Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

इस गाँव से दुल्हन बाइक पे जाती है, मरीज चारपाई पे, मय्यत नाव पे

बारात मोटरसाइकिल पर, मय्यत नाव पर और बीमार कंधे पर सवार होकर आते-जाते है। पूर्णिया ज़िले के बायसी प्रखंड अंतर्गत बायसी पंचायत के मदरसा टोला के लोगों की यह आम दिनचर्या है।

Seemanchal Library Foundation founder Saquib Ahmed Reported By Saquib Ahmed |
Published On :

पूर्णिया ज़िले के बायसी में एक ऐसा गाँव है जहाँ जाने का कोई सड़क नहीं, लोग मकई के खेत से आना जाना करते हैं, दूल्हा-दुल्हन बाइक पर गाँव से जाते हैं, कोई बीमार पड़े तो चारपाई पर हाईवे तक ले जाया जाता है, गाँव का क़ब्रिस्तान नदी में समा चुका है, मय्यत को नाव पर 6 किमी दूर ले जाया जाता है। विकास तुम कहाँ हो?

बारात मोटरसाइकिल पर, मय्यत नाव पर और बीमार कंधे पर सवार होकर आते-जाते है। पूर्णिया ज़िले के बायसी प्रखंड अंतर्गत बायसी पंचायत के मदरसा टोला के लोगों की यह आम दिनचर्या है।

Also Read Story

अररिया में पुल न बनने पर ग्रामीण बोले, “सांसद कहते हैं अल्पसंख्यकों के गांव का पुल नहीं बनाएंगे”

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?

सुपौल: घूरन गांव में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?

क़र्ज़, जुआ या गरीबी: कटिहार में एक पिता ने अपने तीनों बच्चों को क्यों जला कर मार डाला

त्रिपुरा से सिलीगुड़ी आये शेर ‘अकबर’ और शेरनी ‘सीता’ की ‘जोड़ी’ पर विवाद, हाईकोर्ट पहुंचा विश्व हिंदू परिषद

इस मदरसा टोला में आने के लिए कोई रास्ता नहीं होने के कारण चारपहिया वाहन आ नहीं पाते। लोग पगडंडियों के सहारे गांव में आना-जाना करते है। जब गांव में शादी होती है तो दूल्हे-दुल्हन को पैदल या फिर बाइक पर सवार हो कर आना पड़ता है। कोई बीमार पड़े तो चारपाई पर हाईवे तक ले जाया जाता है। गाँव का क़ब्रिस्तान नदी में समा चुका है, मय्यत को नाव पर 6 किमी दूर ले जाना पड़ता है।


स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद असगर जो आजीविका के लिए बाहर रहते है और फ़िलहाल घर आये हुए है। उन्होंने क्रोध प्रकट करते हुए कहा कि

“गांव आने का कोई रास्ता नहीं है। जिसको आना है तो हवाई जहाज से या फिर पगडंडियों पर चल कर आये। अगर किसी ने पगडंडियों का रास्ता बंद कर दिया तो घर पर ही पड़े रहे।”

मुश्फ़िक़ रज़ा नामक एक अन्य स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि

“गांव में रास्ता नहीं होने की वजह से जवान लड़कियों की शादी नहीं हो रही है।”

अगर शादी या किसी खास कार्यक्रम के लिया रास्ता बनाने की जरुरत पड़ जाये तो फसल काटनी पड़ती है और मुआवजा चुकाना पड़ता है।

एक प्राइवेट स्कूल के कक्षा 5 पढ़ने वाले सखावत रज़ा ने बताया कि

“हमलोग 6 महीना ही स्कूल जाते है, क्योकि रास्ता नहीं होने की वजह से बाढ़ के दिनों में पगडंडियों डूब जाती है। इस कारण पढ़ने नहीं जा पाते है।”

ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि चुनाव के वक़्त बड़े-बड़े वादे करते है लेकिन चुनाव जीनते के बाद गायब हो जाते है।

(Written by Saquib Ahmed)

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

स्वभाव से घुमंतू और कला का समाज के प्रति प्रतिबद्धता पर यकीन। कुछ दिनों तक मैं मीडिया में काम। अभी वर्तमान में सीमांचल लाइब्रेरी फाउंडेशन के माध्यम से किताबों को गांव-गांव में सक्रिय भूमिका।

Related News

फूस के कमरे, ज़मीन पर बच्चे, कोई शिक्षक नहीं – बिहार के सरकारी मदरसे क्यों हैं बदहाल?

आपके कपड़े रंगने वाले रंगरेज़ कैसे काम करते हैं?

‘हमारा बच्चा लोग ये नहीं करेगा’ – बिहार में भेड़ पालने वाले पाल समुदाय की कहानी

पूर्णिया के इस गांव में दर्जनों ग्रामीण साइबर फ्रॉड का शिकार, पीड़ितों में मजदूर अधिक

किशनगंज में हाईवे बना मुसीबत, MP MLA के पास भी हल नहीं

कम मजदूरी, भुगतान में देरी – मजदूरों के काम नहीं आ रही मनरेगा स्कीम, कर रहे पलायन

शराब की गंध से सराबोर बिहार का भूत मेला: “आदमी गेल चांद पर, आ गांव में डायन है”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

अररिया में पुल न बनने पर ग्रामीण बोले, “सांसद कहते हैं अल्पसंख्यकों के गांव का पुल नहीं बनाएंगे”

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’