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कटिहार के एक दलित गांव में छोटी सी सड़क के लिए ज़मीन नहीं दे रहे ज़मींदार

स्थानीय निवासी शकुंतला देवी ने बताया कि उनके पति के दादा, परदादा के समय से यह गांव बसा हुआ है। सड़क न होने के कारण सबसे अधिक दिक्कत बरसात के मौसम में होती है। आगे उन्होंने कहा कि भू-मालिक लखन सिंह और सुरेश सिंह सड़क के लिए अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है इसलिए अब तक सड़क नहीं बन सकी है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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बिहार के कटिहार जिले के एक दलित गांव के ग्रामीण बिना सड़क के जिंदगी बसर करने पर मजबूर हैं। कटिहार के फलका प्रखंड अंतर्गत शब्दा पंचायत के कोहबारा रविदास टोले में आज़ादी के 77 वर्ष बाद भी एक अदद सड़क नहीं है। ग्रामीण आवाजाही के लिए जिस रास्ते का प्रयोग करते हैं वह जमींदार के नाम है और वह अपनी जमीन पर सड़क नहीं बनने देना चाहते।

सड़क न होने से कोई सवारी गाड़ी गांव तक नहीं पहुंच पाती है ऐसे में ग्रामीणों को हाट, बाज़ार और प्रखंड मुख्यालय जाने में हर रोज दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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वर्षों से बसा है गाँव

स्थानीय निवासी शकुंतला देवी ने बताया कि उनके पति के दादा, परदादा के समय से यह गांव बसा हुआ है। सड़क न होने के कारण सबसे अधिक दिक्कत बरसात के मौसम में होती है। आगे उन्होंने कहा कि भू-मालिक लखन सिंह और सुरेश सिंह सड़क के लिए अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है इसलिए अब तक सड़क नहीं बन सकी है।


गृहिणी आंचल देवी चार साल पहले विवाह कर इस गांव में आई थीं। उनके पति बाहर राज्य में मजदूरी करते हैं। उन्होंने कहा कि रविदास टोले के ग्रामीणों के लिए सड़क बहुत जरूरी है। अभी किसी तरह आना जाना हो रहा है लेकिन कल को जमीन के मालिक रास्ता बंद कर दें तो ग्रामीण कहां जाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीणों को अस्पताल और बाजार जाने के लिए भी कोई सवारी नहीं मिलती है। सड़क न होने की वजह से कोई विक्रेता गांव नहीं आता है ऐसे में छोटे-मोटे सामान के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता है। अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी हो तो अस्पताल पहुंचना काफी कठिन हो जाता है।

क्या बोले मुखिया?

फलका पंचायत वार्ड नंबर 5 से वार्ड सदस्य प्रतिनिधि सुनील सिंह ने बताया कि मुख्य सड़क से रविदास टोला तक करीब 250 मीटर की दूरी है। जिसकी जमीन है वो सड़क के लिए जमीन देने को राज़ी नहीं है। हालांकि आने जाने के लिए रास्ता खुला है। लोग सालों से इसी कच्चे रास्ते से आना जाना कर रहे हैं।

इस मामले में हमने फलका पंचायत के मुखिया महेंद्र प्रसाद साह से बात की। उन्होंने बताया कि सुरेश सिंह के बेटे मंटो सिंह अपनी जमीन पर सड़क बनवाने पर राज़ी नहीं हो रहे हैं। वह रास्ते की दोनों तरफ घर बनाकर रह रहे हैं। बीच से जो रास्ता गया है वह भी उन्हीं के नाम पर है। चूंकि निजी जमीन पर बिना एनओसी के सड़क नहीं बन सकती इसलिए यह काम सालों से अटका पड़ा है।

मुखिया महेंद्र प्रसाद ने आगे कहा कि वह निजी तौर पर भी प्रयास कर रहे हैं कि जमींदार सड़क के लिए जमीन देने के लिए राज़ी हो जाए।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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