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Katihar Lok Sabha Seat का इतिहास, 2024 के चुनाव में क्या होगा?

कटिहार लोकसभा क्षेत्र के लिए अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में 12 बार तारिक़ अनवर से सीधा मुकाबला हुआ और तारिक़ अनवर 5 बार जीतने में सफल रहे। तारिक़ अनवर ने कटिहार से साल 1980, 1984, 1996, 1998 और 2014 के लोकसभा चुनावों में बाजी मारी है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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कटिहार लोकसभा क्षेत्र बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। कटिहार लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं – बलरामपुर, बरारी, प्राणपुर, कदवा, कटिहार और मनिहारी। कटिहार ज़िले का कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र पूर्णिया लोकसभा का हिस्सा है। कटिहार लोकसभा के उत्तर में किशनगंज लोकसभा, उत्तर-पश्चिम में पूर्णिया लोकसभा, पूर्व में पश्चिम बंगाल का रायगंज लोकसभा, दक्षिण-पश्चिम में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र, दक्षिण में झारखण्ड के राजमहल लोकसभा व दक्षिण-पूर्व में पश्चिम बंगाल का मालदा उत्तर लोकसभा स्थित है।

कटिहार लोकसभा क्षेत्र के लिए अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में 12 बार तारिक़ अनवर से सीधा मुकाबला हुआ और तारिक़ अनवर 5 बार जीतने में सफल रहे। तारिक़ अनवर ने कटिहार से साल 1980, 1984, 1996, 1998 और 2014 के लोकसभा चुनावों में बाजी मारी है। 2004 से 2014 के बीच वो राज्यसभा के सदस्य रहे।

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2014 के चुनाव में जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी, तब भी तारिक़ अनवर ने बड़ी आसानी से यहां से जीत हासिल की थी।


तारिक़ अनवर अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सात बार दूसरे स्थान पर रहे हैं। वह 1977, 1989, 1991, 1999, 2004, 2009 और 2019 में वोटों की गिनती में दूसरे मुकाम पर रहे।

1999, 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार निखिल कुमार चौधरी, तारिक़ अनवर को हराकर यहां से सांसद रहे हैं।

हालांकि, तारिक़ अनवर भी निखिल कुमार चौधरी को तीन बार हराने में सफल रहे हैं। 1996, 1998 और 2014 में तारिक़ अनवर ने निखिल कुमार चौधरी को हराया।

कटिहार के पांच बार के सांसद तारिक़ अनवर

तारिक़ अनवर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत इंडियन यूथ कांग्रेस के सदस्य के तौर पर की थी। 2019 में ‘मैं मीडिया’ के साथ एक इंटरव्यू में तारिक़ अनवर ने बताया था कि उनके दादा शाह मो. ज़ुबैर एक बैरिस्टर (इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई) और स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी से मिलने के बाद वह गांधी से काफी प्रभावित हुए और बैरिस्टरी छोड़ कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

तारिक़ अनवर बताते हैं, “शाह मो. ज़ुबैर मूल रूप से बिहार के गया जिले के रहने वाले थे, लेकिन बाद में वह मुंगेर शिफ्ट हो गये थे। वह मुंगेर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के अध्यक्ष भी बने। बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि शाह मो. जुबैर उनके बड़े भाई की तरह थे।

शाह मो. ज़ुबैर के लड़के और तारिक अनवर के पिता शाह मुश्ताक भी राजनीति में सक्रिय थे। साल 1952 में देश में जब पहला आम चुनाव हुआ, तो शाह मुश्ताक़ बिहार के शेखपुरा से विधायक बने।

तारिक़ अनवर शुरुआती दिनों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कद्दावर नेता सीताराम केसरी के काफी करीब थे। सीताराम केसरी 1967 के लोकसभा चुनाव में कटिहार से सांसद बने थे। हालांकि, सीताराम केसरी 1971 के लोकसभा चुनाव में कटिहार से हार गए थे।

1971 के चुनाव में हारने के बाद केसरी ने दोबारा लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और कटिहार सीट तारिक़ अनवर के लिए छोड़ दी थी। केसरी 1996 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने। नज़दीकी होने की वजह से ही केसरी ने तारिक़ अनवर को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का महासचिव बनाया।

सीताराम केसरी के कहने पर ही उन्होंने 1977 का लोकसभा चुनाव कटिहार से लड़ा। हालांकि, चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली। तारिक़ अनवर बताते हैं कि आमतौर पर चुनाव हारने के बाद नेता सुरक्षित सीट की तलाश करने लगते हैं, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि उनको कटिहार में ही राजनीति करनी है।

कांग्रेस से तारिक़ की बगावत

केसरी का कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। 1999 में एक मीटिंग के दौरान तारिक़ अनवर, शरद पवार और पी ए संगमा ने एक सुर में कहा कि बीजेपी सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने का मुद्दा उठाएगी, और वे लोग इसका ठोस जवाब नहीं दे पायेंगे।

‘इकोनॉमिक टाइम्स’ में छपी एक खबर के मुताबिक, तीनों नेताओं ने पत्र लिखकर एक प्रस्ताव पास कराने की मांग की। प्रस्ताव में पार्टी घोषणा पत्र में इस बात का ऐलान करने को कहा गया कि पार्टी संविधान में संशोधन करेगी और इस बात को सुनिश्चित करेगी कि सिर्फ भारत में जन्मे व्यक्ति को ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बनाया जाए।

तारिक़ अनवर, शरद पवार और पी ए संगमा के ‘विद्रोह’ के बाद सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे की पेशकश करनी पड़ी। हालांकि, उनके इस्तीफ़े को स्वीकार नहीं किया गया। कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने सोनिया का भरपूर समर्थन किया और तीन विद्रोहियों को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया।

तीनों बागी नेताओं तारिक़ अनवर, शरद पवार और पी ए संगमा ने 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की बुनियाद रखी। हालांकि, कांग्रेस से अलग होने के बाद तारिक अनवर 1999 के लोकसभा चुनाव में कटिहार से हार गए।

28 सितंबर 2018 को तारिक अनवर ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से इस्तीफा दे दिया और 19 साल बाद फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में वापसी कर ली।

यहां एक बात काबिले गौर है कि जब तक सोनिया गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहीं, तब तक तारिक़ अनवर कांग्रेस में नहीं रहे। जब 2018 में तारिक ने कांग्रेस में वापसी की थी, तब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बन चुके थे।

कटिहार के सोशलिस्ट नेता व सांसद युवराज

युवराज पहली बार 1958 के उपचुनाव में कटिहार लोकसभा सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। हालांकि, चुनाव में युवराज को शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस के भोलानाथ बिस्वास कटिहार से सांसद बने और उन्होंने युवराज को 24,338 वोटों से हराया।

उसके बाद 1962-77 के बीच युवराज कटिहार के मनिहारी विधानसभा क्षेत्र से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर लगातार चार बार विधानसभा का चुनाव जीते।

युवराज समाजवादी (सोशलिस्ट) विचारधारा को मानने वाले नेता थे। वह 1968 और 1974 में रेल मज़दूर आंदोलन के दौरान जेल भी गए। आपातकाल के दौरान आन्दोलन में भाग लेने की वजह से भी वह जेल गए।

1977 में युवराज ने फिर से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। 1958 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ने के लगभग 20 साल बाद 1977 में युवराज को कटिहार संसदीय क्षेत्र से जीत मिली।

1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोक दल के टिकट पर युवराज ने कांग्रेस के तारिक अनवर को हराया। चुनाव में युवराज को 2,15,074 वोट प्राप्त हुए और उन्होंने तारिक़ अनवर को 1,29,789 वोटों के बड़े अंतर से मात दी।

1977 के बाद अगले दो लोकसभा चुनावों 1980 और 1984 में भी दोनों के बीच कड़ी टक्कर हुई। हालांकि, दोनों लोकसभा चुनावों में युवराज को तारिक़ अनवर के हाथों शिकस्त मिली। इन दोनों लोकसभा चुनावों में युवराज जनता पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे।

लेकिन 1989 के अगले ही चुनाव में युवराज की किस्मत पलटी और वह दूसरी बार कटिहार सीट से सांसद बने। युवराज, जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। 1989 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के तारिक़ अनवर को 1,03,178 मतों के अंतर से मात दी।

युवराज आखिरी बार 1998 लोकसभा चुनाव में कटिहार से चुनाव लड़े। चुनाव में न सिर्फ युवराज हारे, बल्कि आठवें स्थान पर रहे। इस चुनाव में युवराज ने ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ा था। चुनाव में मिली हार के बाद युवराज ने दोबारा कटिहार से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। 30 जनवरी 2016 को कटिहार स्थित आवास पर उनका निधन हो गया।

तारिक़ को लगातार तीन बार हराने वाले निखिल

निखिल कुमार चौधरी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 1991 लोकसभा चुनाव में पहली बार कटिहार सीट से चुनाव लड़े थे। 1991 के लोकसभा चुनाव में उनको तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा था।

1996 के आम चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे निखिल कुमार चौधरी दूसरे स्थान पर रहे। चुनाव में तारिक़ अनवर ने उन्हें हराया। इस चुनाव में कश्मीरी नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद भी कटिहार सीट से चुनाव लड़े थे। वह तीसरे स्थान पर रहे थे।

लगातार मिल रही हार के बावजूद निखिल कुमार चौधरी कटिहार से चुनाव लड़ते रहे। 1998 के आम चुनाव में भी निखिल चौधरी को तारिक़ अनवर के हाथों शिकस्त मिली। हालांकि, इस चुनाव में हार का अंतर बहुत कम हो गया था। तारिक अनवर ने इस चुनाव में उन्हें मात्र 20,437 वोटों से मात दी थी।

1999 में लोकसभा चुनाव हुआ तो निखिल कुमार चौधरी ने एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाई। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे निखिल चौधरी को जीत मिली। तारिक़ अनवर को 1,36,852 वोटों के बड़े अंतर से हराया।

जुलाई 2002 से जनवरी 2003 तक निखिल चौधरी केंद्रीय एग्रो व ग्रामीण उद्योग राज्य मंत्री के पद पर रहे।

2004 में लोकसभा चुनाव हुआ, तो बेहद नजदीकी मुकाबले में निखिल एक बार फिर तारिक़ अनवर को हराकर कटिहार सीट से सांसद चुने गये। इस चुनाव में उन्होंने 2,88,922 वोट लाकर तारिक अनवर को महज 2,565 वोटों के छोटे अंतर से शिकस्त दी। समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शेरशाहबादी नेता मुबारक हुसैन 37,584 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

निखिल चौधरी 2009 लोकसभा चुनाव में भी तारिक़ अनवर को हराकर कटिहार से सांसद चुने गये। इस चुनाव में निखिल चौधरी ने तारिक को मात्र 14,015 मतों के अंतर से हराया। लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव रहे अहमद अशफ़ाक़ करीम को 45,773, निर्दलीय हेमराज सिंह को 42,026 और भाकपा माले के महबूब आलम को 32,035 वोट मिले।

कटिहार के ‘ढाई दिन के सांसद’ मो. यूनुस सलीम

जब तारिक़ अनवर कटिहार से लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने लगे तो उनको हराने के लिए जनता दल ने मो. यूनुस सलीम को टिकट दिया। मो. यूनुस का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था, लेकिन वह हैदराबाद में स्थायी तौर पर रहने लगे थे।

1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल उम्मीदवार मो. यूनुस ने कांग्रेस के तारिक़ अनवर को शिकस्त दी। चुनाव में मो. यूनुस को 1,74,430 वोट मिले और उन्होंने तारिक़ अनवर को 23,622 वोटों से हराया। तारिक़ अनवर को 1,50,808 वोट मिले और तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के उम्मीदवार निखिल कुमार चौधरी को 1,39,894 वोट मिले।

कटिहार के सांसद बनने से पहले मो. यूनुस सलीम बिहार के राज्यपाल थे। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व कटिहार विधायक रामप्रकाश महतो बताते हैं कि मो. यूनुस अपने पूरे कार्यकाल में सिर्फ ढाई दिन के लिये ही कटिहार आए – एक दिन चुनाव में नामांकन के लिए, दूसरा चुनाव परिणाम के दिन और आधा दिन क्षेत्र का भ्रमण करने के लिए आए थे।

मो. यूनुस 1967 में तेलंगाना के नालगोंडा से पहली बार सांसद बने थे। 1967-71 के दौरान वह केंद्र सरकार में कानून, न्याय और वक्फ मंत्री रहे।

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मो. सईद ने कटिहार से लड़ा था चुनाव

भारत सरकार में गृहमंत्री और पर्यटन मंत्री रहे कश्मीरी नेता मुफ्ती मो. सईद भी कटिहार लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। हालांकि, वह चुनाव में न सिर्फ हारे, बल्कि तीसरे स्थान पर रहे थे।

मुफ्ती मो. सईद ने 1996 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर कटिहार से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार तारिक़ अनवर ने बाज़ी मारी थी। तारिक़ अनवर ने भाजपा के निखिल कुमार चौधरी को 88,286 मतों से हराया था।

चुनाव में पहले स्थान पर रहे तारिक़ अनवर को 2,67,927 वोट, दूसरे स्थान पर रहे निखिल कुमार चौधरी को 1,79,641 वोट और तीसरे स्थान पर आने वाले मुफ्ती मो. सईद को 1,54,573 वोट मिले थे।

1999 में मुफ्ती मो. सईद ने Jammu and Kashmir Peoples Democratic Party (PDP) की स्थापना की और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी बने। बाद में उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती भी जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री बनीं।

कटिहार लोकसभा सीट से किसने, कब जीत चुनाव

कटिहार 1957 में एक अलग लोकसभा क्षेत्र बना। 1957 के लोकसभा चुनाव में अवधेश कुमार सिंह कटिहार के सांसद बने। उसके बाद 1962 में प्रिया गुप्ता, 1967 में सीताराम केसरी, 1971 में ज्ञानेश्वर यादव और 1977 में युवराज ने इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया।

साल 1980 के लोकसभा चुनाव में कटिहार लोकसभा में कद्दावर नेता तारिक़ अनवर की एंट्री हुई। तारिक़ अनवर ने 1980-89 तक कटिहार सीट का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 1989 और 1991 के लोकसभा चुनाव में तारिक़ अनवर को शिकस्त मिली।

1989 में एक बार फिर युवराज यहां से सांसद बने और 1991 के लोकसभा चुनाव में मो. यूनुस सलीम यहां से जीते। साल 1996 और 1998 के चुनाव में तारिक़ अनवर ने फिर वापसी की और यहां से जीतने में सफल रहे।

1999-2009 तक भारतीय जनता पार्टी के निखिल कुमार चौधरी कटिहार के सांसद रहे। 2014 में फिर तारिक अनवर ने न सिर्फ वापसी की बल्कि पूरे देश में मोदी लहर के बावजूद कटिहार लोकसभा सीट से जीतने में सफल रहे। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी कटिहार से सांसद बने।

कटिहार के वर्तमान सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी

जनता दल यूनाइटेड के दुलाल चंद्र गोस्वामी वर्तमान में कटिहार लोकसभा सीट से सांसद हैं। वह साथ-साथ गृह मंत्रालय की स्थाई समिति के सदस्य, सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की परामर्श समिति के सदस्य और बहु-राज्य सहकारी (संशोधन) विधेयक की संयुक्त समिति के सदस्य भी हैं।

गोस्वामी 1995-2000 के बीच बारसोई से भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर और 2010-2015 के बीच निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बलरामपुर से विधायक रहे हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में गोस्वामी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कटिहार के बड़े वामपंथी नेता महबूब आलम को हराया था। 2013 में जब नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़ा, तब उनके बाद पास 118 विधायक थे। तब दुलाल चंद्र गोस्वामी के साथ अन्य तीन निर्दलीय विधायकों ने उनकी सरकार बचाई थी। 2014 में जीतनराम मांझी सरकार में गोस्वामी को बिहार सरकार में श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया था।

2014 और 2019 चुनाव

2014 में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड ने अलग-अलग लोकसभा चुनाव लड़ा था। चुनाव परिणाम में इसका असर भी देखने को मिला। दोनों दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने की वजह से NCP उम्मीदवार तारिक़ अनवर को फायदा हुआ और वह आसानी से जीत गए।

2014 के लोकसभा चुनाव में तारिक़ अनवर को 4,31,292 वोट मिले और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार निखिल कुमार चौधरी को 1,14740 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। निखिल कुमार चौधरी को चुनाव में 3,16,552 और तीसरे स्थान पर रहे जदयू उम्मीदवार डॉ. रामप्रकाश महतो को 1,00,765 वोट मिले थे।

2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों (भाजपा और जदयू) ने एक साथ चुनाव लड़ा था। गठबंधन के उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी थे। वहीं, चुनाव से ठीक पहले तारिक़ अनवर ने एक बार फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया। हालांकि, चुनाव में तारिक़ अनवर को शिकस्त का सामना करना पड़ा।

2019 लोकसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी को 5,59,423 मत प्राप्त हुए और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार तारिक अनवर को 57,203 वोटों के अंतर से हराया। चुनाव में तारिक़ को 5,02,220 मत हासिल हुए थे।

बात कटिहार लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत विधानसभा सीटों की करें, तो दो पर कांग्रेस, दो पर भारतीय जनता पार्टी तथा एक-एक पर जनता दल यूनाइटेड और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) काबिज हैं।

कटिहार विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के तारकिशोर प्रसाद, प्राणपुर से भाजपा की निशा सिंह, मनिहारी से कांग्रेस के मनोहर प्रसाद सिंह, कदवा से कांग्रेस के शकील अहमद खान, बरारी से जदयू के विजय सिंह और बलरामपुर से भाकपा (माले) के महबूब आलम वर्तमान में विधायक हैं।

कटिहार से किस उम्मीदवार ने कब जीता चुनाव

चुनाव वर्ष विजेता प्राप्त वोट उप-विजेता प्राप्त वोट
1957 अवधेश कुमार सिंह 78289 शफीकुल हक 24283
1958 (Bypoll) भोलानाथ बिस्वास 57290 युवराज 32952
1962 प्रिया गुप्ता 82531 भोलानाथ बिस्वास 64994
1967 सीताराम केशरी 58776 प्रिया गुप्ता 57803
1971 ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव 96422 सीताराम केशरी 83533
1977 युवराज 215074 तारिक अनवर 85285
1980 तारिक अनवर 138099 युवराज 99943
1984 तारिक अनवर 229883 युवराज 183940
1989 युवराज 338782 तारिक अनवर 235604
1991 मो. यूनुस सलीम 174430 तारिक अनवर 150808
1996 तारिक अनवर 267927 निखिल कुमार चौधरी 179641
1998 तारिक अनवर 337360 निखिल कुमार चौधरी 316923
1999 निखिल कुमार चौधरी 280911 तारिक अनवर 144059
2004 निखिल कुमार चौधरी 288922 तारिक अनवर 286357
2009 निखिल कुमार चौधरी 269834 तारिक अनवर 255819
2014 तारिक अनवर 431292 निखिल कुमार चौधरी 316552
2019 दुलाल चंद्र गोस्वामी 559423 तारिक अनवर 502220

INDIA के लिए आगामी लोकसभा चुनाव 2024

पिछले पांच लोकसभा चुनावों के परिणामों को देखा जाये तो कटिहार से तीन बार भाजपा को, एक बार जदयू को और एक बार NCP उम्मीदवार को जीत मिली है। तारिक़ अनवर के वापस कांग्रेस में चले जाने के बाद बिहार में NCP का नामोनिशान मिट सा गया है।

उधर जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस, दोनों विपक्षी गठबंधन INDIA का हिस्सा हैं। कांग्रेस के नेता तारिक़ अनवर यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं और जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी वर्तमान में यहां से सांसद हैं। ऐसे में जदयू यह सीट कांग्रेस के लिए छोड़ेगी या नहीं, यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

दूसरी तरफ, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तौक़ीर आलम लगातार अपने कटिहार लोकसभा से शेरशाहबादी समुदाय के उम्मीदवार की मांग कर रहे हैं। पिछले दिनों कटिहार में कार्यक्रम में तौक़ीर ने एक संकल्प पत्र जारी करते हुए कहा था, “आज तक शेरशाहबादी का कोई भी व्यक्ति संसद के किसी भी सदन में नहीं पहुंचा है, इसलिए आबादी के अनुसार पसमांदा समाज की संसदीय सदन में भी हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए।”

बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ शकील अहमद खान भी कटिहार के कदवा से MLA हैं। भाकपा माले के विधायक दल नेता महबूब आलम भी कटिहार के ही बलरामपुर से MLA हैं। 2009 में डॉ शकील अहमद खान अररिया लोकसभा से और महबूब आलम कटिहार लोकसभा से अपनी क़िस्मत आजमा चुके हैं। ऐसे में इन दोनों वरिष्ठ नेताओं के लोकसभा चुनाव की महत्वाकांक्षाओं को भी नकारा नहीं जा सकता है।

भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव 2024

आखिरी बार भाजपा ने अकेले 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से उम्मीदवार खड़ा किया था, जिसमें उसको हार का सामना करना पड़ा था। 2024 में भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा, इसको लेकर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन, भाजपा में भी पूर्व सांसद निखिल कुमार चौधरी के अलावा अब कटिहार में कई कद्दावर नेता हैं।

2020 में बिहार के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद कटिहार विधायक तारकिशोर प्रसाद का कद की बिहार की सियासत में बढ़ा है। कटिहार के एमएलसी अशोक अग्रवाल को 2019 लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला, तो बगावत पर उतर आये थे। हालांकि, बाद में उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। ऐसे में कटिहार लोकसभा सीट पर भाजपा, निखिल कुमार चौधरी के साथ-साथ तारकिशोर प्रसाद और अशोक अग्रवाल जैसे नामों पर भी विचार कर सकती है।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?