भी शरद यादव भारतीय लोकदल के टिकट पर जबलपुर सीट से जीते। चुनाव में शरद यादव को 1,94,516 वोट मिले और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार जगदीश नारायण अवस्थी को 75,891 वोटों से मात दी।
शरद यादव जेपी आंदोलन से जुड़े हुए थे। आंदोलन की वजह से उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी। छात्र जीवन से ही उन्होंने आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया था।
राजीव गांधी के खिलाफ भी शरद यादव लड़े चुनाव
23 जून 1980 को कांग्रेस नेता संजय गांधी की एक विमान हादसे में मौत हो गई। उस वक्त संजय गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे। उनकी मौत के बाद अमेठी सीट पर उपचुनाव हुआ।
1981 में हुए इस उपचुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ शरद यादव अमेठी से चुनाव लड़े थे। हालांकि, चुनाव में शरद यादव को 2,37,696 वोटों के बड़े अंतर से बुरी हार का सामना करना पड़ा था। शरद यादव को इस चुनाव में मात्र 21,188 वोट हासिल हुए, जबकि राजीव गांधी को 2,58,884 वोट मिले थे। इस उपचुनाव में अमेठी से जीतकर कांग्रेस नेता राजीव गांधी पहली बार संसद पहुंचे थे।
जब 1984 में 8वां आम चुनाव हुआ तो, शरद यादव ने लोकदल के टिकट पर उत्तर प्रदेश के बदायूं से चुनाव लड़ा। चुनाव में शरद यादव को कांग्रेस के सलीम इक़बाल शेरवानी से 49,742 वोटों से शिकस्त मिली।
1984 के लोकसभा चुनाव में बदायूं से शरद यादव को 1,33,782 मत और कांग्रेस के सलीम इक़बाल शेरवानी को 1,83,524 वोट प्राप्त हुए।
1986 में यादव पहली बार राज्य सभा सदस्य के तौर पर चुने गये। लालू यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर शरद यादव ने पिछड़े समुदायों के अन्दर राजनीतिक चेतना पैदा की और इन समुदायों को गोलबंद किया।
1989 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव एक बार फिर उत्तर प्रदेश की बदायूं सीट से चुनाव लड़े। उन्होंने जनता दल के टिकट पर 2,25,712 वोट हासिल कर कांग्रेस के राम नरेश यादव को 92,086 वोटों से हराया।
जीत के बाद शरद यादव, वीपी सिंह नीत सरकार में केंद्रीय कपड़ा मंत्री बने। उन्होंने 1990 में पिछड़े वर्गों के लिये 27 फीसदी आरक्षण संबंधी मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करवाने में अहम किरदार निभाया।
12 जनवरी 2023 को शरद यादव का गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। शरद यादव की संतानें बेटा शांतनु और बेटी सुभाषिनी हैं। बेटी सुभाषिनी कांग्रेस से जुड़ी हैं और 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहारीगंज सीट से चुनाव हार गईं। पुत्र शांतनु बुंदेला मधेपुरा लोकसभा सीट से राजद टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
मंडल कमीशन के अध्यक्ष बीपी मंडल
1991 में पिछड़ा वर्गों को जिस मंडल कमीशन की सिफारिश पर 27 फीसदी आरक्षण मिली था, उस मंडल कमीशन के अध्यक्ष रहे बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल (बीपी मंडल) ने भी लोकसभा में मधेपुरा सीट का प्रतिनिधित्व किया है।
1967 में जब मधेपुरा एक अलग लोकसभा क्षेत्र बना, तो वहां से पहले सांसद बीपी मंडल ही बने। चुनाव में उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर लड़ते हुए कांग्रेस के केके मंडल को 37,426 वोटों से शिकस्त दी।
लेकिन, कुछ दिनों के बाद ही उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी छोड़ दी। इसके बाद 1968 में मधेपुरा सीट के लिये उपचुनाव हुआ। इस बार बीपी मंडल निर्दलीय ही चुनाव लड़े।
1968 उपचुनाव में बीपी मंडल ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार केके मंडल को 33,970 वोटों के अन्तर से मात दी। उपचुनाव में उन्हें 94,558 वोट और केके मंडल को 60,588 प्राप्त हुए थे।
1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मधेपुरा सीट पर राजेन्द्र प्रसाद यादव को उतारा। उनके सामने वर्तमान सांसद बीपी मंडल थे। इस बार बीपी मंडल अपनी पार्टी ‘शोषित दल’ की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। हालांकि, चुनाव में उन्हें राजेन्द्र प्रसाद के हाथों हार मिली।
लोकसभा चुनाव 1977 में मंडल ने भारतीय लोकदल के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़ा और राजेन्द्र प्रसाद यादव को 2,00,717 वोटों से हराया।
मंडल ने अपनी राजनीतिक पारी का आरंभ 1952 के बिहार विधानसभा चुनाव से किया था। उन्होंने मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी। साल 1962 में वह दोबारा मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक बने।
उन्होंने 1968 में बिहार के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, 47 दिनों के बाद ही उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।
1972 में एक बार फिर बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ। बीपी मंडल फिर मधेपूरा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत हासिल की।
राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव
मधेपुरा लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव 1998 में सांसद बने। 1998 लोकसभा चुनाव में उन्होंने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहा और शरद यादव को 51,983 वोटों से हराया था।
2004 के लोकसभा चुनाव में भी शरद यादव और लालू प्रसाद आमने-सामने हुए। इस बार भी लालू यादव ने बाज़ी मार ली। 2004 में लालू यादव शरद यादव को 69,987 मतों से हराने में सफल रहे।
इस चुनाव में लालू यादव मधेपुरा और छपरा दोनों लोकसभा सीटों से जीतने में कामयाब रहे थे। बाद में उन्होंने मधेपुरा सीट से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद मधेपुरा सीट पर उपचुनाव हुआ।
2004 में मधेपुरा सीट पर हुए उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर पप्पू यादव ने चुनाव लड़ा। उनके सामने जनता दल (यूनाइटेड) के राजेन्द्र प्रसाद चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव में पप्पू यादव को 2,08,860 वोटों के अंतर से जीत मिली।
मधेपुरा सीट से सांसद बनने से पहले लालू यादव छपरा से सांसद रह चुके थे। उन्होंने 1977 में भारतीय लोकदल के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के राज शेखर प्रसाद सिंह को हराया था।
अपने राजनीतिक कार्यकाल में लालू प्रसाद यादव ने पांच बार लोकसभा, चार बार बिहार विधानसभा तथा एक-एक बार बिहार विधान परिषद और राज्यसभा के सदस्य रहे।
वह मार्च 1990 से जुलाई 1997 के बीच बिहार के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा लालू यादव,23 मई 2004 से 22 मई 2009 तक केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे।
किस उम्मीदवार ने कब जीता चुनाव
1967 में मधेपुरा एक अलग लोकसभा सीट बनी थी। 1967 में मधेपुरा सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल सांसद बने। 1968 में हुए उपचुनाव में भी बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की जीत का सिलसिला बरक़रार रहा।
1971 में कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद यादव, 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल और 1980 में एक बार फिर कांग्रेस के राजेन्द्र प्रसाद यादव मधेपुरा सीट से सांसद रहे। 1984 में कांग्रेस के महावीर यादव और 1989 में जनता दल के रमेश कुमार यादव यहां से सांसद बने।
1991-98 तक जनता दल के शरद यादव, 1998-99 में लालू प्रसाद यादव और 1999-2004 तक एक बार फिर शरद यादव ने लोकसभा में मधेपुरा सीट का प्रतिनिधित्व किया।
2004-2009 तक राजद के पप्पू यादव, 2009-14 तक शरद यादव, 2014-19 तक एक बार फिर पप्पू यादव मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के सांसद बने। वर्तमान में जनता दल (यूनाइटेड) के दिनेश चंद्र यादव इस सीट से सांसद हैं।
चुनाव वर्ष | विजेता | पार्टी | प्राप्त वोट | उप-विजेता | पार्टी |
प्राप्त वोट
|
1967 | बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल | संयु्क्त सोशलिस्ट पार्टी | 145911 | के के मंडल | कांग्रेस | 108485 |
1968 (By Election) | बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल | निर्दलीय | 94558 | के के मंडल | संयु्क्त सोशलिस्ट पार्टी | 60588 |
1971 | राजेन्द्र प्रसाद यादव | कांग्रेस | 146232 | बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल | शोषित दल | 118323 |
1977 | बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल | भारतीय लोक दल | 301076 | राजेन्द्र प्रसाद यादव | कांंग्रेस | 100359 |
1980 | राजेन्द्र प्रसाद यादव | कांग्रेस (U) | 204022 | रामेंद्र कुमार यादव रवि | कांग्रेस (I) | 146524 |
1984 | महावीर प्रसाद यादव | कांग्रेस | 298258 | राजेन्द्र प्रसाद यादव | लोक दल | 222961 |
1989 | रमेश कुमार यादव | जनता दल | 451856 | महावीर प्रसाद यादव | कांंग्रेस | 158908 |
1991 | शरद यादव | जनता दल | 437483 | आनंद मोहन | जनता पार्टी | 152106 |
1996 | शरद यादव | जनता दल | 381190 | आनंंद मंडल | समता पार्टी | 144046 |
1998 | लालू प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल | 297686 | शरद यादव | जनता दल | 245703 |
1999 | शरद यादव | जनता दल (यूनाइटेड) | 328761 | लालू प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल | 298441 |
2004 | लालू प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल | 344301 | शरद यादव | जनता दल (यूनाइटेड) | 274314 |
2004 (By Election) | राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव | राष्ट्रीय जनता दल | 365948 | राजेन्द्र प्रसाद यादव | जनता दल (यूनाइटेड) | 157088 |
2009 | शरद यादव | जनता दल (यूनाइटेड) | 370585 | रविंद्र चरण यादव | राष्ट्रीय जनता दल | 192964 |
2014 | राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव | राष्ट्रीय जनता दल | 368937 | शरद यादव | जनता दल (यूनाइटेड) | 312728 |
2019 | दिनेश चंद्र यादव | जनता दल (यूनाइटेड) | 624334 | शरद यादव | राष्ट्रीय जनता दल | 322807 |
मधेपुरा के “बाहुबली” सांसद पप्पू यादव
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, मधेपुरा लोकसभा सीट से दो बार (2004 तथा 2014) में सांसद बने हैं। 2004 के उप-चुनाव में उन्होंने जनता दल (यूनाइटेड) के राजेंद्र प्रसाद यादव को 2,08,860 वोटों से हराया। इसी प्रकार, 2014 के आम चुनाव में पप्पू यादव ने जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव को 56,209 मतों से शिकस्त दी थी।
पप्पू यादव का संबंध बिहार के एक ज़मींदार घराने से है। ‘मैं मीडिया’ को दिये एक इंटरव्यू में पप्पू यादव ने बताया था कि उनके दादा दरभंगा महाराज के दरबार में कोर्ट के ज्यूरी के तौर पर मनोनीत थे।
उनके दादा लंबे समय तक पंचायत के मुखिया के पद पर रहे। मां चाहती थी कि पप्पू यादव नेशनल डिफेंस एकेडमी में जायें और भारतीय सेना ज्वाइन करें।
‘मैं मीडिया’ से बातचीत के दौरान पप्पू यादव ने कहा था, “मेरी मां और परिवार के लोग चाहते थे कि मैं नेशनल डिफेंस एकेडमी चला जाऊं। बचपन से ही मुझे एनडीए की किताबें दी गईं। वही गाते रहते थे, माता मुझे बंदूक दे दो मैं भी लड़ने जाऊंगा। शत्रु को मार सीमा पार भगाऊंगा। अम्मा गाती रहती थी- सूरज हो चंदा, जग में नाम करेगा।”
पप्पू यादव 1990 में बिहार विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मधेपुरा के सिंहेश्वर से पहली बार विधायक बने।
उन्होंने 1991 में बिहार के पूर्णिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि, चुनाव परिणाम के लिये पप्पू यादव को चार साल का इंतजार करना पड़ा था। दरअसल, मतदान के दिन सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग से चुनाव के दौरान बूथों को लूटने और बड़े पैमाने पर धांधली की शिकायत की।
इस शिकायत पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने पूर्णिया लोकसभा सीट के नतीजे पर रोक लगा दी थी। चार साल बाद मार्च 1995 में चुनाव आयोग ने निर्दलीय प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को विजेता घोषित किया।
1996 और 1999 लोकसभा चुनाव में भी पप्पू यादव ने पूर्णिया से चुनाव जीता। हालांकि, 2004 लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव को पूर्णिया सीट से हार का सामना करना पड़ा था।
2015 में राष्ट्रीय जनता दल ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने एक नया राजनीतिक दल ‘जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक)’ की स्थापना की। मधेपुरा से 2019 का लोकसभा चुनाव पप्पू यादव ने जन अधिकार पार्टी के टिकट पर ही लड़ा था।
मधेपुरा के वर्तमान सांसद दिनेश चंद्र यादव
जनता दल (यूनाइटेड) के दिनेश चंद्र यादव वर्तमान में मधेपुरा के सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के शरद यादव को 3,01,527 वोटों के बहुत बड़े अंतर से हराया। चुनाव में दिनेश चंद्र यादव को 6,24,334 मत और शरद यादव को 3,22,807 मत प्राप्त हुए थे।
दिनेश चंद्र यादव पहली बार 1990 में जनता दल के टिकट पर सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने।
1996 में उन्होंने सहरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस के सूर्य नारायण यादव को 1,52,445 वोटों से हराया।
लेकिन, 1998 के आम चुनाव में सहरसा सीट पर दिनेश चंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के अनूप लाल यादव ने उन्हें 54,168 मतों से मात दी थी।
एक साल बाद ही 1999 में फिर सहरसा सीट पर एक बार फिर जदयू के दिनेश चंद्र यादव और राजद के सूर्य नारायण यादव के बीच मुक़ाबला हुआ। दिनेश चंद्र यादव ने सूर्य नारायण यादव को 93,863 वोटों से शिकस्त दी।
2004 के लोकसभा चुनाव में सहरसा सीट पर दिनेश चंद्र यादव को पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन के सामने 30,787 वोटों से हार मिली।
जब 2005 में बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ तो दिनेश यादव ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस चुनाव में वह जदयू के टिकट पर सिमरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। जीत के बाद वह बिहार सरकार में उद्योग मंत्री भी बने।
2009 में दिनेश चंद्र यादव खगड़िया लोकसभा सीट से सांसद बने। उन्होंने जदयू के टिकट पर 2014 लोकसभा चुनाव भी खगड़िया से लड़ा था। चुनाव में वह न सिर्फ हारे थे, बल्कि तीसरे स्थान पर रहे थे।
लोकसभा चुनाव 2024 और मधेपुरा सीट
2019 में जदयू के दिनेश चंद्र यादव ने राजद के शरद यादव को बड़ी आसानी से हराया था। चुनाव में दिनेश चंद्र यादव को 6,24,334 मत मिले थे और उन्होंने शरद यादव को 3,01,527 वोटों के बहुत बड़े अंतर से हराया था।
उस चुनाव में खुद की पार्टी जन अधिकार पार्टी से लड़ रहे पप्पू यादव को मात्र 97,631 वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे थे।
2019 में जदयू और भाजपा ने एक साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था, जिस वजह से दोनों के साझा उम्मीदवार दिनेश चंद्र यादव ही मैदान में थे। चुनाव में इसका फायदा भी हुआ था और एनडीए उम्मीदवार ने एकतरफा जीत दर्ज की थी।
लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव के लिये परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। इस सीट पर जदयू और राजद की पारंपरिक लड़ाई रही है। लेकिन दोनों पार्टियां अब साथ हैं। फिलहाल यहाँ से जदयू के सांसद हैं, लेकिन यादवों का गढ़ होने की वजह से मधेपुरा राजद के हिस्से में जाने की प्रबल सम्भावनाएँ हैं। अगर सीट जदयू के पास ही रहती है, तो फिर दिनेश चंद्र यादव को वापस उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
वहीं राजद कोटे से इस सीट पर कई दावेदार हैं। शरद यादव के बेटे शांतनु बुंदेला का नाम चर्चे में है। जानकारों की मानें, तो स्वर्गीय शरद यादव की धर्मपत्नी डॉक्टर रेखा यादव उन्हें सहयोग कर रही हैं। शांतनु की उम्र करीब 30 साल है, उनकी पढ़ाई इंग्लैंड में हुई है। अगर उन्हें टिकट मिल जाता है तो 2024 का लोकसभा चुनाव उनका पहला चुनाव होगा।
इसके अलावा मधेपुरा विधानसभा से लगातार तीन विधायक बने बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव का नाम भी चर्चा में है। वहीं कई वरिष्ठ पत्रकार मानते हैं लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी रोहिणी यादव या बड़े बेटे व बिहार सरकार में मंत्री तेजप्रताप यादव को यहाँ लोकसभा का चुनाव लड़ा सकते हैं।
भाजपा खेमे में भी यहाँ से कई दावेदार हैं। छातापुर के विधायक नीरज कुमार बबलू इस क्षेत्र से अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं। नीरज कुमार बबलू बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। NDA खेमे में सहरसा के रहने वाले दंत चिकित्सक डॉक्टर शैलेंद्र शेखर के नाम की भी चर्चा है।
कुछ जानकार मानते हैं कि एनडीए की तरफ से यह सीट लोजपा के किसी गुट के पास जा सकता है। ऐसे में सहरसा के जाने-माने व्यापारी संजय सिंह का नाम सामने आ रहा है।
मधेपुरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीटों को देखें तो चार विधानसभा सीटों पर जनता दल (यूनाइटेड) और एक-एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल काबिज है।
सोनबर्षा विधानसभा सीट से जदयू के रत्नेश सदा, आलमनगर से जदयू के नरेंद्र नारायण यादव, बिहारीगंज से जदयू के निरंजन कुमार मेहता, महिषी से जदयू के गुंजेश्वर शाह, सहरसा से भाजपा के आलोक रंजन और मधेपूरा विधानसभा सीट से राजद के चंद्रशेखर (बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री) वर्तमान विधायक हैं।
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