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दरभंगा एयरपोर्ट और 70 साल पहले चार विमान रखने वाले राजा कामेश्वर सिंह

दरभंगा के एक राजा हुआ करते थे, कामेश्वर सिंह जिनके पास आज से सात दशक पहले चार डगलस विमानों का बेड़ा हुआ करता था। आज जो दरभंगा एयरपोर्ट चर्चे में है, और 8 नवंबर से जहाँ से विमान उड़ने वाली है, उसके पीछे का एक इतिहास है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
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[vc_row][vc_column][vc_column_text]दरभंगा के एक राजा हुआ करते थे, कामेश्वर सिंह जिनके पास आज से सात दशक पहले चार डगलस विमानों का बेड़ा हुआ करता था। आज जो दरभंगा एयरपोर्ट चर्चे में है, और 8 नवंबर से जहाँ से विमान उड़ने वाली है, उसके पीछे का एक इतिहास है।

जानकरी के अनुसार 1950 के आसपास दरभंगा के महाराजा ने तीन बड़े एयरपोर्ट दरभंगा, पूर्णिया और कूचबिहार का निर्माण कराया। जबकि मधुबनी समेत कई जगहों पर छोटे रनवे भी विकसित किये। दरसअल दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद अमेरिका ने भारी पैमाने पर वायुसेना के विमानों की निलामी की, इस निलामी में दरभंगा ने भी भाग लिया और चार विमान खरीदा।

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आजाद भारत में यह एक साथ खरीदा गया सबसे बड़ा निजी विमानन बेडा था। इन्‍हीं चार जहाजों को लेकर दरभंगा के महाराजा कामेश्‍वर सिंह ने दरभंगा एविएशन नामक कंपनी की स्‍थापना की थी। तीन विमान जहां आम लोगों के लिए उपलब्‍ध था, वहीँ एक विमान को महाराजा ने खास अपने लिए विशेष तौर पर तैयार करवाया था। लेकिन 1954, 1955 और 1962 तक एकाएक तीनों विमान दुर्घटना का शिकार हो गया।

इन दुर्घटनाओं के कारण दरभंगा एविएशन बंद कर दी गयी, जो फिर कभी शुरू न हो सकी। महाराजा के पास सिर्फ उनका अपना लग्‍जरी विमान ही शेष रह गया था। कल्याणी फाउंडेशन के अधिकार पत्र के मुताबिक 4 जुलाई, 1962 को महाराजा कामेश्वर सिंह को भेजे गए अपने पत्र में पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने महाराजा को पटना से हैदराबाद की यात्रा हेतु विमान प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया था।

बताया जाता है कि 01 अक्‍टूबर 1962 को कामेश्‍वर सिंह की मौत के बाद भारत सरकार ने इस विमान का निबंधन रद्द कर दिया। बाद में चीन युद्ध के बाद दरभंगा की संपत्ति देखनेवाले न्‍यासी ने दरभंगा, पूर्णिया और कूचबिहार एयरपोर्ट के साथ-साथ इस लग्‍जरी विमान को भी भारत सरकार को सौंप दिया।

एक लम्बे समय अंतराल के बाद मिथिलांचल में एयरपोर्ट की मांग जोर पकड़ने लगी। कई आंदोलन और प्रदर्शन के बाद वादे इरादे के बीच फंसा दरभंगा एयरपोर्ट के सपनों को साकार करने के लिए 24 दिसंबर 2018 को केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत केंद्रीय विमानन मंत्री सुरेश प्रभु और बिहार के मुख्यामंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा एअरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग का शिलान्यास किया।

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वहीँ सुरेश प्रभु ने कहा था कि दरभंगा कभी अपने महाराजा के लिए जाना जाता था जिनके पास हवाई जहाज थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ लेने के बाद पहली चीज आम लोगों के लिए नागरिक उड्डयन सुविधा प्रदान की, जो अब उड़ान सेवा का लाभ उठाएंगे। उन्होंने कहा “एक लोकतंत्र में, लोग असली राजा होते हैं,”।

ठीक एक साल आठ महीना और 19 दिन बाद यानि 12 सितंबर 2020 को, दरभंगा हवाई अड्डे का दौरा करने पहुंचे नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्विटर पर अपनी यात्रा की तस्वीरें साझा करते हुए जानकारी दी कि अधिकांश काम लगभग पूरा हो चुका है शेष कार्य अक्टूबर के अंत से पहले पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि छठ पूजा से पहले नवंबर के पहले सप्ताह में उड़ान संचालन शुरू हो जाएगा।

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उसके बादखबर साफ़ हो गई की 8 नवम्बर 2020 से दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई जहाजों का परिचालन शुरू होने वाला है, इसके लिए स्पाइस जेट ने टिकट बुकिंग भी शुरू कर दी है। फ़िलहाल दरभंगा से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लिए हर दिन विमानों का परिचालन होगा।

बता दें की दरभंगा एयरपोर्ट की हवाई पट्टी 9000 फिट की है जहाँ एयरबस ए-320 जैसी जहाज को भी लैंड कराई जा सकती है। साथ ही लगभग 76 करोड़ की लगत से 15000 स्क्वैर फिट एरिया में टर्मिनल बिल्डिंग बनाया गया है जहाँ 200 यात्रियों को सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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