अररिया में पिछले 10 दिनों से बिल्कुल भी बारिश न होने से किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। आसमान में काले बादल बेशक नजर आ जाएं, पर वो कभी-कभार ही बरसते हैं। ठीक से बारिश नहीं होने की वजह से खरीफ फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
मॉनसून के शुरू में हुई थोड़ी बारिश देखकर किसानों ने धान की फसल लगा दी थी। लेकिन तपती धूप ने धान के पौधों को पीला कर दिया है। जिले के फारबिसगंज प्रखंड स्थित सिमराहा पंचायत के औराही हिंगना के किसान भी बारिश नहीं होने से काफी निराश हैं। स्थानीय वार्ड सदस्य और खेती करने वाले अकबर आलम कहते हैं कि किसानों को लग रहा था कि बारिश होगी, तो धान की फसल खूब अच्छी होगी, लेकिन बढ़ती गर्मी से धान के पौधे सूखते जा रहे हैं। अकबर ने सरकार से किसानों की मदद करने की मांग भी की।
बारिश नहीं होने की वजह से किसानों को मजबूरी में पंपसेट लगाकर सिंचाई करनी पड़ रही है। पंपसेट द्वारा एक घंटे की सिंचाई की कीमत 150 रुपये है। एक छोटे खेत की सिंचाई करने में किसान को 3 से 4 घंटे का वक्त लग जाता है। किसान रामचंद्र मंडल कहते हैं कि पहले समय पर बारिश होती थी इसलिए कोई दिक्कत नहीं होती थी, लेकिन अब समय पर बारिश नहीं होने की वजह से पंपसेट लगाकर सिंचाई करनी पड़ती है। इसमें बहुत ज्यादा पैसा लग जाता है। लेकिन अनाज बेचते वक्त उस हिसाब से दाम नहीं मिलता।
किसानों का कहना है कि यदि अच्छी बारिश नहीं हुई तो इस साल धान की खेती होना मुश्किल है। धान के साथ-साथ अरहर, मक्का जैसी फसलों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भारत में होने वाली अधिकतर खेती मानसून आधारित है। मानसून के गड़बड़ाने की वजह से किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है।
खेतों में किसान पंपसेट लगाकर सिंचाई कर रहे हैं तो कई जगह धान के बिचड़े सूखे हुए हैं। ज्यादातर जगहों पर बारिश न होने की वजह से खेतों में दरारें पड़ गई हैं। हालांकि बीच में थोड़ी बारिश ने जमीन को गीला किया था लेकिन दरारों को बारिश पूरी तरह से भर नहीं पाई है। किसान वहाब आलम ने भी अपने खेत में धान के पौधे लगाये थे। वह कहते हैं कि इस साल सिंचाई करते-करते लोग परेशान हो गए हैं। बारिश नहीं होने से धान के पौधे सूख कर घास बन गए हैं।
किसान सिर्फ बारिश न होने की वजह से ही परेशान नहीं हैं। खाद की बढ़ती कीमत, खेतों की जुताई में लगने वाले पैसे और मजदूरों की मजदूरी बढ़ने से भी किसानों को खेती करने में दिक्कत हो रही है। बढ़ती कीमतों की वजह से एक बीघा धान लगाने में 5 से 7 हजार रुपये का खर्च आता है। सिमराहा के औराही पश्चिम के वार्ड नंबर नौ के किसान रामानंद मंडल कहते हैं कि बारिश नहीं होने के कारण उन्हें कर्ज लेकर सिंचाई करनी पड़ रही है। वह कहते हैं कि जो खाद आम दिनों में 260 रुपये मिलता था, वो अभी 350 से 400 रुपये में मिल रहा है।
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इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार शर्मा ने फोन पर बताया कि जिले में धान की बुआई लगभग 100 फीसद हुई है। डीजल अनुदान को लेकर 643 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें 166 आवेदनों का डिस्पोजल भी किया जा चुका है।
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