भारत के लिए ओलिंपिक में मेडल जीतने वाले सुशील कुमार के चार और साथियों को 23 साल के सागर राणा मर्डर केस में 26 मई को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि सुशील और उनके साथी अजय को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को 1 लाख और 50 हजार का इनाम तक घोषित करना पड़ा था। जिसके बाद सुशील को इस केस में अजय के साथ पुलिस ने 23 मई की सुबह को पश्चिमी दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया था। बताया जा रहा है कि मर्डर का ममला प्रॉपर्टी विवाद को लेकर शुरु हुआ था।
4 मई से चल रहा था चूहे-बिल्ली का खेल
आरोप लग रहे है कि 4 मई को सुशील और उनके साथियों ने सागर और उसके साथियों की दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में पिटाई कर दी। और खबर है कि इस पिटाई का CCTV फुटेज पुलिस के हाथ लग गया है जिसमें सुशील हॉकी स्टिक से सागर को मारते दिखे है। बाद में सागर की मौत हो गई और उसके दो दोस्त सोनू और अमित कुमार भी जख्मी हुए थे। खबर ये भी है कि घटना के दौरान गोलियां भी चली थी। घटना के बाद 4 मई से सुशील और साथी अजय कुमार फरार चल रहे थे और लगातार बचने के लिए लोकेशन भी बदलते जा रहे थे। जिसको लेकर पुलिस नें सुशील और अजय पर इनाम भी घोषित कर दिया। आखिरकार इस चूहे-बिल्ली के खेल में सुशील को अजय के साथ पुलिस ने 23 मई को गिरफ्तार कर लिया।
क्या सुशील देते थे अपराधियों का साथ
इंडिया टुडे ने अपनी एक रिपोर्ट में पुलिस सोर्स के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार लिखा कि कई आपराधी जिस फ्लैट में ठहरा करते थे वो सुशील की पत्नी के नाम पर था। दिल्ली पुलिस के द्वारा अपराधी घोषित संदीप काला को भी सुशील से पनाह मिलती थी। बाद में सुशील ने इन अपराधियों से प्लैट छोड़ने को कह दिया। जिसके बाद छत्रसाल स्टेडियम में हुई लड़ाई में सागर की मौत हुई और काला के भतीजे सोनू को चोट आई थी।
सुशील कुमार की रेलवे में जा सकती है नौकरी
सुशील कुमार सीनियर कामर्शियल मैनेजर के तौर पर उत्तरी रेलवे से जुड़े है। कुमार को 2015 से ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी पर छत्रसाल स्टेमियम में स्कूली स्तर पर खेलों के विकास लिए नियुक्त किया गया था। सुशील की नियुक्ती को 2020 में बढ़ाया गया और 2021 में सुशील ने फिर से इसे बढ़ाने की मांग करी लेकिन दिल्ली सरकार ने उन्हें वापस उत्तरी रेलवे में काम के लिए भेज दिया। सुशील का नाम इस तरह के गंभीर अपराध में जुड़ने से रेलवे ने उन्हें काम से ससपेंड कर दिया है। अब जब तक कोई नया आदेश नहीं आता है सुशील ससपेंड ही रहेंगे और सुशील दोषी पाए जाते है तो उनकी नौकरी भी जा सकती है।
सुशील ने खुद अपना नाम कैसे खराब किया जानिए
सुशील ने 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में ब्रोंज और 2012 के लंदन ओलिंपिक में सिलवर मेडल जीता था। सुशील के आने के बाद भारत को कुश्ती में केवल नाम नहीं बल्कि नए आने वाले खिलाड़ियों का मनोबल भी बढ़ा और सुशील उनके लिए रोल मॉडल बन गए। आपको बता दें कि सुशील 2012 के बाद से कोई कमाल नहीं कर पाए और उनकी रौनक धीरे-धीरे कम होती गई है। इग्लिंश वेबसाइट ‘स्क्राल’ ने सुशील को लेकर एक रिपोर्ट लिखी जिसमें उन्होंने पाया कि सुशील ऐसे लोगों से घिरे थे जो सुशील का फायदा उठाना चाहते थे और इससे केवल उनका करियर खराब होता। सुशील को इस पर अगाह किया गया लेकिन
सुशील ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया
सुशील को छत्रसाल स्टेडियम में नियुक्त किया गया था लेकिन सुशील की दूसरे कुश्ती के खिलाड़ियों से बनती नहीं थी जिससे उन्होंने सुशील से दूरी बना ली। सुशील का व्यवहार ऐसा हो गया था कि अगर आप केवल उनकी न सुनो तो वो आपको परेशान करने लगते। ऐसे ही कारणों से कुश्ती की दुनिया में बड़े नाम, ओलंपिक विजेता योगेश्र्वर दत्त और वर्ड चैंपियन में सिलवर विजेता बजरंग पुनिया भी उनसे अलग हो गए।
एक और घटना ने सुशील का नाम खराब किया है। 2016 में रियो गेम्स में कुश्ती के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए नरसिंह पंचम यादव को चुना गया था। लेकिन डोप टेस्ट में वो फेल हो गए और इसका इलजाम उन्होंने सुशील और छत्रसाल स्टेडियम से जुड़े उनके साथियों पर लगाया। हांलाकि बाद में इलजाम को झूठा पाया गया था।
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