बिहार के सीमांचल क्षेत्र में हर साल सैलाब तबाही मचाता है। और इस दौरान सीमांचल के दर्जनों कमज़ोर पुल पुलिया पानी के तेज बहाव में क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, लेकिन आज आपको हम ऐसे पुल की कहानी दिखाने वाले हैं जो तीन करोड़ 11 लाख की लागत से बना और बनने के 3 साल बाद ही बरसात के पानी में क्षतिग्रस्त हो गया है।
यह पुल अररिया जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बांसवाड़ी पंचायत के समदा गांव में बना हुआ है। इस पुल की दूसरी तरफ लगभग 4000 की आबादी है, जिनको जिला मुख्यालय आने का एकमात्र रास्ता यही है।
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इस क्षेत्र में आजादी के बाद से ही कोई पुल नहीं था। लोग बांस की चचरी के सहारे जीवन गुजार रहे थे। लेकिन सन 2018-19 में जब ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा तीन करोड़ 11 लाख की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया, तो लोगों में काफी उम्मीद और खुशी थी। लेकिन उनकी यह खुशी मात्र 3 साल तक ही टिक सकी और यह पुल 3 साल बाद ही बरसात के पानी में क्षति ग्रस्त हो गया, जिससे आवागमन बाधित हो गया है। लोग अपनी जान को हथेली पर लेकर इस पुल से गुजरने को मजबूर हैं।
स्थानीय मोहम्मद आज़ाद हुसैन बताते हैं कि इस इलाके में पानी की निकासी का यही एक मुख्य मार्ग है, इसलिए यहां 5 पाए वाला पुल होना चाहिए था, लेकिन दो पाए वाला पुल ही बनाया गया। साथ ही इसमें मोटा सरिया देना चाहिए था, लेकिन बारीक वाला सरिया लगाया गया, जिस कारण पुल के पिलर ध्वस्त हो गए।
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स्थानीय लोगों ने इस मामले में अररिया विधायक आबिदुर रहमान सहित ठेकेदार और इंजीनियर पर कमीशन खोरी का आरोप लगाया है। लोगों का कहना है कि विधायक ने ठेकेदार से कमीशन खाया, जिस वजह से घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर पुल का निर्माण करवाया गया। यही कारण है कि पुल महज़ 3 साल में क्षतिग्रस्त हो गया है।
इस मामले में जब मैं मीडिया की टीम अररिया से कांग्रेस पार्टी के विधायक आबिदुर रहमान से उनका पक्ष जानने पहुंची, तो उन्होंने कहा कि अभी कुछ काम में व्यस्त हैं, फ्री होकर बात करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री को लिखा गया है। पुल का 5 साल तक मेंटेनेंस संवेदक को करना है। पुल क्षतिग्रस्त हुआ है, तो उसे संवेदक को फिर से बनाना होगा।
वहीं, इस मामले को लेकर मैं मीडिया ने कंस्ट्रक्शन कंपनी RP कंस्ट्रक्शन के मालिक परवेज आलम से चार से पांच बार फोन पर कॉल और मैसेज द्वारा संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

हालांकि, पिछले दिनों दैनिक भास्कर अखबार में छपी खबर में कंस्ट्रक्शन कंपनी के संवेदक परवेज आलम ने बताया था कि यह पुल नहीं छोटा सा कलवर्ट है जिसे ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा बनवाया गया था। कलवर्ट निर्माण में पाए को 6 फीट नीचे से बनाने का प्रावधान था और वैसे ही बनाया भी गया, लेकिन पिछले दिनों अचानक आए पानी में पुल के नीचे से मिट्टी निकल गई, जिस कारण पाया बीचो-बीच धंस गया और पुल क्षतिग्रस्त हो गया है।
इस मामले में जानकारी लेने मैं मीडिया की टीम ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यालय भी पहुंची, लेकिन वहां कोई बड़ा अधिकारी मौजूद नहीं था।
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