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‘मुखिया से उनका अधिकार छीन रही बिहार सरकार’

किशनगंज के खगड़ा स्थित सम्राट अशोक भवन में मुखिया संघ का जिलास्तरीय सम्मेलन हुआ। सम्मलेन में मुखिया के अधिकारों के साथ साथ विकास कार्यों को लेकर विस्तार से विचार विमर्श किया गया। मुखिया संघ के सदस्यों का कहना है कि राज्य सरकार धीरे धीरे उनके अधिकारों को छीन रही है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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किशनगंज के खगड़ा स्थित सम्राट अशोक भवन में मुखिया संघ का जिलास्तरीय सम्मेलन हुआ। सम्मलेन में मुखिया के अधिकारों के साथ साथ विकास कार्यों को लेकर विस्तार से विचार विमर्श किया गया। मुखिया संघ के सदस्यों का कहना है कि राज्य सरकार धीरे धीरे उनके अधिकारों को छीन रही है। लोक सेवाओं से जुड़े ऐसे कई कार्य, जो मुखिया करते थे, अब उन्हें निजी टेंडर बांट कर कराया जा रहा है।

मुखिया संघ के अध्यक्ष अख़लाक़ हुसैन ने कहा कि राज्य सरकार मुखिया से उनकी कार्य शक्ति छीन रही है। पहले मुखिया के माध्यम से शिक्षक बहाली, पंचायत क्षेत्र में नल जल योजना और स्ट्रीट लाइट लगाने का काम किया जाता था, परंतु तीनों योजनाओं को राज्य सरकार ने बारी-बारी से मुखिया से छीन लिया।

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“हम लोग चुनाव जीतने के बाद शर्मिंदा हैं क्योंकि हम लोगों ने जो जनता से वादा किया था उस पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं। सोलर स्ट्रीट लाइट का जो काम है, उसमें बड़ी बड़ी कंपनियों को राशि मुखिया को निर्गत करना है, लेकिन मुखिया को कोई सूचना नहीं है कि लाइट किस वार्ड में लगेगा। कोई चिट्ठी हमको नहीं मिलती। यह मनमानी है,” अख़लाक़ ने कहा।


उन्होंने आगे कहा कि जन्म प्रमाण पत्र, जाति, निवासी आदि जैसे कागज़ात आरटीपीएस के तहत पंचायत में बनने थे, लेकिन धरातल पर इसको लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा उन्होंने प्रतिनिधि भत्ता न मिलने का भी मुद्दा उठाया और कहा कि 2011-2012 का भी भत्ता अब तक नहीं मिल सका है। अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगे और बड़ा आंदोलन होगा और फिर भी न हुआ तो मुखिया सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे देंगे।

“राज्य सरकार मुखिया को नज़रअंदाज़ कर रही”

गाछपाड़ा पंचायत के मुखिया मतीउर रहमान ने कहा कि राज्य सरकार मुखिया को नज़रअंदाज़ कर रही है। लोक सेवाओं से जुड़े कार्यों के लिए पंचायत भवन में आज तक आरटीपीएस की सुविधा आरंभ नहीं गई है जिससे ग्रामीणों को बार बार प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है।

“जब पंचायत सरकार भवन मुखिया द्वारा बनाया जा रहा था, तब उसकी राशि एक करोड़ 30 लाख रुपये थी, लेकिन अब यह दो करोड़ से अधिक हो गई है। इतना कैसे बढ़ गया? यह पंचायती राज कानून का हनन है। हर चीज़ में ज़िम्मेदार मुखिया होता है, सारा काम मुखिया करता है और जब मान-सम्मान, प्रतिष्ठा की बात आती है, तो मुखिया को नज़रअंदाज़ किया जाता है। इसी मुद्दे को लेकर हम ने आज सम्मलेन रखा था,” रहमान ने कहा।

उन्होंने आगे कहा कि अगर इसी तरह मुखिया के अधिकारों का हनन हुआ, तो मुखिया संघ मुख्यमंत्री के समक्ष जाकर अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाएगा और ज़रूरत पड़ी तो सड़क पर भी वे लोग उतरेंगे।

दिघलबैंक पंचायत की मुखिया पूनम देवी ने कहा कि मुखिया के प्रावधान को काटा जा रहा है। मुखिया ही आम सभा के मालिक होते हैं लेकिन अब प्रशासनिक तौर पर ही आम सभा की तारीख तय हो जाती है कि फलां तारीख को फलां फलां जगह में यह काम करना है। पदाधिकारियों की भी कमी है, फिर एक ही दिन में तीन, चार पंचायत का काम कैसे हो जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि आम सभा, सरकार भवन और मनरेगा में कटौती की जा रही है। लोगों की उम्मीदों से सरकार छलावा कर रही है। यह केवल कहने की बात है कि मुखिया पंचायत का मुख्यमंत्री होता है, आज के समय में ऐसा कुछ नहीं है।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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