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कोटा घाट में पुल के लिए दशकों से तरस रही कटिहार की जनता

Aaquil Jawed Reported By Aaquil Jawed and Nawazish Alam |
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कटिहार के बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र का यह कोटा घाट दशकों से ऐसा ही है। दोनों बगल सड़क बनी हुई है, लेकिन यहां के ग्रामीण एक अदद पुल के लिए तरस रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि जनप्रतिनिधियों को इन मुद्दों से कोई मतलब नहीं है। सैलाब आने पर लोग जान हथेली पर रखकर नाव के सहारे इस घाट को पार करते हैं। सैलाब आने के बाद लगभग तीन महीने तक नाव ही यहां के लोगों का एकमात्र सहारा होता है। अगर पुल बन जाता है, तो कम से कम 20 गांवों के लोगों को परेशानी से छुटकारा मिलेगा। पुल न होने से ग्रामीणों को दूसरे रास्ते से आना जाना पड़ता है। इससे लगभग पांच किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड़ता है, जिसमें काफी वक्त लग जाता है। यह हाल तब है जब क्षेत्र में कद्दावर नेताओं की कमी नहीं है। कटिहर के सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं और बिहर के बड़े वामपंथी नेता महबूब आलम बलरामपूर के ही विधायक हैं।

दिलशादपुर के भीम राय कहते हैं कि पुल नहीं होने से काफी परेशानी होती है और बारिश होने पर बाइक लेकर लोग इधर से नहीं गुज़र सकते हैं। पुल बन जाने से आस-पास के गांव एक दूसरे से जुड़ जाएंगे और लोगों को दिक्कतों से छुटकारा मिल जाएगा।

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इस घाट पर पुल नहीं होने से दिलशादपुर, रसलपुर, कस्बा टोली, बिदयपुर, भैंसबंदा, तैयबपुर, सुधानी, मलोर, लोतीपुर, सधियन और कंदेला बसतपुर के अलावा एक दर्जन गांवों के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह सड़क कटिरहार, सालमारी और कदवा को पश्चिम बंगाल से जोड़ती है। इसके साथ साथ बारसोई तथा कदवा के बीच यह आवगमन का मुख्य रास्ता है। सुधानी गांव के शादाब अंजुम कहते हैं, सैलाब आने के बाद लगभग तीन महीने यह रास्ता बिल्कुल बंद हो जाता है। कई बार अधिकारियों ने आकर नापी भी की है, लेकिन आगे कुछ नहीं होता है। पश्चिम बंगाल के टुनिदिघी में बड़ी अनाज मंडी है, लेकिन पुल नहीं होने की वजह से किसान अपना अनाज उस बाज़ार तक नहीं ले जा पाते हैं। पुल का निर्माण हो जाने से किसानों को अपनी फसल की उचित कीमत भी मिलेगी।


शादाब कहते हैं नेता चुनाव के वक्त पुल बनाने का वादा तो करते हैं लेकिन चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं। लोग इस पुल निर्माण को लेकर आवाज़ उठाते रहते हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि सिर्फ आश्वासन देते हैं।

कस्बा टोली गांव निवासी सरवर आलम कहते हैं इधर के लोगों का यह मुख्य मार्ग है। बारिश होने के बाद बड़े वाहन इस रास्ते से नहीं गुज़र पाते हैं। पुल की नापी कई बार हुई लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

कोचिंग से पढ़ाई कर लौट रहे छठवीं क्लास के छात्र रवि किशन को भी पुल नहीं होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वह रोज घाट पार कर पढ़ाई के लिए कोचिंग जाते हैं।

सुधानी गांव के ही जमील अख़्तर ने बताया कि सैलाब आने के बाद उनलोगों को बहुत दिक्कत होती है। नाव से पार होने के क्रम मे कई बार नाव भी पलट जाती है। पुल के बन जाने से सालमारी से सुधानी जाने में आसानी हो जाएगी। इस पुल के नहीं बनने से उन्हें लगभग पांच किलोमीटर अतिरिक्त सफर तय करना पड़ता है।

जमील ने सरकार से इस ओर ध्यान देने की अपील की और कहा कि जल्द से जल्द इस पुल का निर्माण हो, ताकि लोगों को जो परेशानी हो रही है उससे निजात मिल सके।

इस मामले में जब हमने स्थानीय विधायक महबूब आलम से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि सिर्फ कोटा घाट ही नहीं बल्कि क्षेत्र के कई और घाटों पर पुल बनाने की दिशा में काम चल रहा है। पुल का निर्माण जल्द से जल्द हो इस पर हम लोग लगे हुए हैं।

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