शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक ने पत्र जारी कर शिक्षकों को गैर शैक्षणिक सरकारी कार्यों में प्रतिनियुक्ति नहीं करने का आदेश दिया है। विभाग को सूचना प्राप्त हुई थी कि अमुमंडल पदाधिकारियों तथा प्रखंड विकास पदाधिकारियों द्वारा बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLO) को प्रशिक्षण देने के लिए मास्टर ट्रेनर के रूप में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति लंबी अवधि के लिए की जा रही है। इस सूचना पर विभाग हरकत में आया और शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति सरकारी कार्यों में न करने का निर्देश जारी कर दिया। यह पत्र सोमवार को जारी हुआ था।
पत्र में कहा गया, “शिक्षकों को गैर-सरकारी कार्यों में प्रतिनियुक्ति किए जाने से विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ज्ञातव्य हो कि विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षा विभाग द्वारा कई आवश्यक पहल किये जा रहे हैं, जिसके लिए शिक्षकों की विद्यालय में ससमय उपस्थिति अनिवार्य है”।
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आदेश का शिक्षक संघ कर रहे स्वागत
बिहार टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक की प्रशंसा की। उन्होंने अपर मुख्य सचिव को धन्यवाद देते हुए कहा कि के. के. पाठक एक जुझारू और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हैं और उन्होंने आईसीयू में वेंटिलेटर पर पड़ी शिक्षा व्यवस्था को नई उड़ान दी है।
“हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आईसीयू में पड़ी शिक्षा व्यवस्था को जो उड़ान भरने में आप लगे हैं, उस उड़ान पर अब किसी प्रकार का ब्रेक आप नहीं लगने देंगे। इस उड़ान को और तेज़ गति प्रदान करने के लिए आप शिक्षकों को जातीय गणना आदि गैर शैक्षणिक कार्यों से दूर रखेंगे। शिक्षा विभाग में के.के.पाठक जैसे जांबाज़ पायलट के रहते हुए शिक्षकों को उनके मूल उद्देश्य से किसी भी क़ीमत पर भटकाया नहीं जाएगा और इस जातीय गणना कार्य में शिक्षकों को कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी,” उन्होंने कहा।
अगले ही दिन जारी हुआ शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का आदेश
विभाग ने अगले ही दिन आदेश को ताक पर रखते हुए एक और पत्र जारी किया। इस पत्र में जातीय गणना के लिए शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करते समय कोई भी विद्यालय शिक्षक विहीन न हो जाए, जिला पदाधिकारियों को इस बात का ख्याल रखने की हिदायत दी गई।
उल्लेखनीय है कि राज्य में गुरुवार से जातीय जनगणना का काम फिर से शुरू हो रहा है। मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर रोक लगाने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। याचिकाओं के खारिज होने से राज्य में जातीय गणना का रास्ता साफ हो गया है।
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