Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

तीन साल में ही टूट गया तीन करोड़ रुपये से बना पुल

ved prakash Reported By Ved Prakash |
Published On :

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में हर साल सैलाब तबाही मचाता है। और इस दौरान सीमांचल के दर्जनों कमज़ोर पुल पुलिया पानी के तेज बहाव में क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, लेकिन आज आपको हम ऐसे पुल की कहानी दिखाने वाले हैं जो तीन करोड़ 11 लाख की लागत से बना और बनने के 3 साल बाद ही बरसात के पानी में क्षतिग्रस्त हो गया है।

यह पुल अररिया जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बांसवाड़ी पंचायत के समदा गांव में बना हुआ है। इस पुल की दूसरी तरफ लगभग 4000 की आबादी है, जिनको जिला मुख्यालय आने का एकमात्र रास्ता यही है।

Also Read Story

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?

सुपौल: घूरन गांव में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?

क़र्ज़, जुआ या गरीबी: कटिहार में एक पिता ने अपने तीनों बच्चों को क्यों जला कर मार डाला

त्रिपुरा से सिलीगुड़ी आये शेर ‘अकबर’ और शेरनी ‘सीता’ की ‘जोड़ी’ पर विवाद, हाईकोर्ट पहुंचा विश्व हिंदू परिषद

फूस के कमरे, ज़मीन पर बच्चे, कोई शिक्षक नहीं – बिहार के सरकारी मदरसे क्यों हैं बदहाल?

इस क्षेत्र में आजादी के बाद से ही कोई पुल नहीं था। लोग बांस की चचरी के सहारे जीवन गुजार रहे थे। लेकिन सन 2018-19 में जब ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा तीन करोड़ 11 लाख की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया, तो लोगों में काफी उम्मीद और खुशी थी। लेकिन उनकी यह खुशी मात्र 3 साल तक ही टिक सकी और यह पुल 3 साल बाद ही बरसात के पानी में क्षति ग्रस्त हो गया, जिससे आवागमन बाधित हो गया है। लोग अपनी जान को हथेली पर लेकर इस पुल से गुजरने को मजबूर हैं।


स्थानीय मोहम्मद आज़ाद हुसैन बताते हैं कि इस इलाके में पानी की निकासी का यही एक मुख्य मार्ग है, इसलिए यहां 5 पाए वाला पुल होना चाहिए था, लेकिन दो पाए वाला पुल ही बनाया गया। साथ ही इसमें मोटा सरिया देना चाहिए था, लेकिन बारीक वाला सरिया लगाया गया, जिस कारण पुल के पिलर ध्वस्त हो गए।


यह भी पढ़ें: अररिया का एकमात्र बस स्टैंड बदहाल, बुनियादी सुविधाएं नदारद


स्थानीय लोगों ने इस मामले में अररिया विधायक आबिदुर रहमान सहित ठेकेदार और इंजीनियर पर कमीशन खोरी का आरोप लगाया है। लोगों का कहना है कि विधायक ने ठेकेदार से कमीशन खाया, जिस वजह से घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर पुल का निर्माण करवाया गया। यही कारण है कि पुल महज़ 3 साल में क्षतिग्रस्त हो गया है।

इस मामले में जब मैं मीडिया की टीम अररिया से कांग्रेस पार्टी के विधायक आबिदुर रहमान से उनका पक्ष जानने पहुंची, तो उन्होंने कहा कि अभी कुछ काम में व्यस्त हैं, फ्री होकर बात करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री को लिखा गया है। पुल का 5 साल तक मेंटेनेंस संवेदक को करना है। पुल क्षतिग्रस्त हुआ है, तो उसे संवेदक को फिर से बनाना होगा।

वहीं, इस मामले को लेकर मैं मीडिया ने कंस्ट्रक्शन कंपनी RP कंस्ट्रक्शन के मालिक परवेज आलम से चार से पांच बार फोन पर कॉल और मैसेज द्वारा संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

locals standing on a damaged bridge in araria district

हालांकि, पिछले दिनों दैनिक भास्कर अखबार में छपी खबर में कंस्ट्रक्शन कंपनी के संवेदक परवेज आलम ने बताया था कि यह पुल नहीं छोटा सा कलवर्ट है जिसे ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा बनवाया गया था। कलवर्ट निर्माण में पाए को 6 फीट नीचे से बनाने का प्रावधान था और वैसे ही बनाया भी गया, लेकिन पिछले दिनों अचानक आए पानी में पुल के नीचे से मिट्टी निकल गई, जिस कारण पाया बीचो-बीच धंस गया और पुल क्षतिग्रस्त हो गया है।

इस मामले में जानकारी लेने मैं मीडिया की टीम ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यालय भी पहुंची, लेकिन वहां कोई बड़ा अधिकारी मौजूद नहीं था।


अररिया में हिरासत में मौतें, न्याय के इंतजार में पथराई आंखें

अररिया कोर्ट स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं का टोटा


सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

Related News

आपके कपड़े रंगने वाले रंगरेज़ कैसे काम करते हैं?

‘हमारा बच्चा लोग ये नहीं करेगा’ – बिहार में भेड़ पालने वाले पाल समुदाय की कहानी

पूर्णिया के इस गांव में दर्जनों ग्रामीण साइबर फ्रॉड का शिकार, पीड़ितों में मजदूर अधिक

किशनगंज में हाईवे बना मुसीबत, MP MLA के पास भी हल नहीं

कम मजदूरी, भुगतान में देरी – मजदूरों के काम नहीं आ रही मनरेगा स्कीम, कर रहे पलायन

शराब की गंध से सराबोर बिहार का भूत मेला: “आदमी गेल चांद पर, आ गांव में डायन है”

‘मखाना का मारा हैं, हमलोग को होश थोड़े होगा’ – बिहार के किसानों का छलका दर्द

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?