Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

दिनकर जयंती : राष्ट्र के व्यावहारिक धर्म के गर्जन के कवि थे दिनकर

आज 23 सितंबर का दिन है। ऐतिहासिक तौर पर आज का दिन कई कारणों से महत्पूर्ण है। बिहार के लिए आज का दिन इस लिए खास है क्यों कि आज ही के दिन बिहार में एक क्रांतिकारी कवि का जन्म हुआ था।

Reported By Sahul Pandey |
Published On :

[vc_row][vc_column][vc_column_text]आज 23 सितंबर का दिन है। ऐतिहासिक तौर पर आज का दिन कई कारणों से महत्पूर्ण है। बिहार के लिए आज का दिन इस लिए खास है क्यों कि आज ही के दिन बिहार में एक क्रांतिकारी कवि का जन्म हुआ था। जिसने अपने कलम के जादू से ​हिन्दी साहित्य में वो धार पैदा की जिसने अंग्रेजी शासन की चूलें हिला कर रख दीं। हम बात राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कर रहे हैं। आज ही के दिन वर्ष 1908 में सिमरिया में उनका जन्म हुआ था। जब देश गुलाम था तब उन्होंने अपनी कलम से लाखों आजादी के मतवालों में हिम्मत भरी। जब देश आजाद हुआ उसके बाद भी वो सत्ता के सामने अपनी कविताओं से आम लोगों की आवाज बने रहें।

[wp_ad_camp_1]

Also Read Story

पूर्णिया जिला परिषद अध्यक्ष वाहिदा सरवर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव

पूर्णिया में अपराधियों ने टोटो चालक को दागी 7 गोलियां

DSLR कैमरा की बैटरी खराब होने की वजह एक महीने से पासपोर्ट का काम प्रभावित

नक्सलबाड़ी : जहां उठे थे हथियार, वहां से उठेगी कलम

जलमग्न किशनगंज रेलवे स्टेशन, यात्रियों को हो रही है परेशानी

प्रदर्शन के लिए 60 घण्टे में बनाया बांस और ड्रम का पुल

Exclusive: किशनगंज में BDO की जगह कंप्यूटर ऑपरेटर ने किया योजनाओं का निरीक्षण

अररिया में काल बन रहे हाईटेंशन बिजली के तार

ट्रांसफर के आदेश को लेकर कम्प्यूटर ऑपरेटर हड़ताल पर


विद्रोह, क्रांति, श्रृंगार और प्रेम, वे साहित्य के हर विद्या में पारांगत थे। रचनाशीलता उनके अंदर कूट—कूट के भरी थी। उनकी कविताओं में कबीर पंथ की भी छाप दिख जाती थी। यही ​कारण है कि आज के दौर में और मौजूदा माहौल में खासतौर पर दिनकर जी कि प्रासंगिकता बढ़ जाती है। बिहार की राजनीति की ही बात कर लें तो सत्ता और विपक्ष के बीच जो स्थित बनी हुई है। राजनीति के बीच सब अपने अपने को बड़ा दिखा रहे हैं, जनहितैषी बता रहे हैं। लेकिन जनता के पास कोई पूछने नहीं जा रहा। जो वोट मांगने पहुंच रहे हैं जनता उन्हें खदेड़ कर जवाब दे रही है। ऐसे में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता हमारा मार्गदर्शन करती प्रतीत होती है.

आरती लिए तू किसे ढूंढ़ता है मूरख
मंदिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे
देवता मिलेंगे खेतों में खलिहानों में

बात भारत की सुरक्षा की कर लें तो जैसी स्थिति आज बनी है वैसी ही कभी दिनकर जी के जमाने में बनी थी। 1962 में चीनी सेना ने भारत पर आक्रमण किया तो रामधारी सिंह दिनकर के समस्त व्यक्तित्व पर राष्ट्रीयता अत्यन्त उग्र बनकर छा गई थी। 1962 में चीन से मिली हार ने उन्हें पूरी तरह आक्रोशित कर दिया। ऐसे में वे अपनी ही पार्टी कांग्रेस की गलत नीतियों को लेकर मुखर हो गए। ऐसे तो दिनकर जी की तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से अच्छे संबध थे। पर चीन से मिली हार ने उन्हें देश के लिए बोलने को विवश कर दिया। उप्न्होंने नेहरू की गलत नीतियों को इसके लिए जिम्मेदार माना। तब दिल्ली के एक कवि सम्मलेन में जब नेहरूजी सीढ़ियां चढ़ते हुए लड़खड़ा गए थे तो तब दिनकर जी उन्हें संभालते हैं। नेहरूजी उन्हें धन्यवाद देते हैं तो दिनकर के मन का गुबार उनकी साहित्यिक भाषा में उभर कर बाहर आता है।

[wp_ad_camp_1]

दिनकर जी तत्काल ही जवाब देते हैं, ‘इसमें धन्यवाद कि क्या आवश्यकता! वैसे भी जब-जब राजनीति लड़खड़ाई है, साहित्य ने ही उसे संभाला है।

दिनकर जी की निर्भीकता, कार्य दक्षता और समर्पण उनकी लेखनी में प्रदर्शित होती है। वे राष्ट्रीय चेतना के कवि थे। औज और पौरुष उनकी लेखनी के गहने थे। यहीं कारण है कि वे राष्ट्र के व्यावहारिक धर्म के गर्जन के कवि के रूप में जाने गए और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर कहलाए।

[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_separator border_width=”4″ css_animation=”bounceInUp”][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_single_image image=”3718″ img_size=”full” alignment=”center” onclick=”custom_link” img_link_target=”_blank” link=”https://pages.razorpay.com/support-main-media”][/vc_column][/vc_row]

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Related News

हाईकोर्ट में जूही चावला की याचिका पर सुनवाई में गूंजे गाने – ‘लाल लाल होटो पे…’

अयोध्या में मस्जिद के लिए दान देने पर टैक्स में मिलेगी छूट, जानिए कैसे

विवादों में चल रहे बाबा रामदेव बोले मुझे किसी का बाप भी अरेस्ट नहीं कर सकता

ओलिंपिक खिलाड़ी सुशील कुमार क्यों हुए गिरफ्तार?

बिहार के इस मंदिर में नवरात्र में महिलाओं के लिए लग जाता है ‘ नो एंट्री’ का बोर्ड

दरभंगा एयरपोर्ट और 70 साल पहले चार विमान रखने वाले राजा कामेश्वर सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?

सुपौल: घूरन गांव में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?